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RBI की MPC किन चीजों को करती है कंट्रोल जिससे आपकी जिंदगी पर पड़ता है असर, जानिए पूरी डिटेल

आरबीआई गवर्नर शककांत दास आज भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का फैसला सुनाएंगे। तीन दिनों (8-10 अगस्त) तक चली एमपीसी बैठक से सबका ध्यान इस बार भी रेपो रेट पर है और यह इंतजार है कि क्या आरबीआई इस बार रेपो रेट में बदलाव करेगा या इस बार भी रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा जाएगा। पढ़िए पूरी खबर।]

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) में लिए गए फैसलों को आज आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) सुनाने वाले हैं। तीन दिनों तक (8 से 10 अगस्त) तक चले एमपीसी की मीटिंग में सबकी निगाहें रेपो रेट पर टिकी हुई है।

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दरअसल आप पिछले कुछ दिनों से आरबीआई की एमपीसी की बैठक के बारे में सुन रहे होंगे। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि यह एमपीसी की बैठक क्या काम करती है और क्या है कंट्रोल करती है।

क्या है एमपीसी?

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अधिनियम, 1934 (संशोधित 2016) के तहत, आरबीआई भारत में विकास और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ मौद्रिक नीति के संचालन के लिए जिम्मेदार है। एमपीसी देश में विकास और महंगाई के मद्देनजर मूल्य स्थिरता बनाए रखता है। आपको बता दें कि समिति में कुल 6 सदस्य होते हैं जिसकी अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर करते हैं।

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हर दो महीने में होती है समीक्षा

आपको बता दें कि आरबीआई के गर्वनर की अध्यक्षता में मोनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक हर दो महीनों में होती है। यह कमिटी देश में महंगाई को कंट्रोल करने के जुड़े नीतिगत फैसले लेती है जिसमें रेपो रेट में बदलाव या उसमें जुड़े फैसले सबसे अहम होती है।

आपको बता दें कि रेपो रेट वह रेट होता है जिस दर पर आरबीआई, कमर्शियल बैंकों (Commercial Banks) और दूसरे बैंकों को लोन देता है।

एमपीसी का क्या है काम?

आपको बता दें कि एमपीसी महंगाई, मुद्रास्फीति, ग्रोथ रेट और जोखिमों का अनुमान, अर्थव्यवस्था की स्थिति, राकोषीय फायदा और घाटा, और विभिन्न ब्याज दर को लेकर चर्चा करता है। यह कमिटी जरूरत के अनुसार रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, बैंक रेट, सीआरआर (CRR), एसएलआर (SLR), एसडीएफ रेट (SDF), एमएसएफ रेट (MSF) में बदलवा करती है।

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पिछली एमपीसी में क्या हुआ?

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आपको बता दें आरबीआई के गवर्नर ने पिछले एमपीसी में रेपो रेट को अपरिवर्तित यानी 6.5 प्रतिशत पर ही छोड़ा था। आरबीआई ने देश की जाडीपी को लेकर कहा था कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी रह सकती है।

गर्वनर ने पिछले एमपीसी के फैसले को सुनाते हुए कहा था कि भारत की जीडीपी ग्रोथ पहले तिमाही में 8 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.5 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6 फीसदी और चौथी तिमाही में यह 5.7 फीसदी रह सकती है।

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