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EPF खाताधारकों के लिए खुशखबरी, हायर पेंशन के लिए अंतिम तिथि बढ़ाई गई, अब इस तारीख तक कर सकेंगे आवेदन

EPFO Higher Pension Last Date: ईपीएफओ ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि हायर पेंशन का विकल्प चुनने में आ रही किसी भी तरह की परेशानी को दूर करने के लिए अंतिम 15 दिनों का समय दिया जा रहा है.

नई दिल्ली. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने हायर पेंशन (EPFO Higher Pension) का विकल्प चुनने के लिये आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 11 जुलाई कर दिया है. यह समयावधि कर्मचारियों को दी गई है. नियोक्ता के लिए इसे 3 महीने और बढ़ा दिया गया है. कर्मचारियों के लिए यह तीसरा मौका है जब अधिक पेंशन का विकल्प चुनने के लिये आवेदन करने की समयसीमा बढ़ायी गयी है.

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सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हायर पेंशन चुनने के लिए 3 मार्च 2023 तक का समय दिया गया था. इसके बाद इसे बढ़ाकर 3 मई कर दिया गया है. आखिरी बार इसे 26 जून तक के लिए बढ़ाया गया था. अब इसे 11 जुलाई कर दिया गया है. ईपीएफओ ने सोमवार शाम को जारी एक बयान में कहा कि पात्र पेंशनभोगियों/ अंशधारकों को हायर पेंशन से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या का निपटान करने के लिए 15 दिनों का अंतिम अवसर दिया गया है.

EPFO का बयान
बयान के अनुसार, कोई भी पात्र पेंशनभोगी या ईपीएफओ सदस्य जो केवाईसी अपडेट नहीं कर पा रहा और इसकी वजह से उसे ऑप्शन/जॉइंट ऑप्शन के वैलिडेशन के लिए एप्लीकेशन जमा करने में दिक्कत हो रही है तो वह तुरंत ‘ईपीएफआई जीएमएस’ पर इसकी शिकायत करे. बकौल ईपीएफओ, यह शिकायत ‘उच्च वेतन पर उच्च पेंशन लाभ’ में Grievance Category में जाकर कर सकते हैं. इससे आगे भी किसी शिकायत के निवारण के लिए रिकॉर्ड सुरक्षित हो जाएगा.

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अभी पेंशन कैसे बनती है?
ईपीएफ एवं मिसलेनियस प्रोविजन एक्ट 1952 के तहत पेंशन की कोई व्यवस्था नहीं की थी. 1995 में ईपीएस की शुरुआत के बाद से पेंशन दी जाने लगी. नियोक्ता की ओर से ईपीएस में पैसा डाला जाता था. इसमें कर्मचारी से कोई रकम नहीं ली जाती थी. इसे और स्पष्टता से समझते हैं. कर्मचारी और नियोक्ता दोनों कर्मचारी की बेसिक सैलरी व महंगाई भत्ता का 12-12 फीसदी ईपीएफओ को देते हैं. कर्मचारी वाला पूरा हिस्सा ईपीएफओ के पास ही जाता है. वहीं, नियोक्ता के 12 फीसदी में से 8.33 फीसदी ईपीएस (यह पेंशन फंड है) और बाकी का 3.76 फीसदी ईपीएफओ के पास जाता है.

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हायर पेंशन के लिए क्या बदला?
2014 में ईपीएफ स्कीम में संशोधन किये गए और कर्मचारियों को भी अधिकार दिया गया कि वह अपनी वास्तविक सैलरी या फिर अधिकतम पेंशन योग्य सैलरी का 8.33 फीसदी ईपीएस में डाल सकते हैं. 2014 में अधिकतम पेंशन योग्य सैलरी 15,000 रुपये कर दी गई. उससे पहले यह 6500 रुपये थी. अगर किसी की वास्तविक सैलरी 15000 से ऊपर निकलती हो तो वह उसका 8.33 फीसदी ईपीएस में डाल सकता है. नियोक्ता जो पहले 8.33 फीसदी हिस्सा इस फंड में डाल रहा था अब उसे अतिरिक्त 1.16 फीसदी रकम और ईपीएस में डालनी होगी. इस संबंध में पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी किया था. गौरतलब है कि कर्मचारियों के ईपीएस में अंशदान करने से  पेंशन तो ज्यादा हो जाएगी लेकिन ईपीएफ में जाने वाला पैसा घट जाएगा जो कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त मिलता है.

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