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महाराष्ट्र

अंधेरे में डूबेगा महाराष्ट्र? कोयला संकट से बिजली उत्पादन गिरा, पावर प्लांट पैनिक मोड में

Coal shortage power crisis: महाराष्ट्र में ताप विद्युत आधारित 7 पावर प्लांट हैं. इन प्लांटों को पूरी क्षमता से चलने के लिए रोजाना करीब 1.45 लाख मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है, लेकिन शनिवार को सिर्फ 6.5 लाख मीट्रिक टन कोयला ही बैकअप में था. नासिक और भुसावल प्लांट में तो एक-दो दिन का ही कोयला स्टॉक बचा है.

मुंबई. देश में गहराते कोयला संकट का असर महाराष्ट्र के 7 पावर प्लांट्स पर भी पड़ा है. राज्य के बिजलीघरों में से कइयों में तो सिर्फ एक-दो दिन का कोयला स्टॉक बचा है. कोयले की कमी के कारण पूरी क्षमता के साथ बिजली उत्पादन नहीं हो पा रहा है. हालांकि केंद्रीय कोयला मंत्री ने कोयले की कमी से इनकार किया है. उनका दावा है कि एक महीने तक काम चलाने लायक कोयला उपलब्ध है. महाराष्ट्र में ताप विद्युत आधारित 7 पावर प्लांट नासिक, भुसावल, बीड, चंद्रपुर, कोराडी, खापरखेड़ा और पारस में हैं. इन प्लांटों की बिजली उत्पादन क्षमता 9540 मेगावॉट है.

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल ये 6900 मेगावॉट बिजली ही पैदा कर पा रहे हैं. वजह कोयले का संकट है. बिजली उत्पादन से जुड़े अधिकारियों ने अखबार को बताया कि इन प्लांटों को पूरी क्षमता से चलने के लिए रोजाना करीब 1.45 लाख मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है. लेकिन शनिवार को सिर्फ 6.5 लाख मीट्रिक टन कोयला ही बैकअप में था.

अधिकारियों के मुताबिक, नासिक और भुसावल प्लांट्स में तो महज एक-दो दिन का ही कोयला स्टॉक रह गया है जबकि 7 दिनों का बैकअप होना चाहिए. बाकी पावर प्लांट्स में भी कुछ ही दिन का स्टॉक बचा है. हालांकि वे ये भी मानते हैं कि कोयले का ये संकट पिछले तीन-चार महीनों से है, लेकिन इस वक्त गर्मी की वजह से बिजली की डिमांड काफी बढ़ गई है. ऐसे में कोयले की कमी खलने लगी है.

महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड के प्रवक्ता ने बताया कि शनिवार को बिजली की कुल डिमांड 24,551 मेगावॉट थी, जबकि बिजली 16,993 मेगावॉट ही मिली. उन्होंने कहा कि राज्य के पावर प्लांट्स में एक से 7 दिन का ही कोयला स्टॉक बचा है. अगर कोयला नहीं मिला तो उत्पादन प्रभावित होगा. महाराष्ट्र को कोयले की ज्यादातर सप्लाई चंद्रपुर और विदर्भ से मिलती है. बिजली संकट को देखते हुए राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार ने शुक्रवार को विदेश से कोयला आयात करने की बात कही थी. साथ ही छत्तीसगढ़ से भी कोयला लाने के प्रयास करने की जानकारी दी थी.

इस वक्त देश के ज्यादातर पावर प्लांट कोयले की कमी से जूझ रहे हैं. द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में बिजली की 70 फीसदी मांग कोयला आधारित पावर प्लांटों से पूरी होती है. इस वक्त 100 से ज्यादा थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले का स्टॉक घटकर 25 फीसदी से भी कम रह गया है. 50 प्लांटों में तो महज 10 फीसदी ही कोयला बचा है.

हालांकि कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शनिवार को दावा किया कि पावर प्लांट्स के लिए पर्याप्त कोयला उपलब्ध है. उन्होंने आंकड़े देते हुए बताया कि विभिन्न स्त्रोतों से 72.50 मिलियन टन कोयला मौजूद है, इसमें से 22 मिलियन टन थर्मल पावर प्लांट्स में है. यह एक महीने तक के लिए पर्याप्त है. कोयला का रिकॉर्ड उत्पादन करके रोजाना कोयले की कमी पूरी की जा रही है.

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