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रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत में खाने का तेल हो सकता है महंगा! बचने के लिए SEA तलाश रहा है उपाय

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देश में खाना पकाने के तेल की कीमतों को स्थिर रखने और आपूर्ति जारी रखने के लिए सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) उपायों पर काम कर रहा है। दरअसल यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष के कारण सूरजमुखी के तेल का आयात प्रभावित हुआ है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष के कारण सूरजमुखी के तेल का आयात प्रभावित होने के बीच उद्योग निकाय SEA ने कहा कि घरेलू आपूर्ति बनाए रखने और खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए वह अन्य देशों से खाना पकाने के तेल खरीदने के विकल्पों पर विचार कर रहा है। उद्योग को उम्मीद है कि खाना पकाने के तेल की कीमतें स्थिर बनी रहेंगी क्योंकि अगले महीने से घरेलू सरसों के तेल की आपूर्ति में सुधार होगा। सरसों की फसल की कटाई शुरू हो चुकी है। बता दें कि वैश्विक कीमतों में तेज वृद्धि के कारण भारत के खाद्य तेलों का कुल आयात 2020-21 के विपणन वर्ष (नवंबर से अक्टूबर) में पिछले वर्ष के लगभग 72,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.17 लाख करोड़ रुपये हो गया। मात्रा के लिहाज से आयात 130 लाख टन पर स्थिर रहा।

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सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने पीटीआई को बताया, “रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के कारण सूरजमुखी तेल की आपूर्ति बाधित हो गई है। भारत सालाना 25 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात करता है, जिसमें से 70 फीसदी यूक्रेन से, 20 फीसदी रूस से और 10 फीसदी अर्जेंटीना से आता है।” उन्होंने कहा कि मासिक आधार पर लगभग 2 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात किया जाता है। मेहता ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पाम तेल और सोयाबीन तेल की कीमतों में तेजी का दबाव है।

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उन्होंने कहा, “चूंकि खाद्य तेल आयात पर हमारी निर्भरता 65 प्रतिशत है, इसलिए हम अपनी घरेलू आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने और स्थानीय खुदरा कीमतों को स्थिर रखने के लिए अन्य देशों से खाद्य तेल प्राप्त करने की सभी संभावनाएं तलाश रहे हैं।” मेहता ने कहा कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्थिति का जायजा लेने और घरेलू उपलब्धता को बढ़ावा देने के तरीकों का पता लगाने के लिए शुक्रवार शाम खाद्य तेल उद्योग के लोगों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा, “घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए हमने कई सुझाव दिए।”

मेहता ने कहा, “हम इंडोनेशिया से पाम तेल के अपने आयात को बढ़ा सकते हैं, जो बड़ी मात्रा में पाम तेल का उपयोग ईंधन के लिए कर रहा है। हम दुबई से कैनोला तेल भी प्राप्त कर सकते हैं। राइस ब्रैन ऑयल और ओलिव ऑयल भी आयात किया जा सकता है।” इसके अलावा, उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों से बचने के लिए रुपये-रूबल समझौते के माध्यम से रूस से सूरजमुखी तेल का आयात किया जा सकता है।

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