नए कानून के मुताबिक, किरायेदारों को सिक्योरिटी मनी दो महीने के किराये से ज्यादा नहीं हो सकती. किराया बढ़ाने के लिए कम से कम तीन महीने पहले मकान मालिक किरायेदार को नोटिस देगा. कानून में कहा गया है कि बिल्डिंग के ढांचे की देखभाल के लिए किरायेदार और मकानमालिक दोनों ही जिम्मेदार होंगे.
Kirayedaar Ke Adhikar: महानगरों में किरायेदारी एक उद्योग बन गया है. बड़ी संख्या में ऐसे परिवार हैं जिनकी कमाई का जरिया केवल किराया है. दिल्ली में तो ऐसे कई इलाके हैं जहां मकान मालिक केवल किराये से लाखों रुपये महीना कमा रहे हैं.
आप कितना भी किराया दें, लेकिन मकान मालिक की नज़र में आपकी स्थिति एक दीनहीन और लाचार व्यक्ति की तरह होती है. मुंह मांगा किराया देने के बाद भी किरायेदारों को मकान मालिका का कई तरह का अत्यचार भी सहन करना पड़ता है. हर साल किराया बढ़ जाता है और जब सुविधा की बात आती है तो मकान मालिक ध्यान ही नहीं देते हैं.
कई बार उल्टा होता है. किरायेदार हावी हो जाता है और मकान मालिक को किरायेदार के सामने डर-डर कर रहना पड़ता है. ऐसे भी कई मामले में हैं जहां किरायेदारों ने मकान मालिक की प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लिया. ऐसी घटनाएं देखकर कुछ मकान मालिक अपनी प्रॉपर्टी किराये पर देने से भी हिचकिचाते हैं.
कील और पुलिसकर्मियों को कोई मकान मालिक आसानी से अपना मकान किराये पर नहीं देता है.
इन सब परेशानियों को देखते हुए सरकार ने मॉडल किरायेदारी अधिनियम (model tenacny act) के मसौदे को मंजूरी दे दी. नए कानून में राज्य सरकारों को नए नियम लागू करने की अनुमति भी दी गई है.
किरायेदारों के अधिकार (Tenant Rights)
नए कानून के मुताबिक, किरायेदारों को सिक्योरिटी मनी दो महीने के किराये से ज्यादा नहीं हो सकती. किराया बढ़ाने के लिए कम से कम तीन महीने पहले मकान मालिक किरायेदार को नोटिस देगा. दोनों पक्षों में अगर आपसी संबंधों के आधार पर सहमति हो जाती है तो हो सकता है किराया न भी बढ़े. इसके अलावा मकान मालिक को मकान का मुआयना करने आने से पहले 24 घंटे का नोटिस देना होगा.
किराए का तीन गुना सिक्योरिटी डिपॉजिट लेना तब तक गैर-कानूनी होगा, जब तक इसका अग्रीमेंट न बनवाया गया हो. किरायेदार के मकान छोड़ने के एक महीने के अंदर मकान मालिक को सिक्योरिटी मनी वापस देनी होगी. अगर कोई विवाद होता है तो मकान मालिक किरायेदार की बिजली, पानी जैसी सुविधाएं नहीं काट सकेगा.
रेनोवेशन के बाद किराया बढ़ाना
कानून में कहा गया है कि बिल्डिंग के ढांचे की देखभाल के लिए किरायेदार और मकानमालिक दोनों ही जिम्मेदार होंगे. अगर मकानमालिक ढांचे में कुछ सुधार कराता है तो उसे रेनोवेशन का काम खत्म होने के एक महीने बाद किराया बढ़ाने की इजाजत होगी. हालांकि इसके लिए किरायेदार की सलाह भी ली जाएगी.
रेंट अग्रीमेंट लागू होने के बाद अगर बिल्डिंग का ढांचा खराब हो रहा है और मकानमालिक रेनोवेट कराने की स्थिति में नहीं है तो किरायेदार किराया कम करने को कह सकता है.
किरायेदार की मौत होने पर
रेंट एग्रीमेंट के दौरान अगर किरायेदार की मौत हो जाती है तो रेंट एग्रीमेंट उसकी मौत के साथ ही खत्म हो जाएगा. अगर मृतक का परिवार भी है तो किरायेदार के अधिकार उसके परिवार के पास चले जाएंगे.
मकान मालिक के लिए प्रावधान (House Owner Rights)
नए कानून के मुताबिक, अगर समय पर किरायेदार ने मकान खाली नहीं किया तो किराया पहले दोगुना और फिर चार गुना हो जाएगा. किराये के मकान का रखरखाव किरायेदार को ही कराना होगा. रख-रखाव नहीं कराने पर मकान मालिक रख-रखाव का काम करेगा और किरायेदार का जो पैसा सिक्योरिटी डिपॉजिट में जमा है, उसमें से पैसा काट सकता है.
किरायेदार अगर प्रॉपर्टी के रख-रखाव पर खर्चा करता है तो जो पैसा वो किराये के तौर पर दे रहा है, वो उसमें से काट सकता है. साथ ही अगर प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचता है तो मकान मालिक को बताना होगा. ऐसा नहीं है कि किरायेदार बिना बताए चला जाएगा.
कहां होगी सुनवाई
नए कानून के मुताबिक केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों से कहा गया है कि वह किराया विवाद निपटाने वाली अदालतों, प्राधिकरण या अधिकरण का गठन करें. यह संस्थाएं सिर्फ मकानमालिक और किरायेदारों के विवादों का निपटारा करेंगी. अब किराये से संबंधित विवाद निपटाने के लिए सिविल अदालतों में वाद दायर नहीं हो सकता है.