एडटेक कंपनी बायजूज के संस्थापक और सीईओ बायजू रवींद्रन को ही अब कंपनी से बाहर करने की तैयारी है। इसे लेकर 23 फरवरी को कंपनी के बोर्ड सदस्यों और प्रमुख निवेशकों के एक समूह ने आपातकालीन आम बैठक (EGM) बुलाई है।
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इस समूह ने रवीन्द्रन के अलावा उनकी पत्नी और सह-संस्थापक दिव्या गोकुलनाथ के साथ उनके भाई रिजु रवींद्रन को भी कंपनी से बाहर करने का प्रस्ताव रखा है, जिस पर मतदान होगा।
फिलहाल कोर्ट से मिली राहत: इस मामले में रवींद्रन को कर्नाटक हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बीते बुधवार को अदालत ने एक आदेश पारित किया था, जिसमें कहा गया है कि ईजीएम में लिया गया कोई भी निर्णय अगली सुनवाई तक अमान्य होगा। यह आदेश बायजू द्वारा दायर एक याचिका पर था, जिसमें अदालत से बैठक पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हालांकि, अदालत ने ईजीएम पर रोक नहीं लगाई है। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 13 मार्च को करेगी।
परिवार की कितनी हिस्सेदारी: जिन शेयरधारकों ने आपात बैठक बुलाई है, उनके पास सामूहिक रूप से बायजूज में 32 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है। वहीं, रवींद्रन और पारिवारिक सदस्यों के पास कंपनी में लगभग 26.3 फीसदी हिस्सेदारी है। निवेशकों ने रवींद्रन और उनके परिवार के सदस्यों पर कुप्रबंधन और विफलता का आरोप लगाया है।
अभी दुबई में हैं बायजूज के संस्थापक: खबरों के अनुसार, बायजू रवींद्रन ने पिछले तीन साल से दिल्ली और दुबई को अपना ठिकाना बना रखा है। वह इस हफ्ते की शुरुआत में बेंगलुरु में थे। बाद में दिल्ली भी आए थे। बताया जा रहा है कि फिलहाल वह दुबई में हैं। लुकआउट नोटिस जारी होने के बाद रवींद्रन के विदेश जाने पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।
यूके और यूएस तक पहुंचा ऐप
बायजूज की मूल कंपनी कंपनी थिंक एंड लर्न की शुरुआत साल 2011 में रवींद्रन और उनकी पत्नी दिव्या गोकुलनाथ ने की थी। साल 2015 में कंपनी ने मोबाइल ऐप बनाया, जिसका नाम बायजूज रखा। अक्तूबर 2018 तक कंपनी देश की पहली एडटेक यूनिकॉर्न बन चुकी थी।
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इस ऐप का विस्तार यूके-यूएस सहित अंग्रेजी बोलने वाले कई देशों तक हो गया। जुलाई 2022 तक ऐप को 150 मिलियन से अधिक डाउनलोड किया जा चुका था। सबसे बड़ा उछाल कोरोना काल में दिखा।
संस्थापकों की संपत्ति: फोर्ब्स के अनुसार, 2020 तक बायजू रवींद्रन, उनकी पत्नी दिव्या गोकुलनाथ और उनके भाई रिजु रवींद्रन की कुल संपत्ति 3.4 बिलियन डॉलर थी।
2022 में घाटा दोगुना: बायजूज को वित्त वर्ष 2022 में 8245 करोड़ का घाटा हुआ है। वित्त वर्ष 2021 में घाटा 4,564 करोड़ रुपये था। यानी घाटा करीब दोगुना हो गया।
विदेश पैसा भेजने का आरोप: फेमा जांच से पता चला कि कंपनी को 2011 से 2023 तक करीब 28000 करोड़ का एफडीआई मिला। कंपनी ने कई देशों में 9754 करोड़ भेजे। इसी अवधि में एफडीआई के नाम पर दावा किया था।
फेमा में फंसी कंपनी: बायजू रवींद्रन को विदेशी मुद्रा उल्लंघन (फेमा) के आरोप का भी सामना करना पड़ रहा है। ईडी ने नवंबर 2023 में फेमा के तहत 9362.35 करोड़ रुपये के उल्लंघन के लिए बायजू को नोटिस जारी किया था। इससे पहले एजेंसी ने अप्रैल 2023 में बायजूज के केंद्रों और रवींद्रन के आवास पर छापे मारकर कंपनी के निवेश और विदेशी गतिविधियों से जुड़े कागजात जब्त किए थे।
निवेशकों ने हाथ खींचे: कंपनी के बढ़ते घाटे और कुछ अंसतोषजनक फैसलों के बाद प्रमुख निवेशक पीछे हट गए। इनमें यूएस ग्रोथ इक्विटी फर्म जनरल अटलांटिक और चेन जुकरबर्ग शामिल हैं। ऑडिटर डेलायट ने भी इस्तीफा दे दिया। अभी कंपनी अमेरिका में 1.2 अरब डॉलर कर्ज के मामले में केस लड़ रही है।
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कंपनी का मूल्यांकन 90 फीसदी गिरा: एडटेक कंपनी बायजूज का मूल्यांकन वर्ष 2022 में करीब 22 अरब डॉलर से अधिक था। इसमें करीब 90 प्रतिशत की गिरावट आई है। अब यह दो अरब डॉलर रह गया है।