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क्‍या भारत के लिए उपयोगी रहेगा लाकडाउन का नया फार्मूला? WHO ने दी हरी झंडी- जानें एक्‍सपर्ट व्‍यू

दुनियाभर में ओम‍िक्रोन के बढ़ते प्रकोप के चलते एक बार फ‍िर लाकडाउन का मामला जोर पकड़ रहा है। दुनिया के कई मुल्‍कों ने तीसरी लहर को रोकने के लिए अपने देश में लाकडाउन लगा भी दिया है। भारत में तीसरी लहर की दस्‍तक हो चुकी है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। दुनियाभर में ओम‍िक्रोन के बढ़ते प्रकोप के चलते एक बार फ‍िर लाकडाउन का मामला जोर पकड़ रहा है। दुनिया के कई मुल्‍कों ने तीसरी लहर को रोकने के लिए अपने देश में लाकडाउन लगा भी दिया है। भारत में तीसरी लहर की दस्‍तक हो चुकी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्‍या भारत में लाकडाउन की जरूरत होगी। खासकर तब जब भारत के सात राज्‍य कोरोना से बुरी तरह से प्रभावित हैं। इसलिए भारत में दबी जुबान से लाकडाउन की बात चल रही है। लाकडाउन का नाम आते ही देश की जनता सहम जाती है, क्‍यों कि दूसरी लहर के लाकडाउन में उसने देश को बर्बादी के कगार पर देखा है। आइए, जानते हैं कि क्‍या भारत में लाकडाउन की स्थिति है। इस पर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने भी भारत के लिए कुछ सुझाव दिए हैं।

1- विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने कहा है कि भारत में कोरोना वायरस की तीसरी लहर के बावजूद फुल लाकडाउन लगाने की जरूरत नहीं है। संगठन ने कहा है कि भारत जैसे देश में कोरोना को फैलने से रोकने लिए फुल लाकडाउन और यात्राओं पर प्रतिबंधित जैसे कदम नुकसान पहुंचा सकते हैं। संगठन ने लाकडाउन का एक नया फार्मूला बताया है। संगठन ने कहा कि भारत को तीसरी लहर लड़ने के लिए रिस्‍क के हिसाब से बैन लगाने के लिए रणनीति बनानी चाहिए।

2- विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने दूसरी लहर से सबक लेते इस बात पर जोर दिया है कि लोगों की जान और रोजगार दोनों को ही बचाना जरूरी है। संगठन ने कहा कि भारत और दुनियाभर में पब्लिक हेल्थ एक्शन तय करने के लिए चार सवालों के जवाब जानने चाहिए। संगठन ने कहा कि यह देखना जरूरी है कि यह वैरिएंट कितना संक्रामक है। उससे कितनी गंभीर बीमारी होती है। इसके अलावा वैक्सीन और पिछले कोरोना इन्फेक्शन कितना सुरक्षा दे रहे हैं। संगठन ने कहा कि आम लोग खतरे को कैसे देखते हैं और इसे रोकने के उपायों को कैसे फालो करते हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन का कहना है भारत में फुल लाकडाउन जैसे उपायों के फायदे कम और नुकसान ज्यादा है।

3- संगठन ने कहा वह पूरी तरह से यात्रा को प्रतिबंधित या लोगों के आवागमन रोकने का सुझाव नहीं देता है। ऐसे प्रतिबंध लगाने से फायदे से ज्यादा नुकसान होता है। ऐसे में भारत की आर्थिक व्‍यवस्‍था पर असर पड़ेगा। भारत जैसे देश में जहां आबादी के बंटवारे में इतनी विविधता है, वहां महामारी से लड़ने के लिए रिस्क-बेस्ड अप्रोच को फालो करना समझदारी लगती है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने कहा कि मौजूदा हालातों, हेल्थ सेक्टर की क्षमताओं और सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए सरकार को महामारी रोकने के लिए उपाय तैयार करने चाहिए। अगर सभी नियमों का पालन किया जाएगा तो लाकडाउन लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

4- संगठन का कहना है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए मास्क और वैक्सीन कवरेज असरदार उपाय है। अभी जो हालात हैं, उसमें मौजूदा टूल्स और उपाय असरदार साबित हो रहे हैं। वैक्सीनेशन कवरेज बढ़ाने, मास्क का इस्तेमाल करने, हाथों का हाइजीन और शारीरिक दूरी बनाए रखने, इनडोर स्पेस को वेंटिलेट करने और भीड़ में नहीं जाने से संक्रमण की चेन को तोड़ने में मदद मिलती है। अगर इन सबका पालन हो रहा है तो लाकडाउन जरूरी नहीं है।

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