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मणिपुर

Manipur violence: मणिपुर में जल रही हिंसा की आग, कैसे शुरू हुई दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प

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मणिपुर में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प लगातार बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। बीते दिनों सोशल मीडिया पर मणिपुर की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ यौन उत्पीड़न करने की वीडियो वायरल हुई। जिसके बाद पूरे देश के लोगों ने अपनी अपनी प्रतिक्रियाएं दी और अपना गुस्सा जाहिर किया। इस खबर में जानिए ये हिंसा कब और क्यों शुरु हुई।

मणिपुर, ऑनलाइन डेस्क। मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है। आज भी मणिपुर में दो समुदाय मैतेई और कुकी के बीच हिंसक झड़प दिखाई दे रही है। वहीं, बीते दिनों कुकी समुदाय की दो महिलाओं को मैतेई समुदाय के पुरुषों ने नग्न अवस्था में परेड करवाई। जिसके बाद पूरे देश में गुस्सा देखा जा रहा था। सोशल मीडिया पर लोगों ने कई तरह की प्रतिक्रियाएं दी।

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मणिपुर कहां है और वहां कौन रहता है?

मणिपुर बांग्लादेश के पूर्व में स्थित है और इसकी सीमा म्यांमार से लगती है। यहां अनुमानित 33 लाख लोग रहते हैं। जिसमें आधे से अधिक मैतेई समुदाय के लोग निवास करते हैं, जबकि लगभग 43 फीसदी कुकी और नगा समुदाय के लोग निवास करते हैं, जो प्रमुख अल्पसंख्यक जनजातियाँ मानी जाती हैं। 

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मणिपुर में लड़ाई क्यों हो रही है?

मणिपुर में इस साल मई में दो समुदाय बहुसंख्यक मैतेई और अल्पसंख्यक कुकी के बीच हिंसक झड़प देखने को मिली। इस हिंसा में अब तक कम से कम 130 लोग मारे गए हैं और 400 लोग घायल हुए हैं। हिंसा को रोकने के लिए सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस के संघर्ष के कारण 60,000 से अधिक लोगों को अपने घरों से दूसरी जगहों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

इन झड़पों के दौरान दोनों समुदायों ने कई जगहों पर तोड़फोड़ की और कई पुलिस थानों से हथियार भी लूट लिए। हिंसक झड़प के दौरान सैकड़ों चर्च और एक दर्जन से अधिक मंदिरों को भी तोड़ दिया गया और कई गाँव में आग लगा दी गई।

मणिपुर में हिंसक झड़प कैसे शुरू हुई?

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मणिपुर में 3 मई से हिंसा की शुरुआत हो चुकी थी। मणिपुर में तीन मई को मैतेई (घाटी बहुल समुदाय) और कुकी जनजाति (पहाड़ी बहुल समुदाय) के बीच हिंसा शुरू हुई थी। दरअसल, मणिपुर में मैतेई समाज की मांग है कि उसको कुकी की तरह राज्य में शेड्यूल ट्राइब (ST) का दर्जा दिया जाए।

मणिपुर में तनाव तब और बढ़ गया जब कुकी समुदाय ने मैतेई समुदाय की आधिकारिक जनजातीय दर्जा दिए जाने की मांग का विरोध करना शुरू कर दिया। इसे लेकर कुकियों ने तर्क दिया कि इससे सरकार और समाज पर उनका प्रभाव और अधिक मजबूत होगा, जिससे उन्हें जमीन खरीदने या मुख्य रूप से कुकी क्षेत्रों में बसने की अनुमति मिल जाएगी। लेकिन असंख्य अंतर्निहित कारण हैं। कुकियों का कहना है कि मैतेई के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा छेड़ा गया नशीली दवाओं के खिलाफ युद्ध उनके समुदायों को उखाड़ने का एक बहाना है।

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म्यांमार से हो रहे अवैध प्रवासन ने तनाव को और बढ़ा दिया है। बढ़ती आबादी के कारण भूमि उपयोग पर दबाव है।

मणिपुर में कौन से दो समुदाय लड़ रहे हैं?

मैतेई, कुकी और नागा मिलिशिया दशकों से परस्पर विरोधी मातृभूमि मांगों और धार्मिक मतभेदों को लेकर एक-दूसरे से लड़ते रहे हैं और सभी पक्ष भारत के सुरक्षा बलों के साथ भिड़ते रहे हैं। हालाँकि, ये लड़ाई पूरी तरह से मैईती और कुकी समुदाय के बीच है।

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द फ्रंटियर मणिपुर के संपादक धीरेन ए सदोकपम कहते हैं, ”इस बार, संघर्ष पूरी तरह से जातीयता में निहित है, न कि धर्म में।”

कुकी और मैतेई कौन हैं?

मैतेई की जड़ें मणिपुर, म्यांमार और आस-पास के क्षेत्रों में हैं। विशाल बहुमत हिंदू हैं, हालांकि कुछ सनमही धर्म का पालन करते हैं। कुकी, ज्यादातर ईसाई, भारत के उत्तर-पूर्व में फैले हुए हैं और मणिपुर में उनमें से कई लोग अपनी जड़ें म्यांमार में भी खोज सकते हैं।

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मैतेई ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि कुकी आस-पास की पहाड़ियों और उससे आगे के हिस्से में रहते हैं।

महिलाओं पर हमले क्यों हो रहे हैं?

दिल्ली में BBC संवाददाता गीता पांडे का कहना है कि यह वीडियो संघर्ष में हिंसा के साधन के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न का एक नया उदाहरण है, जो अक्सर बदले की भावना से हमलों में बदल सकता है।

स्थानीय मीडिया के अनुसार, मई में यह हमला फर्जी रिपोर्टों के बाद हुआ था कि कुकी मिलिशिएमेन द्वारा एक मैतेई महिला के साथ दुष्कर्म किया गया था।

मणिपुर मामले में केंद्र सरकार क्या कर रही है?

4 मई को महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न का वीडियो इस सप्ताह सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसके बाद लोगों में काफी गुस्सा देखा गया। हमले का वीडियो सामने आने तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर हिंसा पर कोई भी बयान नहीं दिया था। लेकिन मानसून सत्र के पहले दिन उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि इस घटना ने “भारत को शर्मसार कर दिया है” और “किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा… मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता”।

लेकिन कई भारतीय पूछ रहे हैं कि मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने में उन्हें इतना समय क्यों लगा।

भारत सरकार ने हिंसा के दौर को रोकने के प्रयास में क्षेत्र में 40,000 सैनिकों, अर्धसैनिक बलों और पुलिस को तैनात किया है। अब तक, इसने आदिवासी नेताओं के प्रत्यक्ष शासन लागू करने के आह्वान का विरोध किया है। लेकिन हिंसा फैलती जा रही है और अधिक से अधिक ग्रामीणों को उनके घरों को छोड़ना पड़ रहा है।

मणिपुर में किसका शासन है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी, जो भारत पर शासन करती है, मणिपुर में भी राज्य सरकार चलाती है, जिसका नेतृत्व मैतेई एन बीरेन सिंह करते हैं।

राज्य की कुल जनसंख्या का 53% होने के बावजूद मैतेई क्षेत्रीय संसद की 60 सीटों में से 40 पर नियंत्रण रखते हैं। कुकी समुदाय का कहना है कि हेरोइन के व्यापार के लिए पोस्त की खेती को लेकर एन बीरेन सिंह के हालिया युद्ध ने कुकी क्षेत्रों को टारगेट किया है।

एन बीरेन सिंह की सरकार ने कुकी विद्रोही समूहों पर समुदाय को भड़काने का आरोप लगाया।

मैतेई समुदाय कौन है?

मणिपुर में जो माइनॉरिटी ग्रुप है वो मैतेई है। कुकी या नगा जैसे दूसरे ट्राइबल ग्रुप भी हैं जो माइनॉरिटी में हैं। मैतेई ज्यादातर मैदानी इलाकों में रहते हैं और बाकी आदिवासी समुदाय पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। अगर मैतेई समुदाय को ST स्टेटस मिल जाता है तो उनकी पहुंच पहाड़ी इलाकों में बढ़ जाएगी।

कुकी समुदाय कौन हैं?

कुकी जनजाति भारत के मणिपुर और मिजोरम राज्य के दक्षिण पूर्वी भाग में एक जनजातीय समूह हैं। कुकी भारत, बांग्लादेश, और म्यांमार में पाए जाने वाले कई पहाड़ी जनजातियों में से एक हैं। उत्तर पूर्व भारत में, अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर वे सभी राज्यों में मौजूद हैं। 

मणिपुर में महिलाएं केंद्र में क्यों हैं?

मणिपुर की महिलाएं अधिकांश भारतीय राज्यों से अलग पहचान रखती हैं। यह भारत के उन कुछ राज्यों में से एक है जहां महिलाओं को अभी भी प्राथमिक वेतन अर्जक के रूप में देखा जाता है। मणिपुरी में, महिलाएं अन्य राज्यों की महिलाओं की तुलना में काफी अधिक दर पर श्रम क्षेत्र में भाग लेती हैं। कई लोगों का मानना है कि मणिपुरी महिलाएं अन्य राज्यों की महिलाओं की तुलना में अधिक शक्तिशाली और स्वतंत्र हैं क्योंकि मणिपुरी महिलाओं को हमेशा राज्य में एक सामूहिक शक्ति के रूप में देखा गया है।

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