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कश्मीरी युवाओं ने की आतंक की राह से तौबा, सिर्फ 7 को ही बहका सका पाकिस्तान, सेना ने जारी किए आंकड़े

terrorist

Kashmiri youth pakistani terrorist network: कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से घाटी में बदलाव की बयार बहने लगी है. जो युवा आतंक का दामन थामने लगते थे अब वो रोजगार से जुड़ रहे हैं. जो हाथ चंद रुपये के लिए पत्थरबाजी करते थे आज वो मेहनत कर उससे ज्यादा रोज कमाकर अपने घर ले जा रहे हैं और इसी बदलाव ने पाकिस्तान की मुश्किलों में इजाफा कर दिया है. अब कश्मीरी युवाओं को बरगलाने में पाकिस्तानी आतंकी आका नाकाम हो रहे हैं और उसका उदाहरण भारतीय सेना के आंकड़े साफ कर रहे हैं.

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श्रीनगर. कश्मीर से अऩुच्छेद 370 हटाने के बाद से घाटी में बदलाव की बयार बहने लगी है. जो युवा आतंक का दामन थामते थे अब वो रोजगार से जुड़ रहे हैं. जो हाथ चंद रुपये के लिए पत्थरबाजी करते थे आज वो मेहनत कर उससे ज्यादा रोज कमाकर अपने घर ले जा रहे हैं. इस बदलाव ने पाकिस्तान की मुश्किलों में इजाफा कर दिया है. अब कश्मीरी युवाओं को बरगलाने में पाकिस्तानी आतंकी आका नाकाम हो रहे हैं और उसका उदाहरण भारतीय सेना के आंकड़े साफ कर रहे हैं.

इस साल अब तक यानी 30 मई तक सिर्फ 7 कश्मीरी युवाओं के आतंकी ग्रुप में शामिल होने की खबर है, जबकि पिछले साल 30 मई 2022 तक 41 युवाओं ने आतंकी संगठनों को ज्वाइन किया था. पूरे साल भर में ये आंकड़ा 121 पर आकर थम गया था जो कि पिछले सालों के मुकाबले काफी कम है. जहां साल 2021 में ये आंकड़ा 149 था और साल 2020 में 191 युवाओं ने आतंकी तंजीमों को ज्वाइन किया. लगातार भर्ती का गिरता ग्राफ ये बताने के लिए काफी है कि केंद्र सरकार की नीतियों से अब आम कश्मीरी इत्तेफाक करने लगे हैं.

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कश्मीर में लोकल आतंकियों से ज्यादा पाकिस्तानी आतंकी
एक अनुमान के तहत जम्मू-कश्मीर में 250 से 300 के करीब आतंकी मौजूद हैं. जिसमें पाकिस्तानी और लोकल दोनों शामिल हैं, लेकिन अब लोकल आतंकियों के नंबरों में जबर्दस्त गिरावट दिखी है. इससे भी साफ हो रहा है जम्मू-कश्मीर पीर पंजाल रेंज में बसा हुआ है और इसे दो हिस्सों में विभाजित किया गया है. एक नॉर्थ पीर पंजाल में कश्मीर घाटी तो साउथ पीर पंजाल में जम्मू का इलाका आता है. दोनों ही जगह से पाकिस्तान आतंकियों की घुसपैठ करा कर आतंकी हमलों को अंजाम देने की कोशिश करता है.

श्रीनगर. कश्मीर से अऩुच्छेद 370 हटाने के बाद से घाटी में बदलाव की बयार बहने लगी है. जो युवा आतंक का दामन थामते थे अब वो रोजगार से जुड़ रहे हैं. जो हाथ चंद रुपये के लिए पत्थरबाजी करते थे आज वो मेहनत कर उससे ज्यादा रोज कमाकर अपने घर ले जा रहे हैं. इस बदलाव ने पाकिस्तान की मुश्किलों में इजाफा कर दिया है. अब कश्मीरी युवाओं को बरगलाने में पाकिस्तानी आतंकी आका नाकाम हो रहे हैं और उसका उदाहरण भारतीय सेना के आंकड़े साफ कर रहे हैं.

इस साल अब तक यानी 30 मई तक सिर्फ 7 कश्मीरी युवाओं के आतंकी ग्रुप में शामिल होने की खबर है, जबकि पिछले साल 30 मई 2022 तक 41 युवाओं ने आतंकी संगठनों को ज्वाइन किया था. पूरे साल भर में ये आंकड़ा 121 पर आकर थम गया था जो कि पिछले सालों के मुकाबले काफी कम है. जहां साल 2021 में ये आंकड़ा 149 था और साल 2020 में 191 युवाओं ने आतंकी तंजीमों को ज्वाइन किया. लगातार भर्ती का गिरता ग्राफ ये बताने के लिए काफी है कि केंद्र सरकार की नीतियों से अब आम कश्मीरी इत्तेफाक करने लगे हैं.

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कश्मीर में लोकल आतंकियों से ज्यादा पाकिस्तानी आतंकी
एक अनुमान के तहत जम्मू-कश्मीर में 250 से 300 के करीब आतंकी मौजूद हैं. जिसमें पाकिस्तानी और लोकल दोनों शामिल हैं, लेकिन अब लोकल आतंकियों के नंबरों में जबर्दस्त गिरावट दिखी है. इससे भी साफ हो रहा है जम्मू-कश्मीर पीर पंजाल रेंज में बसा हुआ है और इसे दो हिस्सों में विभाजित किया गया है. एक नॉर्थ पीर पंजाल में कश्मीर घाटी तो साउथ पीर पंजाल में जम्मू का इलाका आता है. दोनों ही जगह से पाकिस्तान आतंकियों की घुसपैठ करा कर आतंकी हमलों को अंजाम देने की कोशिश करता है

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