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भारत और यूएई रुपया-दिरहम में कारोबार करेंगे, यूपीआई पर भी बनी सहमति

PM मोदी और यूएई के राष्ट्रपति ने घोषणा की कि उनके देश अपनी मुद्राओं में व्यापार समझौता शुरू करने पर सहमत हुए हैं.

भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने कारोबारी लेन-देन अपनी मुद्राओं में शुरू करने और भारत की एकीकृत भुगतान प्रणाली यूपीआई को यूएई के तत्काल भुगतान मंच आईपीपी से जोड़ने और आईआईटी दिल्ली के अपना परिसर अबू धाबी में स्थापित करने पर शनिवार को सहमति जताई. इस आशय के समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यूएई यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए. अपनी यात्रा के दौरान मोदी ने यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान के साथ बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने को लेकर चर्चा की. दोनों नेताओं ने आर्थिक साझेदारी की सराहना की और इस साल सितंबर में दिल्ली में जी-20 बैठक से पहले 100 अरब अमेरिकी डॉलर के व्यापार का लक्ष्य हासिल करने की उम्मीद जताई.

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मोदी का यहां राष्ट्रपति भवन ‘कसर अल वतन’ में पारंपरिक स्वागत किया गया जहां यूएई के राष्ट्रपति ने उनकी अगवानी की. प्रधानमंत्री मोदी ने यूएई के राष्ट्रपति से कहा, ‘‘जिस तरह से हमारे देशों के बीच संबंधों का विस्तार हुआ है, उसमें आपका बहुत बड़ा योगदान है. भारत का हर व्यक्ति आपको एक सच्चे दोस्त के रूप में देखता है.’’ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद, दोनों पक्षों ने स्थानीय मुद्राओं में सीमा पार लेनदेन शुरू करने के लिए एक व्यवस्था बनाने और भुगतान एवं संदेश प्रणालियों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए समझौते किये. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘‘ ये एमओयू दोनों देशों के केंद्रीय बैंक रुपये और दिरहम का सीमापार लेनदेन में इस्तेमाल बढ़ाने के लिए एक ढांचा खड़ा करने और दोनों देशों की भुगतान प्रणालियों यूपीआई एवं आईपीपी को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए सहयोग करने से संबंधित हैं.

भारत अमेरिकी डॉलर में होने वाले कारोबार पर निर्भरता कम करने के लिए स्थानीय मुद्राओं में लेनदेन को बढ़ावा देने की कोशिश में लगा हुआ है. इसी क्रम में कई देशों के साथ रुपये में कारोबार शुरू किया गया है. बयान के अनुसार भारत और यूएई के बीच स्थानीय मुद्राओं में कारोबार करने से संबंधित समझौता ज्ञापन में एक स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली (एलसीएसएस) भी स्थापित करने का इरादा जताया गया है. इससे भारतीय रुपये और यूएई दिरहम दोनों का द्विपक्षीय इस्तेमाल बढ़ेगा. दोनों देशों के केंद्रीय बैंक अपनी त्वरित भुगतान प्रणालियों- यूपीआई और आईपीपी को जोड़ने की दिशा में काम करने के लिए भी सहमत हुए हैं. इसके साथ दोनों देशों के कार्ड स्विच रुपे और यूएईस्विच को भी जोड़ने पर सहमति जताई गई है. मोदी ने कहा, ‘‘यह भारत-यूएई सहयोग का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू है. यह आर्थिक सहयोग बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेगा और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संपर्क को सरल बनाएगा.

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शिक्षा मंत्रालय और अबू धाबी के शिक्षा एवं ज्ञान विभाग (एडीईके) ने खाड़ी देश में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली का परिसर स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. यह कदम आईआईटी को वैश्विक बनाने के अभियान का हिस्सा है. आईआईटी दिल्ली दूसरा आईआईटी है जिसने देश के बाहर परिसर स्थापित करने की घोषणा की है. आईआईटी मद्रास ने पिछले हफ्ते तंजानिया के जंजीबार में अपना परिसर स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये थे. जलवायु परिवर्तन पर एक संयुक्त बयान में, दोनों पक्षों ने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सामूहिक कार्रवाई के वैश्विक स्टॉकटेक (जीएसटी) के महत्व पर प्रकाश डाला. यूएई के राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद मोदी ने कहा कि पिछले साल व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर के बाद से भारत-यूएई व्यापार में 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. मोदी ने कहा, ‘‘पहली बार, हमने व्यापार में 85 अरब अमेरिकी डॉलर का आंकड़ा हासिल किया है और जल्द ही हम 100 अरब अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य हासिल कर लेंगे. अगर हम ठान लें तो हम जी20 की बैठक से पहले इस उपलब्धि को हासिल सकते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने, ‘‘महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान से मिलना हमेशा खुशी की बात है. विकास के लिए उनकी ऊर्जा और दृष्टिकोण सराहनीय है. हमने सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों सहित भारत-यूएई संबंधों से जुड़े सभी विषयों पर चर्चा की.’’ मोदी ने कहा कि उन्हें शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान से हमेशा भाई का प्यार मिला. उन्होंने कहा कि यूएई में आयोजित होने वाले कॉप-28 की तैयारी यूएई के राष्ट्रपति के नेतृत्व में जारी है. उन्होंने कहा कि उन्होंने इस साल के अंत में आयोजित होने वाले सम्मेलन में भाग लेने का मन बना लिया है. यात्रा के दौरान जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि नेताओं ने तेल, गैस और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी को और बढ़ाने का संकल्प लिया. इसमें कहा गया है, ‘‘दोनों पक्ष हरित हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा और ग्रिड संपर्क (कनेक्टिविटी) में अपने सहयोग को आगे बढ़ाएंगे. दोनों पक्ष भारत के रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व कार्यक्रम सहित ऊर्जा स्पेक्ट्रम में निवेश बढ़ाने पर भी सहमत हुए.

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बयान में कहा गया है कि भारत ने यूएई की ‘कॉप-28’ अध्यक्षता के दौरान पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया. मोदी ने यूएई में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के नामित अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर के साथ सतत विकास को आगे बढ़ाने और द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर यहां सार्थक वार्ता की और यूएई की ‘कॉप-28’ अध्यक्षता के दौरान भारत के पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया. वर्ष 2023 का संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन या ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज ऑफ द यूएनएफसीसी’ को सामान्य तौर पर ‘कॉप-28’ के रूप में जाना जाता है, जिसका आयोजन 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक दुबई में होगा. वर्ष 1992 में पहला संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौता होने के बाद से इस सम्मेलन का आयोजन वार्षिक रूप से होता है.

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