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Monkeypox outbreak : क्या आपके ट्रेवल और स्वास्थ्य बीमा में कवर होगा इसके इलाज का खर्च?

कोविड-19 के बाद अब एक और संक्रामक बीमारी कई देशों में सामने आ रही है. इसका नाम है मंकीपॉक्स. इसका भारत में कोई मामला फिलहाल सामने नहीं आया है. लेकिन जो लोग विदेश जा रहे हैं उनके लिए यह जानना जरुरी है कि क्या बीमा के अंतर्गत इसके इलाज का खर्च शामिल है?

नई दिल्ली. दुनिया ने जहां अभी एक ओर कोविड-19 के साथ रहना सीखा ही था कि एक नई संक्रामक बीमारी ने दस्तक दे दी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 21 मई 2022 तक 12 देशों में मंकीपॉक्स के 92 केस दर्ज हो चुके हैं. इन देशों में यूएस, यूके, पुर्तगाल, स्पेन व ऑस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल हैं.

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बेशक यह बीमारी उतनी खतरनाक नहीं है जितनी कोविड-19 थी लेकिन फिर अगर आप देश से कहीं बाहर जा रहें तो आपको किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए. ऐसे में आपका ट्रेवल व स्वास्थ्य बीमा यहां एक महत्वपूर्ण किरदार अदा करता है. यह जानना जरुरी है कि क्या आपका बीमा मंकीपॉक्स के इलाज में होने वाले खर्च को कवर करता है या नहीं.

हॉस्पिटलाइजेशन का खर्च कवर करेगा ट्रेवल बीमा
ट्रेवल और स्वास्थ्य बीमा के अंतर्गत संक्रामक रोगों को कवर किया जाता है. चूंकि, मंकीपॉक्स एक संक्रामक रोग है इसलिए आपका जनरल बीमा इसके इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर खर्च वहन करेगा. मनीकंट्रोल के लेख में आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इश्योरेंस के संजय दत्ता ने कहा है, “वैसे तो अधिकांश ट्रेवल इंश्योरेंस पॉलिसी मंकीपॉक्स संबंधी इलाज का खर्च वहन करेंगी लेकिन आपको एक बार अपनी पॉलिसी को अच्छे से पढ़ लेना चाहिए ताकि आप इसे बारीकी से समझ सकें. इससे लोग बीमार हो रहे हैं लेकिन अभी तक अस्पताल में भर्ती होने के बहुत मामले नहीं आए हैं. ऐसा होता है तो हम इलाज का खर्च उठाएंगे.” मनीपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस की सीओओ प्रिया देशमुख गिलबिले ने भी उपरोक्त कथन को दोहराते हुए कहा कि आमतौर पर बीमा का लाभ लेने के लिए 24 घंटे तक अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है. उसके बाद आपको बीमा का लाभ मिल जाएगा.

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मेडिकल इवैक्यूएशन
अगर कोई ऐसी स्थिति बनती है कि पॉलिसीधारक को इलाज के लिए इवैक्यूएट कर भारत लाना है तो इसका खर्च ट्रेवल पॉलिसी इसका खर्च उठाएगी. हालांकि, अगर आप भारत आकर इलाज करवाना चाहते हैं तो आपका ट्रेवल बीमा इसका खर्च नहीं उठाएगा. इसके लिए आपको जनरल बीमा के तहत ही दावा करना होगा. गौरतलब है कि इसका मुख्य असर, यूरोप, यूएस और ऑस्ट्रेलिया में देखने को मिला है. भार में इसका अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया है.

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