वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पेश बजट में बैट्री स्वैपिंग नीति लाने की घोषणा की गई। भारी उद्योग मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक बैट्री स्वैपिंग नीति के तहत इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं को इंसेंटिव देने पर विचार किया जा रहा है ताकि वे बैट्री स्वैपिंग के लिए पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर सके।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। बैट्री स्वैपिंग नीति को लेकर सरकार ने काम शुरू कर दिया है और अगले दो-तीन महीने में इसकी घोषणा कर दी जाएगी। फिलहाल यह नीति इलेक्ट्रिक स्कूटर, मोटरसाइकिल और इलेक्ट्रिक से चलने वाले ऑटो के लिए होगी। भारी उद्योग मंत्रालय और बिजली मंत्रालय बैट्री स्वैपिंग नीति को बनाने के काम में जुट गए हैं। नीति आयोग से भी इस काम में मदद ली जा रही है। वैसे भारत में बाउंस इंफिनिटी इलेक्ट्रिक स्कूटर के लिए बैट्री स्वैपिंग का काम बंगलुरु में शुरू कर चुकी है और 10 लाख बैट्री स्वैपिंग का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही है।\
देश की सबसे बड़ी दोपहिया कंपनी हीरो मोटोकॉर्प भी बैट्री स्वैपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए ताइवान की कंपनी गोगोरो के साथ करार कर चुकी है। गत एक फरवरी को आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पेश बजट में बैट्री स्वैपिंग नीति लाने की घोषणा की गई। भारी उद्योग मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक बैट्री स्वैपिंग नीति के तहत इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं को इंसेंटिव देने पर विचार किया जा रहा है ताकि वे बैट्री स्वैपिंग के लिए पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर सके।
बैट्री स्वैपिंग सेंटर खुलने से फायदे
बैट्री को एक सेवा कारोबार का रूप देने से बैट्री से चलने वाले दोपहिया व तिपहिया वाहनों की कीमत भी कम हो जाएगी और इसका चलन बढ़ेगा। इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की कीमत में 40-50 फीसद हिस्सेदारी बैट्री की होती है। बैट्री स्वैपिंग कारोबार के विकसित होने पर इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदार बिना बैट्री के स्कूटर खरीद सकेगा और बैट्री स्वैपिंग सेंटर पर जाकर मामूली कीमत देकर किराए पर बैट्री लेकर स्कूटर या अन्य इलेक्ट्रिक वाहन चला सकेगा। अभी इलेक्ट्रिक स्कूटर कंपनी अपने ग्राहकों को चार्जिंग प्लग भी दे रही है। लेकिन देश के कई ऐसे शहर है जहां जगह की भारी कमी है और वहां सभी जगहों पर चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध नहीं हो सकते हैं। ऐसे में, बैट्री स्वैपिंग काफी कारगर साबित होगी।
हर 5 किलोमीटर पर सेंटर खोलने का प्लान
हर चार-पांच किलोमीटर पर बैट्री स्वैपिंग सेंटर होने पर लोग तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाएंगे। सूत्रों के मुताबिक सभी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी अपने स्वैपिंग सेंटर लगाएंगे या फिर सिर्फ बैट्री स्वैपिंग का काम करने वाली कंपनियां निर्माता कंपनियों के लिए बैट्री स्वैपिंग सेंटर विकसित कर सकती है। बैट्री स्वैपिंग सेंटर को चलाने के लिए बहुत अधिक जगह की जरूरत नहीं होगी। इसलिए किराना स्टोर, रेस्टोरेंट, पेट्रोल पंप जैसी किसी भी जगह छह मीटर की जगह में बैट्री स्वैपिंग मशीन रखी जा सकती है। यह मशीन एटीएम मशीन की तरह होती है, जिसमें एक साथ छह से आठ चार्जड बैट्री रखी जाती है। बैट्री स्वैपिंग के दौरान चार्जड बैट्री को निकाल कर उसमें डिस्चार्ज बैट्री लगा दी जाती है। बंगलुरू में बैट्री स्वैपिंग का काम कर रही है।
35 रुपये में 60-70 किलोमीटर दौड़ेगी आपकी इलेक्ट्रिक गाड़ी
कंपनी बाउंस इंफिनिटी के प्रवक्ता ने बताया कि वे एक बैट्री के स्वैपिंग पर 35 रुपए का शुल्क लेते हैं जो 60-70 किलोमीटर चलती है। ग्राहक को अपनी डिस्चार्जड बैट्री उनके प्लग में लगानी होती है और उसके सही तरीके से लगने पर ही चार्जड बैट्री दी जाती है। स्वैपिंग मशीन की प्रोग्रामिंग से यह पता चल जाता है कि ग्राहक कहीं खराब बैट्री देकर चार्जड बैट्री तो नहीं ले रहा है। अगर ग्राहक की बैट्री बेकार होगी तो स्वैप मशीन उसे स्वीकार नहीं करेगी।