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यूपीआई से होने वाली धोखाधड़ी से बचाएंगे ये पांच तरीके

ऑनलाइन भुगतान के लिए आज एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) एक प्रसिद्ध माध्यम बन चुका है। अपने प्रभाव के कारण यह बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है। यूपीआई के ज्यादा इस्तेमाल के साथ बैंकिंग धोखाधड़ी का जोखिम भी बढ़ा है। पिछले कुछ सालों में यूपीआई उपभोक्ताओं के साथ भी वित्तीय धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ी हैं। ऐसे में हम आपको ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं जिनका इस्तेमाल कर धोखाधड़ी की संभावन में कमी लाई जा सकती है।

1- ग्राहक सेवा केंद्र, बैंक, सरकारी संस्थान या नामी-गिरामी कंपनी के नाम से कॉल करने वालों को कभी भी यूपीआई आईडी और पिन साझा नहीं करें। हमेशा कॉल करने वाले या संदेश भेजने वाले के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाएं। यदि कोई आपसे पिन की जानकारी मांगता है तो वह धोखेबाज हो सकता है।

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2- जरूरी जानकारी या केवाईसी अपडेट करने का दावा करने वाले ग्राहक सेवा प्रतिनिधि को कभी भी अपने मोबाइल या कंप्यूटर का एक्सेस नहीं दें।

3- इनाम, कैशबैक या पैसे का लालच देने वाली किसी भी वेबसाइट से लेनदेन नहीं करें। ऐसे धोखेबाज छोटे लेनदेन के जरिए आपकी यूपीआई आईडी और पिन की जानकारी ले सकते हैं। एक बार पिन मिलने के बाद वे आपके बैंक खाते से सारा पैसा निकाल सकते हैं।

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4- यूपीआई पिन को हर महीने बदलें। ऐसा ना होने पर कम से कम तीन महीने में यूपीआई पिन को जरूर बदलें। खाते को सुरक्षित रखने के लिए यह एक अच्छी आदत है।

5- धोखाधड़ी से बचने के लिए यूपीआई पर रोजाना लेनदेन की जाने वाली राशि की सीमा भी तय कर सकते हैं।

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