Story of Lakme : लैक्मे भारत का लीडिंग कॉस्मेटिक ब्रांड है. 1952 में लॉन्च हुआ लैक्मे आज केवल कॉस्मेटिक तक सीमित नहीं है. लैक्मे के देशभर में कई सलून्स हैं और कंपनी साल में दो बार फैशन वीक को भी स्पॉन्सर करती है.
नई दिल्ली. मेकअप का बाजार ऐसा है, जहां अब भी विदेशी प्रोडक्ट्स खूब पसंद किए जाते हैं. पर एक समय ऐसा था, जब मेकअप का इस्तेमाल करने वालों के पास विदेशी प्रोडक्ट्स के अलावा कोई ऑप्शन ही नहीं था, क्योंकि तब कोई इंडियन मेकअप ब्रांड था ही नहीं. 1952 में टाटा ग्रुप ने लैक्मे कॉस्मेटिक्स शुरू किया, जो कि आज मेकअप और स्किन केयर इंडस्ट्री में एक लीडिंग ब्रांड बन चुका है.
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आंत्रप्रेन्योर और आर्टरी इंडिया के CEO अरविंद विजय मोहन ने एक इंस्टाग्राम वीडियो में बताया है कि कैसे लैक्मे कॉस्मेटिक्स को उसका नाम मिला और उस ब्रांड के बनने में जेआरडी टाटा का क्या योगदान था. उन्होंने बताया, “JRD टाटा को टाटा एम्पायर को टेकओवर किए 12 साल हो चुके थे. 1950 की बात है. काम का एक बिज़ी दिन था. जेआरडी टाटा के टेबल पर रखा फोन बजा, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे. ये रेगुलर वर्क कॉल नहीं थी. पंडित नेहरू इस बात को लेकर चिंतित थे कि भारतीय महिलाएं इम्पोर्टेट कॉस्मेटिक्स खरीद रही हैं. इससे भारतीय पैसा विदेश जा रहा है.”
ये वो समय था जब भारत के पास अपना एक भी मेकअप ब्रांड नहीं था. एक भी ब्रांड ऐसा नहीं था जो भारतीय मौसम और भारतीय स्किन टोन्स को केटर करता है. तब पंडित नेहरू ने JRD टाटा से कहा कि वो कॉस्मेटिक्स बनाने वाली एक कंपनी बनाएं, ताकि फॉरेन एक्सचेंज से बचा जा सके.
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फ्रांस पहुंचे, तब मिला भारतीय ब्रांड का नाम
अरविंद विजय मोहन ने बताया कि इसके तुरंत बाद ही जेआरडी टाटा ने काम शुरू कर दिया. उन्होंने नारियल तेल के प्रोडक्शन में इनवॉल्व्ड अपनी एक कंपनी को इस काम में लगाया. इसके बाद अरविंद विजय मोहन ने बताया कि जेआरडी टाटा के दिमाग में लैक्मे नाम कैसे आया. उन्होंने बताया, “टाटा ग्रुप नेअपने कुछ रिप्रेजेंटेटिव्स को पेरिस भेजा, ताकि वो अपने फ्रेंच काउंटर पार्ट्स के साथ मिलकर इस चुनौती का समाधान निकाल सकें.”
इसी दौरान टीम ने फ्रेंच कम्पोसर लियो डेलिब्स का काम देखा. ये एक ओपेरा था जिसकी कहानी की मुख्य किरदार एक महिला थी. एक भारतीय महिला, जिसके पिता एक पुजारी थे. वो लड़की एक ब्रिटिश अफसर से प्यार करने लगती है. हीरोइन का नाम हिंदू धर्म की देवी लक्ष्मी का फ्रेंच में ट्रांसलेट किया गया नाम था. लक्ष्मी को शक्ति, समृद्धि और खूबसूरती की देवी माना जाता है. जब टाटा की टीम ने लक्ष्मी का फ्रेंच ट्रांसलेशन नाम लैक्मे सुना तो उन्होंने तय कर लिया कि ब्रांड का नाम यही होगा.
लैक्मेः रीइन्वेंट- केवल कॉस्मेटिक ब्रांड नहीं, फैशन स्टेटमेंट है लैक्मे
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लैक्मे की शुरुआत छोटी हुई थी, लेकिन आज लैक्मे भारत का एक लीडिंग कॉस्मेटिक ब्रांड बन गया है. 1998 में टाटा ने लैक्मे के अपने शेयर्स हिंदुस्तान यूनिलिवर को करीब 200 करोड़ में बेच दिए थे. लैक्मे ग्राहकों के एक बड़े रेंज को केटर करता है. मेकअप प्रोडक्ट्स के साथ-साथ लैक्मे स्किन केयर प्रोडक्ट्स भी बनाता है. इसके साथ-साथ साल 2018 में लैक्मे ने अपनी ईकॉमर्स वेबसाइट भी शुरू की. वहीं, 500 के करीब लैक्मे सलून्स पूरे देश में रन करते हैं. इसके साथ ही कंपनी लैक्मे फैशन वीक का टाइटल स्पॉन्सर भी है. ये एक फैशन शो है जो साल में दो बार आयोजित किया जाता है.