राज्य सरकार के खजाने में चालू वित्तीय वर्ष के तहत बालू की नीलामी से 500 करोड़ रुपए मिलेंगे। इससे विकास योजनाओं में तेजी आने की उम्मीद है। खान एवं भूतत्व विभाग के अधिकारियों ने बालू से मिलने वाले राजस्व का अनुमान लगाया है। बालू से आने-वाले सालों में और भी अधिक राजस्व जुटाने की आशा है। इसलिए खान एवं भूतत्व विभाग ने इसकी नीलामी को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है।
अभी तक आठ जिलों पटना, भोजपुर, सारण, औरंगाबाद, रोहतास, गया, जमुई और लखीसराय जिलों में पहले चरण में हुई 134 बालू घाटों की नीलामी में राज्य सरकार को 105 करोड़ रुपए मिले हैं। इतनी ही राशि मार्च में भी मिलेगी। अगले चरण में दूसरे आठ जिलों अरवल, बांका, बक्सर, हाजीपुर, किशनगंज, मधेपुरा, बक्सर और बेतिया जिलों में 19 दिसंबर से निविदा प्रक्रिया शुरू होगी। यहां से भी कुल मिलाकर 250 करोड़ आने की आशा है। मार्च के अंत तक लगभग 500 करोड़ केवल बालू से राज्य के कोष में जमा हो जाएगा।
एक ही निविदा पर 18 घाटों का होगा आवंटन
प्रदेश के 18 बालू घाटों की आवंटन प्रक्रिया में केवल एक ही निविदा आई है। प्रदेश में बालू की किल्लत को देखते हुए इन 18 घाटों के आवंटन के लिए भी तरीका निकालने की मशक्कत की जा रही है। इसके लिए 16 दिसंबर को बैठक रखी गई है। संबंधित पदाधिकारी इस पर मिलकर मंथन करेंगे।
राज्य के गैर कर राजस्व में होगा इजाफा
बालू की नीलामी से 500 करोड़ मिलने से राज्य के गैर कर राजस्व में इजाफा होगा। 2021-22 के वित्तीय वर्ष के तहत प्रदेश में 5505 करोड़ 48 लाख के संग्रह का लक्ष्य रखा गया है। अक्टूबर तक इनमें से मात्र 1333 करोड़ 74 लाख रुपए यानी कुल लक्ष्य का 24.23 फीसदी ही संग्रह हो पाया। जबकि पिछले साल इसी महीने तक 40.68 प्रतिशत गैर कर राजस्व का संग्रह हो चुका था। बालू की पूरी राशि आने पर पिछले साल की तरह ही गैर कर राजस्व की प्राप्ति का लक्ष्य पूरा हो सकता है।