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छोटे शहरों से आएगी विकास की अगली लहर, 2026 तक 65% पर पहुंच सकता है गैर-नकदी भुगतान; पढ़ें ये रिपोर्ट

NON CASH PAYMENT REPORT यूपीआई जैसे गैर-नकदी भुगतान 2026 तक 65 प्रतिशत पर पहुंच सकते हैं। अभी देश में गैर-नकदी या डिजिटल भुगतान की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि व्यापारिक भुगतान में तेजी के कारण आने वाले सालों में डिजिटल लेनदेन कई गुना बढ़ेगा।

नई दिल्ली, पीटीआई। देश में यूपीआइ जैसे गैर-नकदी भुगतान या डिजिटल भुगतान की हिस्सेदारी 2026 तक 65 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। अभी कुल भुगतान में इसकी करीब 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। कंसलटेंसी फर्म बीसीजी और यूपीआइ सेवा प्रदाता फोनपे की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि दो वर्ष पहले कोविड की शुरुआत के बाद यूपीआइ के इस्तेमाल में तेजी आई है।

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रिपोर्ट के मुताबिक, 2026 तक डिजिटल भुगतान उद्योग भी 10 ट्रिलियन डालर तक पहुंच सकता है जो अभी तीन ट्रिलियन डालर के करीब है। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2026 तक देश की करीब 75 प्रतिशत आबादी यूपीआइ का इस्तेमाल करने लगेगी। 2021 में करीब 35 प्रतिशत आबादी यूपीआइ के जरिये भुगतान कर रही थी। बीसीजी के प्रबंध निदेशक प्रतीक रूंगटा का कहना है कि व्यापारिक भुगतानों की वजह से गैर-नकदी या डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी होगी।

व्यापारिक भुगतान में सात गुना बढ़ोतरी संभव

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रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2026 तक व्यापारिक भुगतान में करीब सात गुना की बढ़ोतरी हो सकती है और यह 2.5 से 2.7 ट्रिलियन डालर तक पहुंच सकता है। अभी कुल डिजिटल भुगतान में व्यापारिक भुगतान की हिस्सेदारी 0.3 से 0.4 ट्रिलियन डालर के करीब है। इससे गैर-नकदी लेनदेन की संख्या में बढ़ोतरी होगी। रूंगटा ने कहा कि आने वाले समय में सभी प्रकार के व्यापारों में डिजिटल भुगतान शामिल होंगे। जब ज्यादा से ज्यादा व्यापारी डिजिटल भुगतान स्वीकार करेंगे तो इससे डिजिटल लेनदेन की एक बड़ी श्रृंखला का निर्माण होगा और छोटे व्यापारियों के लिए कर्ज जुटाने के अवसर पैदा होंगे।

छोटे शहरों से आएगी विकास की अगली लहर

रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास की अगली लहर देश के छोटे-छोटे शहरों और कस्बों से आएगी। इसका कारण यह है कि बीते दो वर्षो में मोबाइल से भुगतान करने वाले नए उपभोक्ताओं में 60 से 70 प्रतिशत हिस्सेदारी टियर-3 से टियर-6 जैसे छोटे शहरों की रही है। 

रिपोर्ट में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए व्यापारिक छूट दर (एमडीआर) को बढ़ावा देने की भी वकालत की गई है। इसमें कहा गया है कि छोटे मूल्य के लेनदेन में 0.2 से 0.3 प्रतिशत एमडीआर की पेशकश से भुगतान करने वाले संस्थानों और समूचे इकोसिस्टम को स्थायी रूप से चलाने में मदद मिलेगी।

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