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हाईवे टोल पर कितनी लंबी हो जाए लाइन तो नहीं लगता टैक्स! NHAI ने बताया नियम, 2 प्लाजा के बीच जरूरी है खास दूरी?

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किसी भी हाईवे व एक्सप्रेसवे पर आपको एक समय तक टोल टैक्स देना होता है. कुछ खास लोगों को इससे छूट मिलती है लेकिन आम लोग बिना भुगतान किए आगे नहीं जा सकते हैं. हालांकि, अगर लाइन बहुत लंबी हो तो ये नियम अस्थाई रूप से खत्म हो जाता है.

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नई दिल्ली. टोल प्लाजा पर कुछ खास श्रेणी के लोगों को टैक्स देने की जरूरत नहीं होती है. लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि एक आम आदमी भी बगैर भुगतान के आगे बढ़ सकता है तो आपको विश्वास नहीं होगा. हालांकि, ये संभव है. एनएचआई (NHAI) के एक पुराने ट्वीट के मुताबिक, एक खास परिस्थिति में वाहन चालक बगैर टोल टैक्स दिए आगे निकल सकता है. एनएचएआई कहता है कि अगर टोल से वाहनों की लाइन 100 मीटर तक लंबी बन गई है तो उसके बाद के वाहन बगैर टैक्स दिए वहां से निकलने के अधिकारी हैं.

एनएचएआई ने 2021 में किए एक ट्वीट में कहा है कि हर भुगतान लेने के लिए अधिकतम समय 10 सेकेंड निर्धारित किया गया है. इसी को ध्यान में रखते हुए यह भी तय किया गया है कि पीक आवर्स में भी टोल पर लगी लाइन 100 मीटर से लंबी नहीं हो सकती है. इसके लिए हर टोल लेन में बूथ से 100 मीटर की दूरी पर एक पीली पट्टी खींची जाती है. जैसे ही गाड़ियों की लाइन इस रेखा से बाहर निकलने लगती है टोल को फ्री कर दिया जाता है. जैसे ही लाइन 100 मीटर के अंदर आ जाती है टोल टैक्स दोबारा वसूला जाने लगता है.

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क्या है 60 किलोमीटर रूल
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का कहना है कि फी रूल 2008 के अनुसार, किसी भी हाईवे पर 2 टोल प्लाजा के बीच का अंतर 60 किलोमीटर होना ही चाहिए. इसकी पुष्टि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी की है. उन्होंने कहा था कि उनका लक्ष्य है कि 60 किलोमीटर के अंदर हाईवे पर एक ही टोल प्लाजा रहे. फिलहाल इनके बीच का अंतर कम हो सकता है. इसके पीछे मंत्रालय ने यह तर्क दिया है कि कई बार जगह की कमी, ट्रैफिक, कंजेशन आदि के कारण 60 किलोमीटर के दायरे में 2 टोल प्लाजा हो सकते हैं.

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टोल टैक्स और रोड टैक्स में अंतर
रोड टैक्स का भुगतान वाहन चालक द्वारा आरटीओ को किया जाता है. यह राज्य के अंदर की विभिन्न सड़कों को इस्तेमाल करने के लिए दिया जाता है. वहीं टोल टैक्स एक खास सड़क, मुख्यत: हाईवे या एक्सप्रेसवे पर वसूला जाता है. यहां पैसा किसी एक राज्य की सरकार को नहीं जाता है. इसका कलेक्शन उस हाईवे का निर्माण करने वाली कंपनी या फिर एनएचएआई करती है.

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