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रेलवे ट्रेनों को कब करता है रिटायर्ड, कितनी होती है इनकी उम्र, बाद में क्या होता है, जानें

ट्रेन में तो आप बहुत सफर करते होंगे लेकिन क्या आपने कभी सोचा है जिस ट्रेन में आप सफर कर रहे हैं उनकी लाइफ कितनी होती है. रेलवे उन्हें कब रिटायर्ड करता है. आइए जानते हैं…

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नई दिल्ली. रेलवे से जुड़ी कई ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में शायद ही किसी को जानकारी होती होगी. आज हम आपको त्रेन से जुड़ी ऐसी ही एक चीज के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसे जानना सभी के लिए अहम है. ट्रेन में तो आप आए दिन सफर करते होंगे लेकिन इस टेन की लाइफ कितनी है इसके बारे में शायद ही आपको पता हो. ये बेहद रोचक जानकारी है जिसे आप जानना भी चाहोगे.

बता दे कि भारतीय रेलवे एशिया का दूसरा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. देश में रोजाना 23 मिलियन यात्री ट्रेन से यात्रा करते हैं. अगर आपने कभी ट्रेन में सफर किया है तो आपको पता होगा कि पैसेंजर ट्रेनों में कई तरह के कोच हैं, जिनमें एसी, जनरल और स्लीपर शामिल हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि यात्री ट्रेन कब रिटायर होती है और बाद में इसका क्या होता है?

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कब होती है ट्रेन रिटायर्ड
आपको बता दें कि भारतीय रेलवे में यात्रियों को सेवाएं देने वाले ICF कोच की कोडल लाइफ 25 से 30 साल की होती है. इसका मतलब एक यात्री कोच अधिकतम 25 से 30 साल ही सेवाएं दे सकता है. हालांकि इस दौरान भी यात्री कोच को हर 5 या दस साल में एक बार मरम्मत और मेंटेनेंस के लिए ले जाया जाता है. साधारण कोच जब 25 वर्ष की सर्विस दे चुका होता है तब, उसे सेवा से मुक्त कर दिया जाता है. इसके बाद इन्हें ऑटो कैरियर में तब्दील दिया जाता है.

क्या होता है रिटायर्मेंट के बाद
ऑटो कैरियर में तब्दील करने के बाद इन ट्रेनों को NMG कोच में बदल दिया जाता है. एक यात्री कोच को NMG कोच में तब्दील करने के बाद उसे 5 से 10 वर्ष तक और इस्तेमाल किया जाता है. इन ट्रेनों के माध्यम से एक राज्य से दूसरे राज्य में माल ढुलाई की जाती है. यात्री कोच को NMG कोच में तब्दील करने के लिए कोच को पूरी तरह से सील कर दिया जाता है. अंदर के सभी सीट को खोलकर हटा दिया जाता है. पंखे और लाइट को खोल दिया जाता है. साथ ही इसे और मजबूत बनाने के लिए लोहे की पट्टियों को लगाया जाता है.

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सभी दरवाजें-खिड़कियां कर दी जाती हैं सील
इसे कुछ इस तरह से तैयार किया जाता है जिसमें कार, मिनी ट्रक और ट्रैक्टरों को आसानी से लोड और अनलोड किया जा सकता है. अब आप कहेंगे कि जब इसे पूरी तरह से सील कर दिया जाता है तो फिर इसमें सामान कैसे रखा जाता है. बता दें कि पूरी तरह से सील करने का मतलब है खिड़की और दरवाजे को लॉक कर देना. सामान रखने के लिए कोच के पिछले हिस्से में दरवाजा बनाया जाता है.

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