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Moonlighting पर सख्त विप्रो चेयरमैन, रिशद प्रेमजी बोले- ऐसे कर्मचारियों के लिए कंपनी में कोई जगह नहीं

Moonlighting Issue: आईटी कंपनी विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने कहा कि, ‘अगर मूनलाइटिंग की परिभाषा पर जाएं तो यह एक दूसरी जॉब की तरह है’. हम पारदर्शिता की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विप्रो के कर्मचारी सीधे अपने प्रतिस्पर्धियों के लिए काम कर रहे हैं, जो कि अखंडता का पूर्ण उल्लंघन है.

बेंगलुरु. विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी, जिन्हें मूनलाइटिंग के मुद्दे पर काफी आलोचना का सामना करना पड़ा. उन्होंने फिर कहा कि पिछले कुछ महीनों में कंपनी के 300 लोगों को अपने एक प्रतियोगी के लिए सीधे काम करते हुए पाया. दरअसल मूनलाइटिंग को रिशद प्रेम जी गलत प्रैक्टिस बताते हुए इसे धोखा देना कहा था. ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में कहा कि इस मुद्दे पर ट्वीट के बाद उन्हें बहुत नफरत मिली लेकिन उनका मतलब ईमानदारी से थाय.

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रिशद प्रेमजी ने कहा कि, ‘अगर मूनलाइटिंग की परिभाषा पर जाएं तो यह एक दूसरी जॉब की तरह है’. हम पारदर्शिता की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विप्रो के 300 कर्मचारी सीधे अपने प्रतिस्पर्धियों के लिए काम कर रहे थे, जो कि अखंडता का पूर्ण उल्लंघन है. रिशद प्रेमजी ने साफ किया कि ऐसे कर्मचारियों के लिए कंपनी में कोई जगह नहीं है जो कॉम्पिटिटर के लिए काम करते हैं. वहीं उन कंपनियों को भी यह सोचना चाहिए कि एक दिन उन्हें भी ऐसे हालात का सामना करना पड़ सकता है.

मूनलाइटिंग पर आईटी दिग्गजों की अलग-अलग राय
रिशद प्रेमजी ने कहा कि मूनलाइटिंग को लेकर मैंने जो कहा, मैं उस पर कायम रहूंगा. दरअसल इस मुद्दे पर रिशद प्रेमजी के एक ट्वीट से आईटी इंडस्ट्री में बहस छिड़ गई थी. मूनलाइटिंग को लेकर आईटी सेक्टर के अलग-अलग जानकारों की अपनी राय और विचार थे. टीसीएस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर एनजी सुब्रह्मणयम ने इसे एक नैतिक मुद्दा बताया था. वहीं टेक महिंद्रा के सीईओ सीपी गुरुनानी ने कहा था कि उन्हें मूनलाइटिंग से कोई परेशानी नहीं है. अगर कोई एक्स्ट्रा काम करके पैसा कमाना चाहता है तो क्या दिक्कत है इसे धोखा देना नहीं कहा जा सकता है.

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वहीं इंफोसिस ने भी मून लाइटिंग को गलत प्रैक्टिस बताया था और अपने कर्मचारियों को ई-मेल जारी कर चेतावनी दी थी कि अगर वे किसी दूसरी कंपनी के लिए काम करते पाए गए, तो उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. इंफोसिस के को-फाउंडर क्रिष गोपालकृष्णन ने कहा कि, ‘यदि कर्मचारी विश्वास कायम करना चाहते हैं तो उन्हें एक संगठन के लिए काम करना चाहिए. आप एक ही समय में 2-3 कंपनियों के लिए कैसे काम कर सकते हैं. आप किसी एनजीओ या चैरिट ऑर्गेनाइजेशन के लिए ऐसा कर सकते हैं.’

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