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डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और UPI के बाद अब एम्स में शुरू होगा ‘AIIMS Smart Card’ सुविधा, जानें इसके फायदे

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली में अब ‘एम्स स्मार्ट कार्ड’ (AIIMS Smart Card) की सुविधा शुरू होने जा रही है. इस सुविधा के शुरू हो जाने के बाद अब एम्स में मरीजों (Patients) को इलाज के साथ-साथ नाश्ता-पानी करने में भी काफी आराम मिलेगा. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के सहयोग से रोगियों और उनके परिचारकों के लिए एम्स प्रशासन ने ‘एम्स स्मार्ट कार्ड’ सुविधा शुरू करने का निर्णय लिया है. इसे 1 अप्रैल 2023 से ई-अस्पताल की बिलिंग से जोड़ दिया जाएगा.

नई दिल्ली. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली में अब ‘एम्स स्मार्ट कार्ड’ (AIIMS Smart Card) की सुविधा शुरू होने जा रही है. इस सुविधा के शुरू हो जाने के बाद अब एम्स में मरीजों (Patients) को इलाज के साथ-साथ नाश्ता-पानी करने में भी काफी आराम मिलेगा. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के सहयोग से रोगियों और उनके परिचारकों के लिए एम्स प्रशासन ने ‘एम्स स्मार्ट कार्ड’ सुविधा शुरू करने का निर्णय लिया है. इसे 1 अप्रैल 2023 से ई-अस्पताल की बिलिंग से जोड़ दिया जाएगा. इस सुविधा के शुरू हो जाने के बाद अगले कुछ महीनों में इस कार्ड के जरिए रोगी या उनके परिजन एम्स के भीतर सभी स्थानों पर ‘स्मार्ट कार्ड’ के जरिए भी भुगतान कर सकेंगे.

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एम्स के निदेशक डॉ एम श्रीनिवास के मुताबिक, इस सेवा के शुरू हो जाने के बाद यह कार्ड ओपीडी, अस्पताल और एम्स परिसर में स्थित कैफेटेरिया सहित अन्य जगहों पर 24 घंटे काम करेगा. अब एम्स में डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और यूपीआई के बाद एम्स स्मार्ट कार्ड से भी लोगों को भुगतान होगा. इस फैसले के बाद एम्स दिल्ली में स्मार्ट कार्ड अब खुल्ले पैसों की समस्या खत्म होने जा रही है. अब मरीजों को खुल्ले यह सुविधा अगले साल 1 अप्रैल शुरू हो जाएगी.

‘एम्स स्मार्ट कार्ड’ के फायदे
गौरतलब है कि एम्स के नए निदेशक के आने के बाद कई तरह मरीजों को लेकर कई तरह की सेवाएं शुरू की गई हैं. पहली बार एम्स में रोगियों को प्राथमिक उपचार दिए जाने के बाद अन्य अस्पतालों में भेजने के लिए एक तंत्र बनाने पर काम शुरू हो गया है. इसके पीछे की यह सोच है कि एम्ल अपने संसाधनों और विशेषज्ञता को जटिल मामलों पर केंद्रित कर सके.

निदेशक का क्या कहना है
संस्थान के निदेशक डॉ एम श्रीनिवास के मुताबिक, ‘एम्स में हर दिन लगभग 8,000 से 15,000 मरीज बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में आते हैं और ‘भीड़ को प्रबंधित करना हमारे लिए बहुत मुश्किल है.’ दिल्ली में दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के सभी अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों और प्रशासकों की एक बैठक पिछले महीने एम्स में हुई थी. हम योजना बना रहे हैं कि अगर कोई मरीज इस अस्पताल में आता है तो हम उसे आवश्यक प्राथमिक उपचार दे सकते हैं तथा अगर यहां बिस्तर उपलब्ध नहीं है तो शायद उसे एक माध्यमिक देखभाल अस्पताल में भेज दें, जहां बिस्तर उपलब्ध है.’

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डॉ श्रीनिवास ने कहा, ‘दिल्ली के माध्यमिक देखभाल अस्पताल हैं जो विशेष विशेषज्ञता की आवश्यकता वाले गंभीर और जटिल मामलों को एम्स के लिए भेज सकते हैं. इसका उद्देश्य संसाधनों, बिस्तरों और विशेषज्ञता का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए इस तरह से साझा करना है. इसके अलावा, यदि कोई मरीज बिहार से है तो वह एम्स पटना, आईजीआईएमएस पटना या बिहार के किसी अन्य मेडिकल कॉलेज और डॉक्टरों के पास जा सकता है. रोगी की जांच करने के बाद, यदि आवश्यक हो तो उसे एम्स नई दिल्ली में रेफर कर सकते हैं और हम प्राथमिकता के आधार पर उन्हें भर्ती करते हैं.’

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