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World Day Against Child Labour 2023 : अगर बाल श्रम है अपराध, तो TV और फिल्मों में कैसे काम करते हैं चाइल्ड एक्टर्स? जानिए

World Day Against Child Labour 2023 : फिल्मों और टेलीविजन शोज में बच्चों से एक्टिंग कराने पर कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जाती?

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Child Acting Not Considered As Child Labour : भारत और दुनिया के कई अन्य देशों में नाबालिग बच्चों से काम कराना कानूनन अपराध है. अगर कोई मासूम बच्चों से काम कराता पकड़ा जाता है तो भारत में इसे लेकर कड़े कानून बनाए गए हैं, हालांकि कई लोगों का तर्क ये भी होता है क अगर बाल श्रम अपराध है तो, फिल्मों और टेलीविजन शोज में बच्चों से एक्टिंग कराने पर कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जाती. अगर आप भी इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं तो आज हम आपके सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं. बाल श्रम को लेकर भारत और दुनिया के अन्य देशों में अलग-अलग कानून है. लोगों को इसके प्रति जागरुक करने के लिए ही बाल श्रम विरोधी दिवस यानी ‘वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर’ मनाते हैं.

बाल श्रम में क्यों नहीं आती चाइल्ड एक्टिंग?

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि देश में बाल श्रम को रोकने के लिए कई कानून हैं और कई एनजीओ लगातार बाल श्रम को खत्म करने की दिशा में काम कर रहे हैं. सरकार और इन एनजीओ का यही मकसद है कि कोई भी बच्चा अपने बचपन में बाल श्रम का सामना न करे, उनसे जबरन काम कराने वालों को कड़ी सजा का भी प्रावधान है. हालांकि एक सच ये भी है कि हर कोई अमीर पैदा नहीं होता, इसलिए कुछ लोग हैं जो बच्चों से भी दैनिक आधार पर काम कराते हैं. देश में ऐसे कई लोग हैं जो बाल श्रम के खिलाफ जागरुकता दे रहे हैं, लेकिन यह बंद नहीं हुआ है.

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क्या है चाइल्ड एक्टिंग के नियम?

लोगों के मन में अक्सर सवाल आता है कि फिल्मों या डेली सोप में एक्टिंग करने वाले बच्चों को बाल श्रमिक क्यों नहीं माना जाता? यहां तक ​​कि फिल्मों में काम करने वाले या एड (विज्ञापन) करने वाले बच्चों को भी काम के लिए पेमेंट दी जा रही है, जबकि उनके लिए कोई आर्थिक संकट भी नहीं होती. आपको बता दें कि बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन नियम, 2017 के अनुसार चाइल्ड एक्टर्स के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, जिन्हें शो के मेकर्स को फॉलो करना होता है. जैसे, एक एक चाइल्ड एक्टर प्रति दिन अधिकतम पांच घंटे काम कर सकता है, इसमें बीच में आराम का समय भी शामिल है. वास्तव में इन कानूनों के अनुसार ये भी बताया गया है कि किसी बच्चे को लगातार 3 घंटे से अधिक लगातार काम करने के लिए फोर्स नहीं किया जा सकता.

जिलाधिकारी और माता-पिता की मंजूरी

इसके अलावा 3 घंटे के बाद उसे आराम भी दिया जाना चाहिए. इस समय की पाबंदी के अलावा मेकर्स को स्थानीय जिलाधिकारी से भी अनुमति लेनी जरूरी होती है और एक फॉर्म भरना पड़ता है. इसके साथ ही मेकर्स को चाइल्ड एक्टर्स की लिस्ट देनी पड़ती है, साथ ही काम के लिए बच्चों के माता-पिता या अभिभावक की सहमति भी जरूरी होती है. इसके साथ मेकर्स को एक और लिस्ट देनी पड़ती है, जिसमें सेट पर बच्चों सुरक्षा और देखभाल करने वालों का नाम होता है. सेट पर बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए. हालांकि अब यह साफ नहीं है कि हमारी फिल्म इंडस्ट्री इन नियमों का पूरी तरह पालन कर रही है या नहीं.

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फिजिकल वर्क में नहीं आती एक्टिंग

इसे लेकर हाल ही में श्रम मंत्रालय, भारत सरकार ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से इस संबंध में कुछ स्पष्टीकरण मांगे हैं. ऐसे कुछ कानून और नियम हैं जिनका पालन उन लोगों को करना होता है जो अपनी फिल्मों या धारावाहिकों में काम करने के लिए चाइल्ड एक्टर्स को काम पर रखते हैं. अगर वे उन नियमों और कॉन्ट्रैक्ट का पालन नहीं करते तो उनके खिलाफ प्रशासन कड़ी कार्रवाई कर सकता है. इसके पीछे एक और तर्क ये है कि एक्टिंग को फिजिकल वर्क नहीं माना जाता है, ये एक आर्ट है और बच्चे इसे सीख सकते हैं. इसलिए हम टीवी पर कई कार्यक्रम देखे जा सकते हैं जहां बच्चे परफॉर्म कर रहे हैं.

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