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क्लासरूम दो बार सैनिटाइज होंगे, प्रार्थना सभा पर लगी रोक, बच्चों में कोरोना के बढ़ते मामलों को देख स्कूलों ने कसी कमर

कोरोना के बढ़ते संक्रमण से मुकाबले के लिए स्कूल प्रशासन ने कमर कस ली है। स्कूल में छात्रों की कक्षा को दिन में दो बार सैनिटाइज किया जाएगा, जबकि पढ़ाई के दौरान मास्क अनिवार्य रहेगा। छात्रों को घर से सैनिटाइजर साथ लाना होगा। स्कूलों ने इस संबंध में अभिभावक और छात्रों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

स्कूल कर्मचारियों को बूस्टर डोज लेने के निर्देश : रोहिणी स्थित माउंट आबू पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य ज्योति अरोड़ा ने बताया कि छात्रों को स्कूल भेजने के संबंध में अभिभावकों के साथ दिशानिर्देश साझा कर दिए हैं। स्कूल में छात्रों के लिए मास्क अनिवार्य कर दिया गया है। घर से सैनिटाइजर लेकर आना होगा। हालांकि, स्कूल परिसर में जगह-जगह सैनिटाइजर की व्यवस्था है, लेकिन छात्र के हाथ में भी होना जरूरी है। कक्षा को भी समय-समय पर सैनिटाइज किया जाएगा। स्कूल कर्मचारियों को बूस्टर डोज लगवाने के लिए निर्देश दिए है।

खेल से जुड़ी गतिविधियां कम की जाएंगी : शिवाजी पार्क स्थित लिटिल फ्लावर्स पब्लिक स्कूल के प्रबंध निदेशक रोहित दुआ ने कहा कि प्रवेश-निकास द्वार पर सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन होगा। छात्रों की कक्षा को दो बार सेनेटाइज करेंगे। खेल से जुड़ी गतिविधियां कम कर दी गई हैं। अगर जरूरत पड़ी तो सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार पहले की तरह ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड में छात्रों को पढ़ाएंगे।

कक्षा के समय में बदलाव : मयूर विहार फेज-3 स्थित विद्या बाल भवन सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. सतवीर शर्मा ने कहा कि कोविड संक्रमण के संबंध में शिक्षकों की कार्यशाला आयोजित की है। अगर उन्हें कक्षा में पढ़ाई के दौरान कोई भी बच्चा अस्वस्थ्य लगता है तो उसकी तुरंत सूचना देंगे। साथ ही अभिभावकों से आग्रह किया गया है कि वह बीमारी के लक्षण दिखने पर बच्चों को स्कूल न भेजे। छोटी और बड़ी कक्षा के छात्रों के समय में बदलाव किया गया है। प्रार्थना सभा और खेल से जुड़ी गतिविधियां सोमवार से आयोजित न करने का फैसला लिया गया है।

कोविड जांच के लिए आग्रह: विकासपुरी स्थित ममता मॉडर्न सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रधानाचार्य पल्लवी शर्मा ने कहा कि दिल्ली में कोरोना के मामले बढ़ने पर अभिभावकों के बीच चिंता जरूर बढ़ी है।

अगर कक्षा में किसी बच्चे की तबीयत खराब होती है तो उसे तुरंत घर भेजेंगे। बच्चे की कोविड जांच के लिए अभिभावकों से आग्रह किया जाएगा। इस समय वायरल भी हो रहा है। इस कारण भी बच्चों में खांसी, बुखार, जुखाम के लक्षण सामने आ रहे हैं।

अभिभावकों की चिंता बढ़ी : दिल्ली अभिभावक संघ की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने बताया कि जिस तरह से दोबारा संक्रमण बढ़ा है। अभिभावकों के बीच चिंता बढ़ गई है। खास तौर पर जिन बच्चों को वैक्सीन की डोज नहीं लगी है। चाहे वह वैक्सीन के पात्र है या नहीं। अभिभावक सरकार से दोबारा हाइब्रिड (ऑफलाइन और ऑनलाइन) मोड में पढ़ाई की मांग कर रहे हैं।

बच्चों के संक्रमित होने पर घबराएं नहीं : विशेषज्ञ

बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले आने पर अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर चिंतित हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को स्कूल भेजें, क्योंकि बच्चों में संक्रमण के गंभीर होने का खतरा कम है।

स्कूल बंद करना ठीक नहीं

मधुकर रेनबो चिल्ड्रन अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनामिका दुबे ने कहा कि बच्चों के मामले में ओमीक्रोन स्वरूप खतरनाक नहीं है। बच्चों में बुखार, उल्टी, खांसी और जुखाम का होना सामान्य है। हर बच्चा एक समय में इस तरह के लक्षणों से संक्रमित होता है। कोरोना के मामले आने पर स्कूल बंद करना ठीक नहीं है।

बच्चे ये सावधानी बरतें

● स्कूल, कक्षा में मास्क लगाकर रहें

● खांसी और जुखाम की स्थिति में घर पर आराम करें

● अपने हाथों को धोते रहें

● परिवार में कोई सदस्य बीमार है तो स्कूल न जाएं

● टीकाकरण के पात्र बच्चे वैक्सीन जरूर लगवाएं

घर में हर्ड इम्यूनिटी वाला माहौल

गंगाराम अस्पताल के बाल रोग विभाग के डॉ. धीरेन गुप्ता ने बताया कि संक्रमित बच्चों के ठीक होने की दर लगभग 100 फीसदी रहा है। परिवार में अगर पांच सदस्य हैं और बच्चे को छोड़कर सब को वैक्सीन लग गई है तो घर में हर्ड इम्यूनिटी वाला माहौल है। ऐसे में स्कूल बंद करना ठीक नहीं है।

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