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Edible Oil Price: राहत! खाने का तेल हुआ सस्ता, जानिए किस तेल में कितनी आई गिरावट

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Edible Oil Price: आयातित सस्ते खाद्य तेलों की मंडियों में भरमार होने के बीच स्थानीय तेल-तिलहनों पर भारी दवाब रहा जिससे शुक्रवार को खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट बनी रही.

नई दिल्ली. महंगाई के बीच आम आदमी के लिए राहत की खबर है. दरअसल, आयातित सस्ते खाद्य तेलों की मंडियों में भरमार होने के बीच स्थानीय तेल-तिलहनों पर भारी दवाब रहा जिससे शुक्रवार को खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट बनी रही. दूसरी ओर अगले सोमवार तक मलेशिया एक्सचेंज के बंद होने के साथ साथ कुछ पैकरों की मांग निकलने से पाम और पामोलीन तेल कीमतों में सुधार आया.

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सूत्रों ने कहा कि सोमवार तक मलेशिया एक्सचेंज बंद है जबकि शिकागो एक्सचेंज में फिलहाल 1.2 फीसदी की गिरावट है. उन्होंने कहा कि देश के प्रमुख तेल संगठन, सोपा ने कहा है कि सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरसों की खरीद कराए जाने के बावजूद सरसों के दाम में ज्यादा सुधार नहीं है. राजस्थान के एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र भरतपुर में भी सरसों का भाव 5450 रुपये क्विंटल के एमएसपी से घटकर अब 5,100-5,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है और नीचे दाम मिलने से किसान हतोत्साहित हैं.

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स्वदेशी स्रोतों से प्राप्त खाद्य तेलों में सर्वाधिक करीब 40% हिस्सेदारी सरसों की

भरतपुर आयल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि स्वदेशी स्रोतों से प्राप्त खाद्य तेलों में सर्वाधिक करीब 40 फीसदी हिस्सेदारी सरसों की है. उसके बाद सोयाबीन तेल की हिस्सेदाररी 24 फीसदी, मूंगफली तेल का योगदान 7 फीसदी का है. बाकी योगदान शेष अन्य खाद्य तेलों का है.

तेल-तिलहन कारोबार पर सीधा असर डालते हैं सूरजमुखी और सोयाबीन तेल

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सूत्रों ने बताया कि कुछ लोगों की राय में पामोलीन तेल का दाम 11 महीने पहले के 164 रुपये किलो से घटकर अब 94 रुपये किलो रह गया है. उन्हें यह भी बताना चाहिए कि ‘सॉफ्ट आयल’ सूरजमुखी तेल का दाम इसी अवधि के दौरान पहले के 210 रुपये से घटकर 95 रुपये किलो रह गया है. सूरजमुखी और सोयाबीन तेल हमारे घरेलू तेल-तिलहन कारोबार पर सीधा असर डालते हैं.

स्थानीय तेल मिलों का काम लगभग ठप

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उन्होंने कहा कि सरकार को इस तथ्य पर गौर करना होगा कि सस्ते आयातित तेलों की भारी भरकम मात्रा और आगे पाइपलाईन में जो स्टॉक है, उसके आगे देशी तेल-तिलहन खप नहीं रहे. इससे स्थानीय तेल मिलों का काम लगभग ठप पड़ा है क्योंकि पेराई में उन्हें नुकसान है. इस स्थिति से निकलने का कोई रास्ता सरकार को खोजना होगा ताकि देशी तिलहन किसान और तेल मिलों के हित की रक्षा की जा सके. सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज के बंद होने और पैकरों की मांग में सुधार के कारण कच्चा पामतेल (CPO) और पामोलीन के दाम में मजबूती रही.

शुक्रवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

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सरसों तिलहन- 5,000-5,100 (42 फीसदी कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल

मूंगफली- 6,805-6,865 रुपये प्रति क्विंटल

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 16,710 रुपये प्रति क्विंटल

मूंगफली रिफाइंड तेल- 2,540-2,805 रुपये प्रति टिन

सरसों तेल दादरी- 9,600 रुपये प्रति क्विंटल

सरसों पक्की घानी- 1,560-1,630 रुपये प्रति टिन

सरसों कच्ची घानी- 1,560-1,680 रुपये प्रति टिन

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,750 रुपये प्रति क्विंटल

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,480 रुपये प्रति क्विंटल

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सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,050 रुपये प्रति क्विंटल

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,850 रुपये प्रति क्विंटल

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल

सोयाबीन दाना – 5,330-5,380 रुपये प्रति क्विंटल

सोयाबीन लूज- 5,080-5,180 रुपये प्रति क्विंटल

मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल

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