प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मंदिरों में काल भैरव की विशेष पूजा-अराधना की जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार काल भैरव की उत्पत्ति भगवान शिव के क्रोध से हुई थी.
Kaal Bhairav Jayanti 2022: हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष मास (माघ महीना) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव अष्टमी मनाई जाती है. माना जाता है कि इसी दिन काल भैरव का अवतरण हुआ था. जो भक्त काल भैरव की पूजा करते हैं, उनके प्रति इनका स्वभाव दयालु और कल्याणकारी होता है. वहीं अनैतिक कार्य करने वालों को काल भैरव दंड भी देते हैं. इसलिए इन्हें दंडाधिपति के नाम से भी जाना जाता है. भगवान शिव के कई रूपों में काल भैरव भी एक है. पौराणिक कथाओं के अनुसार काल भैरव को भगवान शिव का विक्राल, रौद्र और उग्र रूप माना गया है. क्योंकि इनकी उत्पत्ति शिवजी के क्रोध से हुई है.
इस साल काल भैरव जयंती 16 नवंबर 2022 को है. आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं काल भैरव के जन्म से जुड़ी रोचक व पौराणिक कथा के बारे में.
काल भैरव के जन्म से जुड़ी कथा
काल भैरव के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा जी और शिवजी में बहस छिड़ गई कि दोनों देवताओं में सबसे श्रेष्ठ कौन है. इसे लेकर ब्रह्मा जी और शिव जी के बीच विवाद हुआ. तब इस विवाद को सुलझाने के लिए सभी देवताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए. सभी का समर्थन भगवान शिव को प्राप्त हुआ. देवताओं ने कहा कि जिसमें चराचर जगत, भूत-भविष्य व वर्तमान समाहित है वही श्रेष्ठ है. अर्थात भगवान शिव ही सर्वश्रेष्ठ हैं. यह सुनकर ब्रह्मा जी क्रोधित हो गए. उन्होंने क्रोध में आकर अपने पांचवे मुख से शिवजी को अपशब्द कह दिए.
शिवजी भी ब्रह्मा जी पर क्रोधित हुए और उन्होंने अपने क्रोध से भैरव को अवतरित किया. शिवजी ने भैरव से कहा तुम मेरे क्रोध से जन्मे हो तुम ब्रह्मा पर शासन करो. तब भैरव ने शिवशक्ति से संपन्न होकर अपने बाएं हाथ की कनिष्ठा अंगुली के नाखुन से ब्रह्मा जी के पांच सिर में एक सिर काट डाला. इसके बाद से ही ब्रह्मा जी के पास शेष चार सिर ही है.
हालांकि बाद में शिवजी के कहने पर भैरव ने काशी प्रस्थान किया और उन्हें ब्रह्मा जी के सिर काटने के दोष से मुक्ति मिली. शिवजी के क्रोध से जन्म लेकर भैरव ने ब्रह्मा जी को दंड दिया. इसलिए भी इन्हें दंडाधिपति कहा जाता है. काल भैरव का वाहन काला कुत्ता है और इनके हाथ में एक छड़ी होती है.