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UPI से भी आसान सिस्टम लाने वाला है RBI, मोबाइल नेटवर्क के बिना भेज सकेंगे पैसे, पर सबको नहीं मिलेगी सुविधा

RBI एक लाइटवेट पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम लाने वाला है, जो ऐसी परिस्थितियों में पैसे भेजने के काम आएगा जब इंटरनेट काम नहीं करता है. यानी नैचुरल डिजास्टर की स्थिति में या फिर कॉन्फ्लिक्ट वाले इलाकों में ये सिस्टम काम करेगा.

नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) एक लाइटवेट पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम पर काम कर रहा है. ये सिस्टम प्राकृतिक आपदा या फिर हिंसा ग्रस्त इलाकों में कम से कम संसाधन के साथ काम करेगा और यूजर्स को पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा देगा. RBI ने फिलहाल ये साफ नहीं किया है कि ये सिस्टम लॉन्च कब तक किया जाएगा.

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आपको बता दें कि पैसे भेजने के अभी जो ऑप्शंस हैं, चाहे UPI हो, NEFT हो या फिर RTGS हो ये सब इंटरनेट और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की मदद से काम करते हैं. RBI का कहना है कि लाइटवेट पेमेंट सिस्टम इन तकनीकों पर निर्भर नहीं रहेगा यानी मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट नहीं होने पर भी इस सिस्टम से पैसे भेजे जा सकेंगे.

RBI की एनुअल रिपोर्ट में लाइटवेट सिस्टम का जिक्र
RBI ने साल 2022-23 की अपनी एनुअल रिपोर्ट 30 मई को पब्लिश की. इसमें बैंक ने एक लाइटवेट और पोर्टेबल पेमेंट सिस्टम का जिक्र किया है. RBI ने लिखा है कि ये सिस्टम मिनिमल हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के साथ काम करेगा और केवल ज़रूरत की स्थिति में ही इस सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा. यानी UPI और पेमेंट के दूसरे तरीकों की तरह लाइटवेट सिस्टम ओपन टू ऑल नहीं रहेगा. ये सिस्टम केवल उन्हीं स्थितियों में इस्तेमाल में लाया जाएगा जिन स्थितियों में पेमेंट के प्रचलित सिस्टम काम नहीं कर पाएंगे.

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RBI का कहना है कि ये सिस्टम किसी भी परिस्थिति में देश के पेमेंट और सेटलमेंट सिस्टम को रुकने नहीं देगा और इकॉनमी की लिक्विडिटी पाइपलाइन को बचाए रखेगा. इस सिस्टम के आने से जरूरी पेमेंट सेवाओं में रुकावट नहीं आएगी. इस सिस्टम का मकसद उन ट्रांजैक्शंस में मदद करना है जो अर्थव्यवस्था के स्टेबल रहने के लिए ज़रूरी हैं.

केंद्रीय बैंक ने अपने स्टेटमेंट में लिखा, “ये पेमेंट सिस्टम में उसी तरह काम करेगा जैसे युद्ध की स्थिति में बंकर काम करता है. ये एक्स्ट्रीम कंडीशंस में भी डिजिटल पेमेंट और फाइनेंशियल मार्केट के इंफ्रास्ट्रक्चर पर लोगों का भरोसा बढ़ाएगा.”

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UPI से कैसे अलग होगा लाइटवेट सिस्टम?
भारत में फिलहाल अलग-अलग पेमेंट ऑप्शंस मौजूद हैं. RBI का कहना है कि ये सभी बड़े ट्रांजैक्शन करने में सक्षम हैं. हालांकि, ये एक कॉम्प्लेक्स नेटवर्क और एडवांस्ड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर पर आधारित हैं. RBI का कहना है कि एक्स्ट्रीम कंडीशंस में इंफॉर्मेशन और कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रभावित होता है. उसके चलते पेमेंट के ये सिस्टम काम नहीं कर पाते हैं. इसलिए ये जरूरी है कि हम ऐसी सिचुएशन के लिए तैयार रहें.

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