All for Joomla All for Webmasters
हेल्थ

Adenovirus Infections: एडेनोवायरस क्या है, इसके लक्षण, कारण और इलाज

Adenovirus Infections: एडेनोवायरस संक्रमण एक आम स्थिति है. 10 साल की उम्र तक लगभग हर बच्चा किसी न किसी एक तरह के एडेनोवायरस से संक्रमित हो चुका होता है. कई मामलों में यह बहुत ही घातक साबित हो सकता है. जानिए एडेनोवायरस संक्रमण के लक्षण, कारण और इलाज.

ये भी पढ़ें 5 आसान तरीके खत्म कर देंगे यूरिक एसिड की समस्या, गंगाराम के यूरोलॉजिस्ट ने बताया फॉर्मूला, हमेशा रहेंगे हेल्दी

Adenovirus Infections:  एडेनोवायरस कुछ कॉमन वायरस का एक ग्रुप है, जो आमतौर पर व्यक्ति की आंख की परत, फेफड़ों के वायुमार्ग, आंत, मूत्र पथ (Urinary Tract) और तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को संक्रमित करता है. इसके लक्षण बहुत ही सामान्य होते हैं, जिसके कारण इसका निदान आसानी से नहीं होता है. बुखार, खांसी, गले में खराश, दस्त और आंखें लाल होना इसके कुछ लक्षणों में शामिल हैं.

हालांकि, एडेनोवायरस का संक्रमण किसी को भी हो सकता है. लेकिन इसका सबसे बुरा पक्ष यही है कि यह बड़ों के मुकाबले बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है. एडेनोवायरस संक्रमण इतना आम है कि 10 वर्ष की उम्र तक लगभग हर बच्चे को किसी न किसी एक प्रकार के एडेनोवायरस का संक्रमण हो चुका होता है. एडेनोवायरस संक्रमण की वजह से हल्के लक्षण ही नजर आते हैं, जो कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं. लेकिन कुछ ऐसे लोगों में जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) कमजोर होता है, खासतौर पर बच्चों के लिए यह कई बार घातक भी साबित हो सकता है.

ये भी पढ़ें– H3N2 Symptoms: कोरोना के बाद अब इस नए वायरस ने बढ़ाई मुश्किलें, जानें इन्फ्लुएंजा H3N2 वायरस के लक्षण और इलाज

एडेनोवायरस कैसे फैलता है – How Adenoviruses Spread?

यह वायरस उन जगहों पर ज्यादा आम है, जहां पर बड़ी संख्या में बच्चे होते हैं. इसमें डे-केयर सेंटर, स्कूल और समर कैंप भी शामिल हैं.

एडेनोवायरस बहुत ही संक्रामक होते हैं. जब कोई संक्रमतित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो इस दौरान निकलने वाली बॉडी फ्लूइड की छोटी-छोटी बूंदों से वह दूसरों को भी संक्रमित कर सकते हैं. इस दौरान वायरस कुछ देर तक हवा में रहते हैं और फिर आसपास मौजूद चीजों की सतह पर जमा हो जाते हैं.

आपका बच्चा एडेनोवायरस से तब भी संक्रमित हो सकता है, जब वह किसी ऐसे व्यक्ति का हाथ छू लेता है, जिसके हाथ पर यह वायरस किसी सरफेस से या हवा से आ गए हों. किसी खिलौने पर अगर एडेनोवायरस मौजूद हैं और आपका बच्चा उसे छू लेता है और उसके बाद अपने मुंह, नाक और आंखों को छूता है तो इस स्थिति में भी बच्चा एडेनोवायरस से संक्रमित हो सकता है. बच्चों में यह बहुत तेजी से फैलता है, क्योंकि बच्चे अक्सर मुंह और चेहरे पर हाथ लेकर जाते हैं.

संक्रमित बच्चे का डायपर बदलने के दौरान भी आप एडेनोवायरस से संक्रमित हो सकते हैं. इसके अलावा अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के द्वारा बनाए गए भोजन को ग्रहण कहते हैं, जो बाथरूम जाने के बाद हाथ नहीं धोता है तो आप एडेनोवायरस से संक्रमित हो सकते हैं. यह वायरस छोटी झील, स्वीमिंग पूल जैसी ऐसी जगहों से भी फैल सकता है, जिनका रखरखाव ठीक से नहीं किया जाता है. हालांकि, ऐसा बहुत कम ही होता है.

एडेनोवायरस के लक्षण – Adenovirus Symptoms in Hindi

एडेनोवायरस बहुत ही आम है और जैसा कि आप जानते हैं कि 10 साल की उम्र तक लगभग हर बच्चा किसी न किसी एक प्रकार के एडेनोवायरस से संक्रमित हो चुका होता है. किसी बीमारी के बारे में बेहतर जानकारी के लिए उसके लक्षणों के बारे में जानना जरूरी होता है. चलिए जानते हैं एडेनोवायरस के लक्षण क्या-क्या होते हैं –

ये भी पढ़ें– Instant Energy Drinks: आलस और थकान को तुरंत दूर भगा देंगी ये हेल्दी ड्रिंक्स, शरीर को मिलेगी इंस्टेंट एनर्जी

ब्रोंकाइटिस : खांसी, नाक बहना, बुखार और ठंड लगना

जुकाम और अन्य श्वसन संक्रमण : नाक बहना या बंद नाक, खांसी, गले में खराश और ग्रंथियों में सूजन (Swollen Glands)

क्रुप : कुकुर खांसी (Barking Cough), सांस लेने में दिक्कत होना, सांस लेने पर तेज आवाज आना

कान का संक्रमण : कान में दर्द, चिड़चिड़ापन और बुखार

आंख लाल होना (Conjunctivitis): आंखें लाल होना, आंखों से पानी और गाढ़ा पदार्थ बहना, आंसू, आंखों में चुभन महसूस होना.

निमोनिया : बुखार, खांसी, सांस लेने में दिक्कत

पेट और आंतों में संक्रमण : दस्त, उल्टी, सिरदर्द, बुखार और पेट में ऐंठन

मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन (Meningitis and Encephalitis): सिरदर्द, बुखार, गर्दन में अकड़न, मतली और उल्टी (दुर्लभ मामलों में)

यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) : पेशाब में जलन और दर्द, बार-बार पेशाब आना, पेशाब में खून आना

ये भी पढ़ें– PPF Scheme: पीपीएफ में पैसा लगाने वालों के लिए बड़ा अपडेट, लंबे टाइम के लिए इंवेस्टमेंट से कहीं हो न जाए दिक्कत!

अगर आपके बच्चे में इनमें के कोई लक्षण नजर आते हैं तो जल्द से जल्द उसे बच्चों के डॉक्टर को दिखाएं. अगर आपका बच्चा तीन महीने से कम उम्र का है और उसमें ऊपर बताए गए एडेनोवायरस संक्रमण के लक्षण नजर आते हैं तो आपको उसे डॉक्टर के पास ले जाने में बिल्कुल भी देर नहीं करनी चाहिए.

नीचे बताए गए लक्षण दिखें तो बिना किसी देरी के बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर जाएं. क्योंकि एडेनोवायरस के यह लक्षण घातक साबित हो सकते हैं.

सांस लेने में तकलीफ

आंखों के आसपास सूजन होना

कई दिनों तक बार-बार बुखार आना और दवा खाने पर भी कम न होना

डिहाइड्रेशन के लक्षण दिखना, जिसमें आंसू कम आना और डायपर पहले के मुकाबले कम गीला होना शामिल हैं.

ये भी पढ़ेंकेंद्रीय कर्मचारियों को झटका! सरकार ने दिया बड़ा बयान, नहीं मिलेगा 18 महीने का बकाया DA, कोरोना के समय लगाई थी रोक

एडेनोवायरस संक्रमण का निदान कैसे होता है – Adenovirus Diagnosis in Hindi

आपके बच्चे का डॉक्टर बच्चे का फिजिकल एग्जामिनेशन करेंगे और वायरस या बैक्टीरिया की वजह से होने वाले संक्रमण की जांच के लिए निम्न में से कुछ टेस्ट करवा सकते हैं.

ब्लड टेस्ट – नर्स आपके बच्चे की हाथ की नस से एक छोटी सी सुई की मदद से उसके खून का सैंपल लेंगी.

यूरिन टेस्ट – नर्स से यूरिन टेस्ट के लिए एक कप लें और उसमें बच्चे का पेशाब लेकर लैब में जमा करवा दें.

स्वैब टेस्ट – नर्स रूई की एक फांक लेकर आपके बच्चे की नाक से म्यूकस का एक सैंपल लेकर जांच के लिए रख लेंगी.

स्टूल टेस्ट – इसके लिए आपको अपने घर से ही बच्चे के मल का सैंपल किसी छोटे से कप या जार में लेकर आएं और ध्यान रखें कि इसका ढक्कन ठीक से बंद हो.

चेस्ट एक्स-रे – बच्चे को एक्सरे टेबल पर लिटा दें और फिर टेक्नीशियन रेडिएशन की छोटी सी मात्रा का इस्तेमाल करके उसकी छाती का एक्स-रे ले लेगा.

इन सभी टेस्ट की मदद से आपके बच्चे के डॉक्टर को आपके बच्चे की स्थिति के बारे में बेहतर जानकारी मिलेगी और वह बच्चे को उचित इलाज उपलब्ध करवा पाएगा.

ये भी पढ़ें– 7th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचार‍ियों को बड़ा झटका, मोदी सरकार ने महंगाई भत्‍ता देने से क‍िया इनकार

एडेनोवायरस संक्रमण का इलाज – Treatment for Adenovirus in Hindi

एडेनोवायरस इंफेक्शन होने पर एंटीबायोटिक से किसी तरह की मदद नहीं मिलती, क्योंकि यह दवाएं सिर्फ बैक्टीरिया को मारती हैं. आमतौर पर बच्चे इस संक्रमण से कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं. हालांकि, कुछ लक्षण जैसे कंजेक्टिवाइटिस और निमोनिया कभी-कभी ठीक होने में कुछ हफ्ते लगाते हैं.

जिन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन्हें स्वस्थ होने के लिए अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ सकती है. इसके अलावा अपने बच्चे को आराम दिलाने के लिए आप निम्न कुछ चीजें कर सकते हैं.

बुखार, उल्टी और दस्त की वजह से बच्चे के शरीर में पानी की कमी हो जाती है. ऐसे में उसे हाइड्रेट रखने के लिए बच्चे को खूब सारा लिक्विड पीने को दें. इसमें पानी के अलावा 100 फीसद फ्रूट जूस भी आप उसे पीने को दे सकते हैं. इसके अलावा आप WHO ORS और इलेक्ट्रोलाइट्स भी पीने को दे सकते हैं.

ये भी पढ़ें– PM Kisan : बिना केवाईसी अटक गई है 13वीं किस्‍त, न हों परेशान, इन 2 तरीकों से पूरा करें यह काम और पाएं पैसे

बच्चे को तेजी से नाक छिटकने को कहें और इसमें उसकी मदद करें. ऐसा करने से बंद नाक खोलने में मदद मिलेगी. नवजात बच्चों की नाक खोलने के लिए उनकी नाक में कुछ बूंदें सलाइन की डालें या स्प्रे कर दें और इसके बाद एक सिरिंज की मदद से म्यूकस को बाहर खींच लें.

जिस घर या कमरे में बच्चा है, वहां ह्यूमिडिफायर चला दें. इससे बंद नाक खुल जाएगी और बच्चे को सांस लेने में आसानी होगी.

आपको अपने बच्चे का बुखार उतारने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार उसे एसिटामिनोफेन और आइब्रूफेन जैसी दवाएं देनी चाहिए, जिससे बुखार के साथ ही बदन दर्द से भी आराम मिले. बच्चों को ऐसा कुछ भी न दें, जिसमें एस्पिरिन हो. क्योंकि इससे बच्चे को एक दुर्लभ लेकिन गंभीर रेये सिंड्रोम हो सकता है.

ये भी पढ़ें– इन 25 लोगों को नहीं देना होता Toll Tax, देश में कहीं भी कर सकते है सफर, देखें पूरी लिस्ट

एडेनोवायरस से कैसे बचें – Prevention Against Adenovirus in Hindi

एक कहावत है कि इलाज से बेहतर बचाव होता है. किसी भी बीमारी से अगर कुछ उपाय करके बचा जा सकता है तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. एडेनोवायरस संक्रमण से बचाव के उपाय हम आपको यहां बता रहे हैं –

सबसे पहले अपने बच्चे को किसी भी बीमार व्यक्ति से दूर रखें.

अपने बच्चे और स्वयं के हाथ दिन में कई बार अच्छी तरह से साबुन और पानी का इस्तेमाल करके धोएं. खासतौर पर खाना खाने से पहले हाथ जरूर धोएं.

अगर साबुन और पानी आसपास मौजूद न हों तो हाथों को एक अच्छे अल्कोहल युक्त हैंड हैनिटाइजर से साफ करें.

किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचने के लिए नियमित तौर पर सिंक और कांउटर जैसे सरफेस को साफ करते रहें.

बच्चे को ऐसे स्विमिंग पूल में न जाने दें, जिसका ठीक से रखरखाव न हो रहा हो.

अगर आपका बच्चा बीमार है तो उसे जितना संभव हो सके घर में ही रखें, ताकि एडेनोवायरस या कोई अन्य संक्रमण अन्य बच्चों में न फैले.

बच्चों को खांसते और छींकते समय नाक और मुंह को ढकने की आदत डालें.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top