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मध्य प्रदेश

क्या मध्य प्रदेश में बीजेपी के लिए चुनौती बन रही हैं उमा भारती, ‘जाति कार्ड’ से अहमियत बताने की कोशिश

उमा भारती ने एक सभा में लोधी समाज के लोगों से कहा कि वह किसी भी पार्टी के बंधन से मुक्त हैं. सोच समझकर वोट करें.

भोपाल: भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती के वायरल बयान- लोधी समुदाय की एक सभा को संबोधित करते हुए आप किसी भी राजनीतिक बंधन से मुक्त हैं- के कुछ दिनों बाद राज्य में गरमाई सियासत के बीच पूर्व मुख्यमंत्री अपने बयान पर अड़ी रहीं और कहा, इसका खंडन करने की जरूरत नहीं है क्योंकि मैंने ऐसा ही कहा है.  भोपाल में सामाजिक कार्यक्रम में अपने वायरल बयान पर सफाई देने के लिए उमा भारती ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल का सहारा लिया. उमा भारती ने 10 से अधिक ट्वीट किए और दावा किया कि वह पहले भी कई बार इस मुद्दे को उठा चुकी है. मेरे भाषण के पहले के कुछ वाक्य बताना जरूरी हैं. इसलिए ट्वीट कर रही हूं. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने लिखा, मैंने कहा कि पिछले 2018 के मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में कुछ विधानसभा क्षेत्रों से मेरी सभा से पहले लोधी समाज से कुछ फोन मेरे ऑफिस में आए थे कि दीदी की सभी बैठक रद्द कर दीजिए. हम यहां के बीजेपी के उम्मीदवार से नाराज हैं. उसी के जवाब में मैंने उस दिन ऐसा बोला है.

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कुछ समय से भाजपा नेतृत्व द्वारा दरकिनार की जा रही उमा भारती ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को तब भी उठाया था जब मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 20 से अधिक विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी और भाजपा ने सरकार बनाई थी.

उमा भारती के ट्वीट ने उचित ठहराया कि वह लोधी समुदाय के लिए एक जगह खोजने के लिए लड़ रही हैं, एक ओबीसी जाति समूह जो विशेष रूप से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश दोनों के बुंदेलखंड क्षेत्रों में काफी राजनीतिक प्रभाव रखता है. हिंदुत्व समर्थक भारती भी ग्वालियर-चंबल संभाग के लोधी समाज से ताल्लुक रखती हैं. भारती ने एक और ट्वीट किया, इस (शिवराज) मंत्रिमंडल में जाति और क्षेत्र का संतुलन बिगड़ा है. मैंने पहले भी कई बार यह कहा है.

भारती ने कहा कि उन्होंने कभी बीजेपी नहीं छोड़ी, उन्हें इससे निकाल दिया गया था. मोदी मेरे नेता हैं, भाजपा मेरी पार्टी है. मैंने कभी भाजपा नहीं छोड़ी. मुझे निकाल दिया गया. फिर, अपने कर्तव्य पथ पर चलते रहने के लिए मैंने राष्ट्रवादी विचारों की धारा में अपनी पार्टी बनाई. उन्होंने दावा किया कि उनकी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनशक्ति के भाजपा में विलय का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी समर्थन किया था.

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रविवार को भोपाल में लोधी समुदाय के एक सामाजिक कार्यक्रम में भारती को यह कहते हुए सुना गया, मैं अपनी पार्टी के मंच पर आऊंगी, मैं जनता से वोट मांगूंगी, मैं कभी नहीं कहती कि तुम लोधी हो, तुम मैं सभी से भाजपा को वोट देने के लिए कहती हूं क्योंकि मैं अपनी पार्टी का एक वफादार सिपाही हूं.

उन्होंने यह भी उल्लेख किया था कि उनकी और कल्याण सिंह (उत्तर प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री और ओबीसी नेता) की तस्वीर केवल चुनावों के दौरान दिखाई गई थी, लेकिन समुदाय के सदस्यों को केवल उनकी तस्वीरों को देखकर या उनके प्रचार भाषण को सुनकर वोट नहीं देना चाहिए. लोधी, मध्य प्रदेश के सबसे शक्तिशाली ओबीसी मतदाताओं में से एक हैं, जिन्हें पारंपरिक भाजपा मतदाताओं के रूप में जाना जाता रहा है.

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हालांकि, समुदाय का एक बड़ा वर्ग हाल के दिनों में बहुत खुश नहीं रहा है, खासकर जातिगत आरक्षण के मुद्दे पर. राज्य में 47 प्रतिशत मतदाता होने के बावजूद, ओबीसी कल्याण आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस समुदाय के पास केवल 14 प्रतिशत राजनीतिक, नौकरी और शैक्षणिक आरक्षण है. सूत्रों ने बताया कि ओबीसी संगठनों का एक नेटवर्क 2023 में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कमर कस रहा है. कुछ महीने पहले, राज्य भाजपा ने भारती के रिश्तेदार प्रीतम लोधी- शिवपुरी जिले के प्रमुख नेता- को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. गुरुवार को सिलसिलेवार ट्वीट में भारती ने यह भी कहा कि यह मुद्दा उनके और भाजपा के बीच का है और कांग्रेस को इससे दूर रहना चाहिए.

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