महालया अमावस्या पितरों की विदाई व देवी भगवती के आगमन का संधिकाल माना जाता है. इस बार महालया अमावस्या 25 सितंबर को है. हिंदू धर्म में महालया अमावस्या का बड़ा महत्व है.
Mahalaya 2022: महालया यानि सर्व पितृ या पितृ विसर्जनी अमावस्या. पितृ पक्ष की ये अमावस्या यूं तो पितरों को विदाई की तिथि है, लेकिन यह मां दुर्गा के आगमन की सूचक भी है क्योंकि पितरों के गमन के साथ ही नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन होता है. ऐसे में महालया अमावस्या को पितरों की विदाई व देवी भगवती के आगमन का संधिकाल माना जाता है, जिसमें पितरों के पूजन व तर्पण का विशेष महत्व है. इस बार यह अमावस्या आज 25 सितंबर को है, जिसके महत्व व मुहूर्त के बारे में आज हम आपको महत्वपूर्ण तथ्य बताने जा रहे हैं.
अज्ञात पितरों की तृप्ति का दिन
महालया या पितृ विसर्जन अमावस्या पितृ पक्ष में सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार इस दिन हम उन सभी पितरों को याद कर उनका श्राद्ध कर्म करते हैं, जिन्हें हम भूल गए या वे अज्ञात हैं.
महालया का मां दुर्गा से जुड़ा महत्व
महालया के दिन दुर्गा मां के आगमन से पहले उनकी मूर्ति को अंतिम और निर्णायक रूप भी इसी दिन दिया जाता है.इसी दिन मां दुर्गा के पंडाल सज जाते हैं औऱ मां की मूर्ति सजती है.
पंचबलि कर्म के साथ कर सकते हैं पापों का प्रायश्चित
पितृ विसर्जनी अमावस्या पंचबलि व पापों के प्रायश्चित का दिन भी माना जाता है. इस दिन गोबलि, श्वानबलि, काकबलि और देवादिबलि कर्म किया जाता है. दैहिक संस्कार, पिण्डदान, तर्पण, श्राद्ध, एकादशाह, सपिण्डीकरण, अशौचादि निर्णय, कर्म विपाक आदि उपायों से पापों का भी प्रायश्चित किया जाता है.
पितरों की प्रसन्नता के लिए इस दिन गीता के दूसरे व सातवें अध्याय का पाठ करने का विशेष महत्व बताया गया है. एक बर्तन में दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ लेकर पीपल की जड़ सींचने तथा कही- कहीं महिषासुरमर्दनी के पाठ का विधान भी इस दिन बताया गया है.
महालया अमावस्या के मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:35 से शुरू होकर 5:23 बजे तक .
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:48 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक.
गोधुली मुहूर्त: शाम 6:02 बजे से शाम 6:26 बजे तक.
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:13 बजे से 3:01 बजे तक.