सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) पर हर साल एक निश्चित ब्याज निवेशकों को मिलता है. इस ब्याज की दर 2.5 फीसदी सालाना तय की गई है. यह ब्याज इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत टैक्सेबल है.
मुंबई. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, सोने में निवेश के विभिन्न माध्यमों में से एक है. इसे दूसरे निवेश माध्यमों से ज्यादा सुरक्षित माना जाता है. इसमें प्रति वर्ष 2.5 प्रतिशत का ब्याज भी मिलता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड गवर्मेंट सिक्योरिटीज हैं, जिन्हें केंद्रीय बैंक RBI, सरकार की ओर से जारी करता है. ये निवासी व्यक्तियों, अविभाजित हिंदू परिवार (HUF), ट्रस्ट्स, विश्वविद्यालयों और धर्मार्थ संस्थाओं को बेचे जाते हैं.
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सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में कम से कम एक ग्राम सोने के लिए निवेश करना होता है. कोई भी व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार मैक्सिमम 4 किलोग्राम मूल्य तक का गोल्ड बॉन्ड खरीद सकता है. ट्रस्ट और समान संस्थाओं के लिए खरीद की मैक्सिमम लिमिट 20 किलोग्राम है.
टैक्स का गणित
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) पर हर साल एक निश्चित ब्याज निवेशकों को मिलता है. इसकी ज की दर 2.5 फीसदी सालाना तय की गई है. यह ब्याज इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत टैक्सेबल है. एक वित्त वर्ष में गोल्ड बॉन्ड से हासिल ब्याज गोल्ड बॉन्ड पर मिलने वाला ब्याज करदाता की अन्य सोर्स से इनकम में काउंट होता है. इसलिए इस पर टैक्स इस आधार पर लगता है कि करदाता किस इनकम टैक्स स्लैब में आता है. हालांकि गोल्ड बॉन्ड से हासिल ब्याज पर TDS नहीं है.
मैच्योरिटी पीरियड 8 साल
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल है. 8 साल पूरा होने के बाद ग्राहक को प्राप्त होने वाला रिटर्न पूरी तरह टैक्स फ्री है. यह एक विशेष कर लाभ है, जो सरकार द्वारा बॉन्ड को अधिक आकर्षक बनाने और अधिक निवेशकों को भौतिक सोने से गैर-भौतिक सोने पर शिफ्ट करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पेश किया गया है.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड से दो तरीके से प्रीमैच्योरली एग्जिट किया जा सकता है. ऐसा करने पर बॉन्ड के रिटर्न पर अलग-अलग टैक्स रेट लागू हैं.
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लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स
पहला, आमतौर पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का लॉक इन पीरियड 5 साल है. इस अवधि के पूरा होने के बाद और मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने से पहले गोल्ड बॉन्ड की बिक्री से आने वाला रिटर्न, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में रखा जाता है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स की दर एडेड सेस और इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 20 फीसदी है.
गोल्ड बॉन्ड की बिक्री कब
दूसरा, अगर गोल्ड बॉन्ड स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं तो इन्हें आरबीआई द्वारा नोटिफाई की गई तारीख से शेयर बाजार में ट्रेड किया जा सकता है. अगर गोल्ड बॉन्ड की बिक्री, खरीद की तारीख के 3 साल के अंदर की जाती है तो प्राप्त होने वाला रिटर्न शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स माना जाएगा. यह निवेशक की सालाना आय में जुड़ेगा और एप्लीकेबल टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा. वहीं अगर गोल्ड बॉन्ड को खरीद की तारीख से 3 साल पूरे होने के बाद बेचा जाता है तो प्राप्त रिटर्न को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में रखा जाएगा और एडेड सेस व इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 20 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा.