अब आधार कार्ड बनवाने के नियम बदलने वाले हैं. आधार कार्ड बनवाने के लिए पासपोर्ट जैसा वेरिफिकेशन जरूरी होगा. आधार कार्ड आवेदकों को पासपोर्ट जैसे वेरिफिकेशन प्रोसेस से गुजरना होगा. वेरिफिकेशन की जिम्मेदारी अब यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के बजाय राज्य सरकार की होगी. यूआईडीएआई, लखनऊ क्षेत्र के उप महानिदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल प्रशांत कुमार सिंह के मुताबिक, राज्य प्राधिकरण द्वारा जनसांख्यिकीय सत्यापन के बाद ही आधार नामांकन पूरा माना जाएगा.
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कहां होगा वेरिफिकेशन?
आधार नामांकन सुविधाएं अब प्रत्येक जिले में मुख्य डाकघर, उप डाकघर और आधार सेवा केंद्र सहित अलग-अलग केंद्रों तक सीमित होंगी. नामांकन के बाद, जनसांख्यिकीय जानकारी पूरी तरह से वेरीफाई करने के लिए सर्विस प्लस पोर्टल के माध्यम से राज्य अधिकारियों को भेजी जाएगी. इस डेटा को प्लानिंग डिपार्टमेंट हेडक्वार्टर, डीएम, एडीएम और एसडीएम ऑफिस सहित अलग-अलग सरकारी कार्यालयों तक पहुंचाया जाएगा.
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कड़ा होगा वेरिफिकेशन प्रोसेस
ये दस्तावेज एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो और लेखपाल जैसे अधिकारियों की नजर से होकर गुजरेंगे. दस्तावेजों में अगर कोई भी गलती पाई जाती है तो राज्य अधिकारियों द्वारा नामांकन रद्द किया जा सकता है. वेरिफिकेशन से लेकर आधार बनाने तक की पूरी प्रक्रिया में अधिकतम 180 दिन लगने की उम्मीद है.
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यूपी निवासियों के लिए दिशानिर्देश
दूसरे राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों या विदेशों में रहने वाले निवासियों को आधार वेरिफिकेशन के लिए अपने गृह राज्य लौटने की सलाह दी जाती है. यह ध्यान रखना जरूरी है कि ये दिशानिर्देश 18 साल और उससे अधिक उम्र के निवासियों पर लागू होते हैं जो पहली बार आधार के लिए आवेदन कर रहे हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इन महत्वपूर्ण बदलावों के बावजूद, लखनऊ प्रशासन के अधिकारियों ने नए नियमों की रूपरेखा बताने वाले आधिकारिक पत्र का इंतजार करने का दावा किया है. यूआईडीएआई के अनुसार, मंगलवार तक, उत्तर प्रदेश के कुल 23.56 करोड़ निवासियों ने आधार के लिए नामांकन किया है, जिसमें हर महीने 18 साल से ऊपर के औसतन 13,226 लोग नामांकन कर रहे हैं. वर्तमान में, राज्य में 1,237 आधार नामांकन केंद्र कार्यरत हैं.