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इनकम टैक्स सेविंग स्कीम: पैसा बढ़ाने के साथ बचाने में भी करेंगी मदद, बडे़ काम काम की हैं ये टैक्स सेविंग योजनाएं

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Income Tax Saving Scheme: सैलरी पाने वाले कर्मचारी इनकम टैक्स फाइल करने से पहले टैक्स बचाने की भरपूर कोशिश करते हैं. ऐसी कई स्कीम हैं जिनमें इन्वेस्ट करके आप टैक्स बचा सकते हैं. इस लेख में कम आपको टॉप 5 टैक्स सेविंग स्कीम के बारे में बताया गया है.

नई दिल्ली. अब साल का वो समय चल रहा है जब ज्यादातर कॉरपोरेट्स अपने कर्मचारियों से इन्वेस्टमेंट प्रूफ लेते हैं. हर कोई ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचाना चाहता है और इसी के चलते आजकल ज्यादातर कर्मचारी ये प्रूफ जुटाने में लगे हैं. कर्मचारियों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर टैक्स की गणना की जाती है और फिर उसके अनुसार टैक्स की कटौती की जाती है.

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अगर आप भी सैलरी पाने वाले कर्मचारी है और आपने अभी तक कहीं इन्वेस्टमेंट शुरू नहीं किया है फिर भी कुछ तरीके ऐसे हैं जिनसे आप टैक्स सेविंग कर सकते हैं. हम यहां आपको एक्सपर्ट्स द्वारा सुझाए गए 5 टॉप टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट के बारे में बता रहे हैं.

इक्विटी से जुड़ी टैक्स सेविंग स्कीम
टैक्स सेविंग के लिए इक्विटी से जुड़ी स्कीम काफ़ी पॉपुलर है. ये स्कीम आपके पैसों को शेयरों में निवेश करती है जिसके लिए आपके सामने शेयरों के अलग-अलग पोर्टफोलियो की पेशकश करती हैं. हालांकि, ये स्कीम तीन साल के लॉक पीरियड के साथ आती हैं लेकिन टैक्स सेविंग ऑप्शन में ये सबसे कम समय की स्कीम है. मुंबई स्थित म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर अभय माथुरे ईएलएसएस, म्यूचुअल फंड की रिटायरमेंट से जुड़ी स्कीम और एनपीएस में इन्वेस्ट करने की सलाह देते हैं क्योंकि इनसे बेहतर रिटर्न मिलने की गुंजाइश रहती है. उन्होंने कहना है कि ईएलएसएस फंड्स दूसरों के मुकाबले बेहतर हैं क्योंकि इनमें लॉक-इन कम होता है. वैल्यू रिसर्च के अनुसार, ईएलएसएस ने पिछलर तीन वर्षों में औसतन 14.83 फीसदी रिटर्न दिया है.

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पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना
लंबी अवधि के लिए आपको इन्वेस्टमेंट ऑप्शन उपलब्ध कराने वाली इन स्कीम्स में पहले 7.1 फीसदी और बाद में 7.6 फीसदी का रिटर्न मिलता है. इनसे मिलने वाले रिटर्न पर आपको कोई भी टैक्स नहीं देना होता है. इन स्कीम्स से आपको रिटर्न लंबे समय बाद मिलता है. पीपीएफ के लिए न्यूनतम अवधि 15 साल है तो वहीं सुकन्या समृद्धि योजना बेटी की 21 वर्ष की आयु तक जाता है. हालांकि, लंबी अवधि के लिए फंड बनाने के इच्छुक निवेशक इन दोनों स्कीम में इन्वेस्ट कर सकते हैं. वहीं हाई इनकम टैक्स स्लैब में आने वाले निवेशक भी इसमें निवेश करने पर विचार कर सकते हैं.

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)
रिटायरमेंट फंड बनाने और वृद्धावस्था में वार्षिकी आय सुनिश्चित करने के लिए एनपीएस एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है. नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में इन्वेस्टमेंट पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C तहत टैक्स छूट मिलता है. इसमें सालाना 1.5 लाख और धारा 80CCD (1B) के तहत अतिरिक्त 50 हजार रुपये का भी निवेश कर सकते हैं. NPS में निवेश कर आप आयकर (Income Tax) में कुल 2 लाख रुपये की कुल छूट का फायदा ले सकते हैं.

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सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (एससीएसएस)
यह एक ऐसी स्कीम है जो पांच साल की अवधि के साथ आती है और इसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है. फिलहाल इस स्कीम के तहत जमा राशि पर 8 फीसदी का ब्याज मिलता है. एक सीनियर सिटीजन इस योजना में 15 लाख रुपये तक का निवेश कर सकता है और धारा 80 सी के तहत एक वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का लाभ उठा सकता है. इसमें ब्याज का भुगतान हर तीन महीने में किया जाता है.

नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) और टैक्स सेविंग एफडी (TFD)
ये स्कीम उन निवेशकों के लिए बेहतर ऑप्शन हो सकती है जो लो-इनकम टैक्स स्लैब से आते हैं और लंबी अवधि की प्रतिबद्धता नहीं चाहते हैं. इन दोनों स्कीम का कार्यकाल पांच साल का है. फिलहाल एनएससी 7 फीसदी की ब्याज दर ऑफर कर रहा है और टीएफडी पर लगभग 7 से 7.5 ब्याज दिया जा रहा है. हालांकि बैंक एफडी और एनएससी सालाना रिटर्न देते हैं, लेकिन निवेशकों के लिए ब्याज पर टैक्स लगता है.

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