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Independence Day Special: 1947 से अब तक हर 10 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था में क्या बदलाव आए?

Independence Day Special: 1947 के बाद से भारत सरकार की तरफ से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई गईं और कई तरह के प्रयास किए गए.

Independence Day Special: 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद से हर 10 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था में कई तरह के बदलाव देखे गए हैं. जिसके बारे में नीचे दिया जा रहा है-

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1950 का दशक

स्वतंत्रता के बाद, भारत ने कृषि सुधारों और औद्योगीकरण (Industrialization) पर ध्यान फोकस किया.

आर्थिक वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने के लिए पंचवर्षीय योजनाएं शुरू की गईं.

1960 का दशक

हरित क्रांति (Green Revolution) ने कृषि उत्पादकता (Productivity) को बढ़ाया, भोजन की कमी (Food Crisis) को कम किया.

बैंकों का राष्ट्रीयकरण (Nationalization) किया गया, जिसका मकसद फाइनेंशियल सेक्टर को मजबूत करना था.

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1970 का दशक

हायर इन्फ्लेशन और पेमेंट बैलेंस के इश्यूज समेत आर्थिक चुनौतियां रहीं.

“गरीबी हटाओ” अभियान के साथ आत्मनिर्भरता पर जोर दिया गया.

1980 का दशक

राज्य का नियंत्रण कम होने और निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ने के साथ आर्थिक उदारीकरण शुरू हुआ.

अंतर्राष्ट्रीय एकीकरण (International Integration) को बढ़ावा देने के लिए व्यापार (Trade) और निवेश (Investment) सुधार पेश किए गए.

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1990 का दशक

व्यापार उदारीकरण (Trade Liberalization) और राजकोषीय समेकन (Treasury consolidation) सहित प्रमुख आर्थिक सुधार लागू किए गए.

राज्य के स्वामित्व वाले एंटरप्राइजेज का प्राइवेटाइजेशन और फॉरेन इन्वेस्टमेंट के लिए क्षेत्रों को खोला गया.

2000 का दशक

सेवा (Service) और आईटी क्षेत्रों (IT Sector) द्वारा संचालित मजबूत आर्थिक विकास.

भारत एक ग्लोबल आउटसोर्सिंग केंद्र के रूप में उभरा, जिसने इकोनॉमिक एक्पोजर में कांट्रीब्यूट किया.

हाउसिंग सेक्टर का बुलबुला और उसके बाद 2008 का वैश्विक फाइनेंशियल क्राइसिस.

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2010 का दशक

बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक कार्यक्रमों पर ध्यान दिया गा.

मजबूत आर्थिक विकास, औसतन लगभग 7-8%.

सेवा क्षेत्र, विशेषकर आईटी और आउटसोर्सिंग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

वस्तु एवं सेवा कर (GST) की शुरूआत का मकसद टैक्स सिस्टम को आसान बनाना था.

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और ऑटोमेशन सहित निरंतर तकनीकी प्रगति.

रीन्यूएबल एनर्जी और टिकाऊ प्रथाओं की ओर बदलाव.

इकोनॉमिक इंक्लूजिवनेस, यूनिवर्सल बेसिक इनकम और सोशल सेक्योरिटी नेट पर चल रही बहस.

फाइनेंशियल क्राइसिस, आर्थिक मंदी और बेलआउट के परिणाम.

Apple, Google और Amazon जैसे तकनीकी दिग्गजों का विस्तार.

आय असमानता में वृद्धि और धन वितरण पर बहस.

डीमोनेटाइजेशन किया गया, जिससे अर्थव्यवस्था में बदलाव आ सके.

इसके अलावा कई तरह की आर्थिक नीतियां, विकास दर, चुनौतियां और सामाजिक प्रभाव शामिल हैं जिनके बल पर भारत की अर्थव्यवस्था में बदलाव आते हुए दिखाई दिए.

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