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Income Tax Saving: दो दिन और बचे हैं इनकम टैक्स बचाने को, 25 से 50 हजार रुपये तक पर आयकर ऐसे बचेगा

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वित्त वर्ष 2023-24 के समाप्त होने में बस अब दो दिन बचे हैं। इसके बाद आप इस साल के लिए इनकम टैक्स (Income Tax) बचाने का उपाय नहीं कर सकते हैं। हम पहले ही बता चुके हैं कि कुछ योजनाओं में निवेश कर या जीवन बीमा की पॉलिसी ले कर आप डेढ़ लाख रुपये तक पर टैक्स बचा सकते हैं। आज हम बता रहे हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) की पॉलिसी लेकर भी आप 25 से 50 हजार रुपये तक की राशि पर टैक्स (Tax Saving) बचा सकते हैं।

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पॉलिसीबाजार डॉट कॉम में हेल्थ एंड ट्रेवल इंश्योरेंस के चीफ बिजनेस ऑफिसर अमित छाबड़ा का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद की दुनिया में हेल्थ इंश्योरेंस का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। ऐसे समय में जब मेडिकल इन्फलेशन लगातार बढ़ रहा है, कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज का महत्व और बढ़ गया है। किसी भी मेडिकल इमरजेंसी के दौरान उचित इलाज मिले और किसी का सेविंग भी जीरो नहीं हो, इसके लिए कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को आवश्यक बताया जा रहा है।सुरक्षा कवच के साथ टैक्स में छूट

किसी भी मेडिकल इमरजेंसी के दौरान आपकी कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करती है। पॉलिसीहोल्डर या उनके परिवार के सदस्य चाहे अस्पताल में भर्ती होएं या डे-केयर में रहें, उन्हें कैशलेस अस्पताल में भर्ती सहित कई लाभ इस पॉलिसी से मिलता है। इन सभी के अलावा हेल्थ इंश्योरेंस के साथ टैक्स बेनिफिट भी जुड़ा होता है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 80 डी के तहत, हेल्थ इंश्योरेसं पॉलिसियों के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर टैक्स में छूट प्राप्त होता है।

हेल्थ इंश्योरेंस में मल्टी-ईयर पॉलिसी का फायदा

जब आपने हेल्थ इंश्योरेंस की पॉलिसी लेने का मन बना लिया तो आपको जान लेना चाहिए कि इसे खरीदते समय, व्यक्तियों को अक्सर मल्टी ईयर पॉलिसी मिलती हैं। मल्टी ईयर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी वह है जो एक वर्ष से अधिक के लिए कवरेज प्रदान करती है। इसका कार्यकाल आमतौर पर दो-तीन साल का होता है। मतलब कि एक बार पैसे दें और दो साल तक इसका फायदा लें।

मल्टी-ईयर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के क्या हैं लाभ

मल्टी ईयर पॉलिसी के साथ कई फायदे जुड़े हुए हैं। सालाना पॉलिसी में आपको हर साल इसे रिन्यू कराने की परेशानी का सामना करना पड़ता है। अगर आप इसे समय पर रिन्यू नहीं करा पाते हैं, तो आप इससे होने वाले लाभ से भी वंचित हो सकते हैं। इसके विपरीत मल्टी-ईयर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी, जिन्हें 3 वर्षों तक के लिए खरीदा जा सकता है, एक बार में विशिष्ट वर्षों के लिए आपके कवरेज को सुरक्षित करके आपको उन परेशानियों से बचा सकती हैं। मल्टी-ईयर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को हर साल रिन्यू करने की आवश्यकता नहीं है।

प्रीमियम नहीं बढ़ेगा

सालाना पॉलिसी में देखा गया है कि हर साल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम बढ़ जाता है। जब आप वार्षिक नवीनीकरण के लिए जाते हैं तो पता चलता है कि पॉलिसी में प्रीमियम में वृद्धि हो गई है। लेकिन, मल्टी-ईयर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों के साथ, व्यक्तियों को एक विशिष्ट अवधि के लिए प्रीमियम लॉक करने का लाभ मिलता है।

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यह उन्हें इन्फलेशन के समय में वित्तीय राहत देते हुए संभावित बढ़ोतरी के बोझ से बचाता है।

डिस्काउंट और बचत भी

इस पॉलिसी में पर्याप्त कवरेज प्रदान करने के अलावा डिस्काउंट और बचत का अवसर भी मिलता है। ज्यादातर हेल्थ इंश्योरर दो साल की अवधि की पॉलिसी चुनने पर 10% तक की छूट और तीन साल की अवधि की पॉलिसी चुनने पर 15% तक की छूट देते हैं। इस प्रकार, ये पॉलिसियां अधिक किफायती हैं और इन्हें मध्यम आय वर्ग द्वारा आसानी से खरीदा जा सकता है। मल्टी-ईयर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियां उन सीनियर सिटीजन के लिए भी फायदेमंद हो सकती हैं जिन्हें अपनी उम्र के कारण अधिक प्रीमियम का भुगतान करना पड़ सकता है।

टैक्स में कितनी छूट

एक व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए इनकम टैक्स की धारा 80 डी के तहत टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकता है। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए टैक्स डिडक्शन की ऊपरी लिमिट स्वयं, पति/पत्नी, आश्रित बच्चों या माता-पिता के लिए 25,000 रुपये है। परिवार या माता-पिता जो वरिष्ठ नागरिक हैं, उनके लिए ऊपरी लिमिट 50,000 रुपये है।

मल्टी ईयर पॉलिसी में कैसे टैक्स छूट का लाभ?

मल्टी-ईयर पॉलिसी खरीदने वाले व्यक्तियों को अक्सर टैक्स-डिडक्शन पर संदेह होता है। वर्तमान टैक्स डिडक्शन नियमों के अनुसार पॉलिसी की अवधि के आधार पर टैक्स डिडक्शन प्रत्येक वर्ष के लिए आनुपातिक रूप से निर्धारित की जाती है। मान लीजिए, अगर व्यक्ति तीन साल की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए 60,000 रुपये का एकमुश्त प्रीमियम का भुगतान करते हैं, तो वे आयकर अधिनियम की धारा 80 डी के तहत टैक्स डिडक्शन के रूप में प्रत्येक वर्ष 20,000 रुपये की राशि का क्लेम कर सकते हैं। अगर सीनियर सिटीजन मल्टी-ईयर पॉलिसी के लिए प्रीमियम के रूप में 1.5 लाख रुपये का भुगतान करते हैं, तो टैक्स नियमों के अनुसार डिडक्शन की लिमिट प्रत्येक वर्ष 50,000 रुपये होगी। इसलिए, वे पहले वर्ष में 50,000 रुपये का क्लेम कर सकते हैं और उसके बाद अगले दो वर्षों के लिए शेष राशि का क्लेम कर सकते हैं। बीमा कंपनियां किसी भी भ्रम से बचने के लिए धारा 80डी के तहत सालाना क्लेम की जा सकने वाली राशि बताते हुए एक टैक्स सर्टिफिकेट भी जारी करती हैं। अब यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि टैक्स डिडक्शन का पात्र होने के लिए प्रीमियम के भुगतान का तरीका नकद नहीं होना चाहिए।

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सास-ससुर को भी कर सकते हैं शामिल

कुछ पॉलिसियां सास-ससुर को भी कवर कर सकती हैं। हालांकि, इसके लिए भुगतान किया गया प्रीमियम टैक्स डिडक्शन के लिए योग्य नहीं हो सकता है। जो टैक्स पेयर न्यू टैक्स रिजिम को चुनते हैं, वे पुरानी टैक्स रिजिम चुनने वालों की तुलना में डिडक्शन का लाभ नहीं उठा पाएंगे।

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