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Personal Loan लेते वक्त इन 7 बातों को नहीं करना चाहिए नजरअंदाज

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अक्सर ऐसा माना जाता है कि लोन ले कर कोई काम करना आपको फाइनेंनसियली तौर पर दबाव में डाल सकता है, लेकिन पर्सनल लोन कई मायनों में बेहतर साबित हो सकता है। पर्सनल लोन लेने से पहले, आपको अपनी एलिजिबिलिटी भी चेक करनी चाहिए। पर्सनल लोन मिलना ज्यादातर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री पर निर्भर करता है। 

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पर्सनल लोन लेने से पहले, इसके फायदे और नुकसान दोनों को समझ लें

पर्सनल लोन पर होम और कार लोन की तुलना में ज़्यादा ब्याज होता है। इसलिए, पर्सनल लोन को लोन की तरह ही ट्रीट करें, न कि बोझ की तरह। इसलिए, पर्सनल लोन के लिए आवेदन करने से पहले, आपको इसके फायदे और नुकसान दोनों को समझ लेना चाहिए। पर्सनल लोन के लिए आवेदन करते समय, बैंक या एनबीएफसी आपके क्रेडिट स्कोर, उम्र, इनकम, कारोबार और एम्पलॉयर या कंपनी की प्रोफाइल जैसी चीजों को ध्यान में रखते हैं। 

आम तौर पर, 15,000 से 25,000 रुपये महीने की सैलरी होने पर बैंक आपको लोन दे देते हैं। बैंक यह तय करना चाहते हैं कि आप लोन लेकर चुकाने की स्थिति में हैं या नहीं। साथ ही, यह भी देखा जाता है कि आपकी सैलरी के हिसाब से आपको कितना लोन दिया जा सकता है।

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आम तौर पर, 21 से 60 साल के बीच के लोगों को लोन दिया जाता है। साथ ही, यह भी देखा जाता है कि आप अपनी नौकरी में कितने लंबे समय से हैं। आम तौर पर, 1 साल के अनुभव को वरीयता दी जाती है। 

पर्सनल लोन में दो भाग होते हैं, मूलधन और ब्याज दर। आपको इन्हें किस्तों या EMI (Equated Monthly Instalments) में चुकाना होता है। EMI वह निश्चित राशि है, जिसे आप पर्सनल लोन चुकाने के लिए हर महीने चुने हुए तारीख पर भुगतान करते हैं।

इसके अलावा, कुछ बैंक या NBFC आपको स्टैंडर्ड EMI अमाउंट के साथ-साथ फ्लेक्सिबल EMI का ऑप्शन भी देते हैं।

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स्टैंडर्ड EMI के तहत, आप हर महीने एक बंधी-बंधाई किस्त चुकाते हैं। वहीं, फ्लेक्सिबल EMI में, आप कम किस्त से शुरू करके धीरे-धीरे इसे बढ़ाते हैं।

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