इसने दवा कंपनियों को भी चिंतित कर दिया है. अब उन्हें इस बात की भी चिंता सता रही है क्या उनकी कोविड-19 वैक्सीन नए वैरिएंट का मुकाबला कर पाएगी.
कोरोना वायरस का नया वैरिएंट Omicron की सबसे पहले पहचान दक्षिण अफ्रीका में हुई है. लेकिन अब यूरोप और एशिया में भी यह मिला है. इससे पूरी दुनिया में इसके म्यूटेशन को लेकर चिंता पैदा हो गई है. इस बात को लेकर भी चिंता जताई जा रही है कि इसकी म्यूटेशन की संख्या को देखते हुए यह तेजी से फैल सकता है या फिर पहले के संक्रमण या वैक्सीनेशन से बने एंटीबॉडी को नाकाम कर सकता है.
कोरोना वायरस के इस नए वैरिएंट के आने की खबरों के बाद शुक्रवार ने कई देशों ने नए यात्रा प्रतिबंध का ऐलान कर दिया. इसने दवा कंपनियों को भी चिंतित कर दिया है. अब उन्हें इस बात की भी चिंता सता रही है क्या उनकी कोविड-19 वैक्सीन नए वैरिएंट का मुकाबला कर पाएगी.
वैज्ञानिक क्यों चिंतित हैं?
डब्ल्यूएचओ ने इस नए वैरिएंट को B.1.1.529 वैरिएंट या Omicron के तौर पर वर्गीकृत किया है. उसका कहना है कि दूसरे वैरिएंट की तुलना में यह ज्यादा तेजी से फैल सकता है. डेल्टा वैरिएंट अब भी दुनिया भर में सबसे मजबूती से फैला हुआ है. अमेरिका में 99.9 फीसदी कोरोना के केस डेल्टा वैरिएंट के हैं. अमेरिका में पीट्सबर्ग मेडिकल सेंटर यूनिवर्सिटी में इन्फेक्शन प्रिव्हेंशन एंड हॉस्पिटल एपिडिमियोलोजी के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. ग्राहम सिंडर का मानना है कि कहना है कि अभी यह पक्का नहीं है कि नया वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट की जगह ले भी पाएगा या नहीं. लेकन नया वैरिएंट वैक्सीन की ओर से टारगेट किए जाने वाले हिस्से में 30 से अधिक म्यूटेशन करता है. दक्षिण अफ्रीका में नए संक्रमण में रफ्तार में इसका बड़ा हाथ है.
क्या नया वैरिएंट नेचुरल एंटीबॉडी या वैक्सीन को बेअसर कर देगा?
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. डेविड हो कहते हैं Omnicron म्यूटेशन कोविड-19 ट्रीटमेंट और कुछ एंटीबॉडी को बेअसर कर सकता है. प्रयोग के दौर से गुजर रही फाइजर की एंटीवायरल गोली Paxlovid और Merck की molnupiravir वायरस के उन हिस्सों को निशाना बनाती है, जो Omicron में नहीं बदलते. ऐसे में ये गोलियां प्राकृतिक और वैक्सीन से इम्यूनिटी को मिल रही चुनौती की स्थिति में ज्यादा कारगर साबित हो सकती है
क्या Omicron कोरोना के पुराने वैरिएंट्स से ज्यादा खतरनाक है?
वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी उन्हें इस वैरिएंट से पैदा होने वाली बीमारियों और उनकी संक्रमण क्षमता का पता लगाने में देरी लगेगी.अभी यह भी पता नहीं है कि यह वैरिएट कहां तक फैल चुका है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या कोविड-19 का वैक्सीन इस वैरिएंट पर कारगर साबित होगा. दुनिया भर में कोविड वैक्सीन के 8 अरब डोज लग चुके हैं. क्या कोरोनावायरस से पहले संक्रमित हुए लोग Omicron से बच सकेंगे. विशेषज्ञों को यह भी पता नहीं है कि Omicron कोरोनावायरस की पहले की प्रजातियों से ज्यादा या कम खतरनाक है.
क्या है वैज्ञानिकों की सलाह?
बहरहाल वैज्ञानिकों का मानना है कि Omicron पर मौजूदा कोरोना वैक्सीन के असर पर उठते सवालों के बजाय वैक्सीनेशन हमारी प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए. लोगों को मास्क पहनना नहीं छोड़ना चाहिए. जहां तक संभव हो भीड़भाड़ वाली जगह में न जाएं.वेंटिलेशन वाले कमरे में रहे हैं और हाथ धोते रहें.