Power Crisis In Punjab: पंजाब में फिर बिजली संकट छाने के आसार है। राज्य के थर्मल प्लांटों में कोयला संकट गहराता जा रहा है। यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में थर्मल प्लांट ठप होने से बिजली उत्पादन प्रभावित हो सकता है। मौजूदा समय में राज्य के थर्मल प्लांटों में तीन से 14 दिन तक के कोयले का स्टाक उपलब्ध है। नियमानुसार यह कम से कम 25 से 30 दिन तक होना चाहिए। हालांकि झारखंड से कोयले के छह रैक शुक्रवार तक आने की उम्मीद है, लेकिन अगले चार दिनों तक और कोयला आने के आसार नहीं हैं।
कोयले की स्थिति के बारे में पारवरकाम के डायरेकटर (जनरेशन) इंजीनियर परमजीत सिंह ने कहा कि वर्तमान में थर्मल प्लांटों में कोयला है और अगली स्थिति के लिए केंद्र सरकार के स्तर पर बातचीत चल रही है। पंजाब के गोइंदवाल थर्मल प्लांट में सिर्फ तीन दिन के लिए 5.9 मीट्रिक टन कोयला बचा है। इसके अलावा, लहरा मोहब्बत में 10 दिनों के लिए 8.59 टन, राजपुरा प्लांट में 11 दिनों के लिए 19.7 टन, रोपड़ में 14 दिनों के लिए 7.76 टन और तलवंडी साबो प्लांट में 14 दिन लायक 18.2 टन कोयला बचा है।
आम दिनों में पंजाब के थर्मल में रोजाना 12 से 15 रैक कोयला पहुंचता है लेकिन शुक्रवार को पंजाब को छह रैक कोयला ही मिलने वाला है। एक रैक में लगभग 3400 मीट्रिक टन कोयला होता है और छह रैक में 20,400 मीट्रिक टन कोयला होगा, जिसे पांच थर्मल में बांटा जाएगा। जानकारों के अनुसार पंजाब को अगले चार दिनों तक वीरवार देर शाम तक कोयला मिलने की कोई सूचना नहीं है।
पंजाब के थर्मल प्लांटों में कोयले की स्थिति चिंताजनक है। निजी और सरकारी थर्मल प्लांटों को कोल लिंकेज के जरिये कोयला उपलब्ध कराया जाता है। ऑर्डर मिलने के बाद थर्मल तक स्टाक पहुंचने में तीन से सात दिन लगते हैं। यदि अगले चार दिन में कोयला न मिला तो करीब नौ दिन तक कोयले इंतजार करना पड़ेगा। जिसका सीधा असर थर्मल पावर जनरेशन पर पड़ने की संभावना है।
