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वंदे भारत दक्षिण तक पहुंची, कहां और कैसे बनती है देश की सबसे तेज ट्रेन, आपके शहर कब आ रही, सब जानिए

VandeBharat

Vande Bharat Express Train: चेन्‍नै की इंटीग्रेटेड कोच फैक्‍ट्री (ICF) में 9,000 से ज्‍यादा कर्मचारी मिलकर वंदे भारत ट्रेनें बनाते हैं। यह रेल फैक्‍ट्री हाई-टेक मशीनों से लैस है।

दे भारत एक्‍सप्रेस ने आखिरकार दक्षिण भारत का सफर तय कर लिया। 11 नवंबर 2022 से,

चेन्‍नै और मैसूर के बीच वंदे भारत ट्रेन

दौड़ने लगी है। यह वंदे भारत ट्रेनों का पांचवां रूट है। देश की सबसे तेज ट्रेन, वंदे भारत एक्‍सप्रेस जब चलती है तो हवा से बारें करती है। 180 किलोमीटर प्रतिघंटा… जी हां, वंदे भारत एक्‍सप्रेस की अधिकतम रफ्तार यही है। रोटेटिंग चेयर्स, इमरजेंसी विंडोज, ऑटोमेटिक दरवाजे, सीसीटीवी, बायो-वैक्‍यूम… एक से बढ़कर एक सुविधाओं से लैस वंदे भारत एक्‍सप्रेस को चेन्‍नै की इंटीग्रेटेड कोच फैक्‍ट्री (ICF) में बनाया जाता है। देश की सबसे पुरानी कोच फैक्‍ट्रीज में से एक, ICF में हर साल 50 अलग-अलग ट्रेनों के 4000 से ज्‍यादा डिब्‍बे बनते हैं। वंदे भारत एक्‍सप्रेस ICF के लिए एक चुनौती की तरह है। 15 अगस्‍त, 2023 तक 75 वंदे भारत ट्रेनें तैयार करके देनी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेलवे को यही टारगेट दे रखा है।

कितनी वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं?

वंदे भारत एक्‍सप्रेस ट्रेनें देश में 5 रूट पर दौड़ रही हैं:

नई दिल्‍ली-वाराणसी वंदे भारत एक्‍सप्रेस

नई दिल्‍ली-श्री माता वैष्‍णो देवी कटरा वंदे भारत एक्‍सप्रेस

गांधीनगर-मुंबई वंदे भारत एक्‍सप्रेस

दिल्‍ली से अंब अंदोरा (ऊना, हिमाचल प्रदेश) वंदे भारत एक्‍सप्रेस

चेन्‍नै-मैसूर वंदे भारत एक्‍सप्रेस

वंदे भारत एक्‍सप्रेस ट्रेनें कहां बनती हैं?

वंदे भारत ट्रेन को इंटीग्रेटेड कोच फैक्‍ट्री (ICF), चेन्‍नै ने डिवेलप किया है। ट्रेन18 नाम से बनी वंदे भारत एक्‍सप्रेस को रेल ट्रेवल का भविष्‍य बताया ज चुका है। तकनीक से लेकर लुक तक, यह ट्रेन बेहद खास है। पैसेंजर्स को एयरक्राफ्ट जैसा एक्‍सपीरिएंस देने की कोशिश है।

ICF में कैसे बनती है वंदे भारत एक्‍सप्रेस?

वंदे भारत एक्‍स्रपेस को तैयार करने में 8 सप्‍ताह से ज्‍यादा का वक्‍त लगता है। इसके कोच का चेसिस (अंडरफ्रेम) 23 मीटर लंबा है

ICF देशभर के वेंडर्स से सामान जुटाकर ट्रेन की बॉडी तैयार करती है। हर कोच में दो साइड वॉल्‍स, दो एंड वॉल्‍स और एक छत होती है जो स्‍टेनलेस स्‍टील से बनती है।

अंडरफ्रेम को बॉडी असेंबलिंग जिग पर रखा जाता है। यहीं पर फ्रेम, दीवारों और छत को इंटीग्रेट किया जाता है। इसके बाद ढांचे को बोगियों पर रखा जाता है।

अब ट्रेन का कंकाल तैयार है। फिर स्‍पेशलाइज्‍ड पेंट बूथ पर पुताई होती है। फिर ट्रेन को फर्निशिंग फैक्‍ट्री में लाया जाता है। यहां पर फ्लोरिंग से लेकर बाकी फर्निशिंग की जाती है।

पैनलिंग के लिए फाइर-रीइन्‍फोर्स्‍ड प्‍लास्टिक का इस्‍तेमाल होता है। सबसे आखिर में सीट फिक्‍स की जाती है।

चार कोच को आपस में जोड़कर टेस्टिंग की जाती है।

वंदे भारत एक्‍सप्रेस को बनाने में लगने वाला 80-85 फीसदी सामान स्‍वदेशी है। पहिए और चिप्‍स इम्‍पोर्ट किए जाते हैं।

वंदे भारत एक्‍सप्रेस बनाने वाली टीम से मिलिए

वंदे भारत को पहले ट्रेन18 के नाम से जाना जाता था। उसका खाका खींचने और फिर हकीकत में उतारने वाले थे सुधांशु मणि, जिनके ICF का जीएम रहते यह ट्रेन तैयार हुई। वंदे भारत एक्‍सप्रेस को तैयार करने वाली ICF में 9,086 कर्मचारी हैं। इनमें से करीब 10 प्रतिशत महिलाएं हैं। वंदे भारत के लिए कोई खास स्‍टाफ नहीं है, सभी कर्मचारी इसपर काम करते हैं। ICF की जिम्‍मेदारी उसके जनरल मैनेजर अतुल कुमार अग्रवाल के हाथ में है। ICF में इस वक्‍त करीब आधा दर्जन वंदे भारत ट्रेनें बनाई जा रही हैं। ICF को 15 अगस्‍त, 2023 तक 75 वंदे भारत ट्रेनें सप्‍लाई करनी हैं।

​वंदे भारत की तकनीकी खासियतें क्‍या हैं?

वंदे भारत एक्‍सप्रेस में ‘कवच’ नाम का खास सेफ्टी सिस्‍टम लगा है।

इंटेलिजेंट ब्रेकिंग सिस्‍टम से लैस वंदे भारत एक्‍सप्रेस की ऑपरेशनल स्‍पीड 160kmph है।

इसकी बोगियां पूरी तहर से सस्‍पेंडेड ट्रैक्‍शन मोटर्स पर चलती हैं।

वंदे भारत एक्‍सप्रेस के हर कोच के बाहर चार प्‍लेटफॉर्म साइड कैमरे लगे हैं।

ट्रेन में ऑटोमेटिक गेट्स, ऑटोमेटिक फायर सेंसर्स, जीपीएस भी लगा है।

वंदे भारत एक्‍सप्रेस में पैसेंजर्स को क्‍या मिलता है?

सभी क्‍लासेज की सीटें रीक्‍लाइनिंग हैं। एक्‍जीक्‍यूटिव क्‍लास में 180 डिग्री रोटेट होने वाली सीटें दी गई हैं।

हर कोच में 32 इंच की स्‍क्रीन्‍स लगी हैं जो एंटरटेनमेंट से लेकर इन्‍फॉर्मेशन भी मुहैया कराएंगी।

वॉशरूम दिव्‍यांग फ्रेंडली और बायो-वैक्‍यूम हैं। सीट हैंडल्‍स पर ब्रेल लिपि में सीट नंबर लिखा रहता है।

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