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कर्नाटक में लिंगायत वोटों पर कांग्रेस का सटीक निशाना, भाजपा हुई चारों खाने चित, JDS भी धराशायी

Karnataka Elections Result: जेडीएस के लिए, जिसने पिछले विधानसभा चुनाव में मांड्या जिले की सभी सात सीटों पर कब्जा कर लिया था, इस बार इनमें से पांच को कांग्रेस ने और एक को कांग्रेस समर्थित निर्दलीय दर्शन पुत्तनैया ने छीन लिया. रामनगर और मैसूरु ने समान नतीजे दिए, जेडीएस को 11 में से सिर्फ तीन सीटों पर ही जीत मिली.

बेंगलुरु. कर्नाटक में कृषि क्षेत्र से जुड़े वोक्कालिगा वोट की लड़ाई ने एक नए मुखिया डी. के. शिवकुमार को जन्म दिया है. समुदाय के चेहरे के रूप में उनके उभरने पर सवाल उठाने वालों को करारा जवाब देते हुए राज्य के कांग्रेस प्रमुख ने शनिवार को पुराने मैसूरु क्षेत्र सहित सात जिलों में फैली 61 सीटों में से 30 सीटों पर कांग्रेस की जीत का नेतृत्व करके अपनी ताकत साबित कर दी.

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ये जीत एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जद (एस) की कीमत पर आई, जिसकी संख्या अब तक के सबसे निचले स्तर 19 सीटों पर पहुंच गई है. यह राज्य में उस क्षेत्रीय पार्टी की दुखद कहानी को बयां करती है जो दो दशकों में अपने वोक्कालिगा वोटों के दबदबे पर निर्भर रही, लेकिन अपनी पहुंच को फैलाने में नाकाम साबित हुई.

जबकि जेडीएस अपनी पुरानी रणनीति पर अडिग रही, मजबूत स्थानीय नेताओं को टिकट आवंटित करने और विश्वसनीय दलबदलुओं को उनका हक देने की कांग्रेस की रणनीति के साथ-साथ पार्टी के पक्ष में मुस्लिम वोटों के एकीकरण ने सुनिश्चित किया कि जेडीएस चुनावी दौड़ में पीछे रह जाए. छह में से पांच सीटों पर जीत हासिल करके कांग्रेस ने इस क्षेत्र में भाजपा को और नीचे गिरा दिया.

जेडीएस के लिए, जिसने पिछले विधानसभा चुनाव में मांड्या जिले की सभी सात सीटों पर कब्जा कर लिया था, इस बार इनमें से पांच को कांग्रेस ने और एक को कांग्रेस समर्थित निर्दलीय दर्शन पुत्तनैया ने छीन लिया. रामनगर और मैसूरु ने समान नतीजे दिए, जेडीएस को 11 में से सिर्फ तीन सीटों पर ही जीत मिली, जो कि 2018 की सात सीटों की तुलना में भारी गिरावट को दिखाती है.

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बेंगलुरु ग्रामीण में, जहां जेडीएस के पास दो सीटें थीं, अब एक भी नहीं है. पार्टी के लिए उम्मीद की किरण हासन जिले के अपने गढ़ में सात में से चार सीटों को बरकरार रखना रहा, हालांकि, यहां भी इसने 2018 में छह सीटों पर जीत हासिल की थी. कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के दबदबे को देखते हुए कांग्रेस ने इससे ताल्लुक रखनेवाले 46 नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा, जिनमें से 37 अपनी-अपनी सीटों पर विजयी हुए.

कुल मिलाकर देखा जाए, तो कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे जेडीएस के अस्तित्व को ही सवालों के घेरे में खड़ा करती है. भाई-बहनों कुमारस्वामी और एच डी रेवन्ना के परिवारों के बीच अब जुबानी जंग तेज हो सकती है, खासकर एच डी कुमारस्वामी के बेटे निखिल की घरेलू मैदान रामनगर में हार को लेकर.

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