All for Joomla All for Webmasters
जरूरी खबर

मेडिकल क्‍लेम के लिए अस्‍पताल में 24 घंटे भर्ती होना जरूरी नहीं, किस तरह के इलाज में मिलेगा फायदा, क्‍या नुकसान

Medical Insurance Claim : मेडिकल इंश्‍योरेंस लेने वालों की सबसे बड़ी परेशानी होती है क्‍लेम पाने की. कंपनियां नियमों का हवाला देकर क्‍लेम खारिज करने के सारे जुगाड़ लगाती हैं. ऐसा ही एक नियम है अस्‍पताल में 24 घंटे भर्ती होने का, जिसमें इरडा ने अब कुछ बदलाव किया है.

ये भी पढ़ें– IRCTC करा रहा है 7 ज्योतिर्लिंग के दर्शन, पैकेज इतना किफायती कि आप भी घूमने का चांस मिस नहीं करना चाहेंगे

नई दिल्‍ली. हेल्‍थ इंश्‍योरेंस (Health Insurance) अब हर आदमी की जरूरत बन गई है. कोरोना महामारी के बाद इसके यूजर्स की संख्‍या भी तेजी से बढ़ी है. लेकिन, बीमाधारक को परेशानी तब आती है जब कंपनियां नियमों का हवाला देकर क्‍लेम खारिज कर देती हैं. ऐसा ही एक नियम है अस्‍पताल में 24 घंटे भर्ती होने का, जिसके बिना आप कोई भी मेडिकल क्‍लेम नहीं ले सकते. बीमा नियामक ने इस दिशा में बड़ा बदलाव करते हुए ग्राहकों को तोहफा दिया है.

बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बताया है कि अब मेडिकल इंश्‍योरेंस में क्‍लेम पाने के लिए 24 घंटे तक अस्‍पताल में भर्ती होना जरूरी नहीं है. इसके लिए बीमा कंपनियों को अलग से प्रावधान करना होगा. यह क्‍लेम डे-केयर ट्रीटमेंट के तहत लिया जा सकेगा और बिना 24 घंटे तक भर्ती हुए भी आप अपनी बीमा कंपनी से क्‍लेम हासिल कर सकते हैं. इस नियम से बीमाधारकों को काफी सुविधा होगी.

ये भी पढ़ें– PAN Card Reprint: केवल 50 रुपये में घर बैठे पाएं चमचमाता हुआ पैन कार्ड, जानें इसका आसान प्रोसेस

क्‍या हुआ है बदलाव
बीमा नियामक इरडा ने अस्‍पताल में भर्ती होने को लेकर स्‍पष्‍ट परिभाषा भी दी है. इरडा ने कहा है कि वैसे तो क्‍लेम के लिए बीमाधारक मरीज को कम से कम 24 घंटे तक अस्‍पताल की देखरेख में समय बिताना होगा, जिसमें कुछ अपवादों को शामिल किया गया है. इसमें डे-केयर नाम से नया टर्म जोड़ा गया है. इसके तहत ऐसे इलाज आएंगे जिसमें कोई सर्जरी 24 घंटे के अंदर पूरी होने या उसमें एनस्‍थीसिया का इस्‍तेमाल होने जैसी कंडीशन शाम‍िल होगी. ऐसे मामलों में 24 घंटे तक अस्‍पताल में भर्ती होना जरूरी नहीं होगा.

कौन-कौन सा इलाज होगा कवर
इरडा के नए नियम के तहत कुछ खास तरह के इलाज को कवर किया गया है. इसके तहत अगर कोई भी इलाज जिसमें एनस्‍थीसिया का इस्‍तेमाल हुआ है तो उसमें बिना 24 घंटे अस्‍पताल में बिताए भी क्‍लेम लिया जा सकेगा. ऐसे इलाज में टांसिल का ऑपरेशन, कीमोथेरेपी, मोतियाबिंद का ऑपरेशन, साइनस का ऑपरेशन, रेडियोथेरेपी, हीमोडायलिसिस, कोरोनरी एंजियोग्राफी, स्किन ट्रांसप्‍लांटेशन और घुटनों का ऑपरेशन शामिल है. इस तरह के इलाज के लिए अब बीमा धारक को 24 घंटे भर्ती होने की जरूरत नहीं.

ये भी पढ़ें– Petrol Diesel Prices : दिवाली से पहले यूपी वालों को तोहफा! पेट्रोल-डीजल की कीमत हुई धड़ाम, बिहार में झटका

इसका नुकसान क्‍या होगा
डे-केयर ट्रीटमेंट के तहत बीमा कंपनियां बिना 24 घंटे अस्‍पताल में बिताए आपको क्‍लेम तो दे देंगी, लेकिन इसमें बीमाधारक को कुछ नुकसान भी उठाना होगा. इस नियम के तहत डॉक्‍टर की परामर्श फीस, टेस्‍ट और जांच के खर्चे आदि शामिल नहीं किए जाएंगे. आउट पेशेंट केयर को भी इसी कैटेगरी में शामिल किया गया है और इसमें कुछ खर्चों को हटाकर बाकी का क्‍लेम बीमाधारक आराम से कर सकता है. हाल में गुजरात की उपभोक्‍ता अदालत ऐसे ही एक मामले में बीमा कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाया, जिसके बाद इरडा ने बाकायदा इस पर नियम ही बना दिया है.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top