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‘विक्रम’ ने कर दिखाया, अब ‘प्रज्ञान’ करेगा कमाल! 14 दिन तक जानेगा चांद का रहस्य, जानें और क्या-क्या करेगा

Chandrayaan-3: रोवर ‘प्रज्ञान’ 6 पहियों वाला रोबोटिक व्हीकल है, जो चंद्रमा पर चलेगा और तस्वीरें खींचेगा. प्रज्ञान में इसरो का लोगो और तिरंगा बना हुआ है. चांद की सतह पर उतरने के चार घंटे प्रज्ञान विक्रम लैंडर से बाहर निकला. चांद की सतह पर उतरने के चार घंटे प्रज्ञान विक्रम लैंडर से बाहर निकला.

बेंगलुरु. चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब रोवर मॉड्यूल इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए 14 दिवसीय कार्य शुरू करेगा. उसके विभिन्न कार्यों में चंद्रमा की सतह के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए वहां प्रयोग करना भी शामिल है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों का प्रयास होगा कि वो रोवर के माध्यम से चांद से भारी संख्या में भेजे जा रहे डेटा को देखें. रोवर ‘प्रज्ञान’ 6 पहियों वाला रोबोटिक व्हीकल है, जो चंद्रमा पर चलेगा और तस्वीरें खींचेगा. प्रज्ञान में इसरो का लोगो और तिरंगा बना हुआ है.

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चांद की सतह पर उतरने के चार घंटे प्रज्ञान विक्रम लैंडर से बाहर निकला. प्रज्ञान एक सेंटिमीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से चलेगा. इस दौरान कैमरों की सहायता से रोवर चांद पर मौजूद चीजों की स्कैनिंग करेगा. प्रज्ञान चांद के मौसम का हाल पता करेगा. इसमें ऐसे पेलोड लगाए गए हैं, जो चांद की सतह के बारे में बेहतर जानकारी दे सकेंगे. रोवर चांद की सतह पर मौजबद इयॉन्स और इलेक्ट्रॉन्स की मात्रा को भी पता लगाएगा.

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बता दें कि जैसे-जैसे रोवर ‘प्रज्ञान’ चांद की सतह पर आगे बढ़ेगा, चांद की सतह पर भारतीय तिरंगा और इसरो का लोगो बनता चला जाएगा. टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि धरती के 14 दिनों में प्रज्ञान कितनी दूरी तय करेगा. इस बारे में अभी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. क्योंकि ये कई चीजों के आधार पर किया जाएगा. ‘विक्रम’ लैंडर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर अपना काम पूरा करने के बाद अब रोवर ‘प्रज्ञान’ के चंद्रमा की सतह पर कई प्रयोग करने के लिए लैंडर मॉड्यूल से बाहर निकलने की संभावना है.

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, लैंडर और रोवर में पांच वैज्ञानिक उपक्रम (पेलोड) हैं जिन्हें लैंडर मॉड्यूल के भीतर रखा गया है. इसरो ने कहा कि चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए रोवर की तैनाती चंद्र अभियानों में नयी ऊंचाइयां हासिल करेगी. लैंडर और रोवर दोनों का जीवन काल एक-एक चंद्र दिवस है जो पृथ्वी के 14 दिन के समान है. (इनपुट भाषा से)

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