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सात साल में पहली बार Sugar Export पर क्यों Ban लगाना चाहता है भारत? | Explained

Sugar Export Ban In India: सात वर्षों में पहली बार शुगर एक्सपोर्ट पर बैन लगाने का भारत का फैसला डोमेस्टिक सप्लाई, बढ़ती खाद्य कीमतों, घटते शुगर स्टॉक, इथेनॉल उत्पादन और ट्रेड डायनेमिक्स से संबंधित चिंताओं की वजह से हो सकता है.

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Sugar Exports Ban In India: दुनिया के सबसे बड़े शुगर उत्पादकों में से एक भारत ने सात वर्षों में पहली बार शुगर एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध (India Set To Ban Sugar Exports) लगाने का फैसला किया है. इस फैसले ने ग्लोबल एग्रीकल्चर और आर्थिक समुदायों के चेहरों पर चिंता की लकीरें बढ़ती जा रही हैं और एक बहस छिड़नी शुरू हो गई है.

आइए, यहां पर समझते हैं कि शुगर एक्सपोर्ट बैन (Sugar Export Ban) करने के भारत के इस स्टेप की क्या वजह हो सकती है?

डोमेस्टिक सप्लाई की चिंताएं

भारत के शुगर एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध (Sugar Export Ban) लगाने के फैसले का पहला कारण डोमेस्टिक सप्लाई की चिंता हो सकती है. भारत शुगर (Sugar) का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, और इसकी इतनी विशाल आबादी कंजंप्शन और अलग-अलग उद्योगों के लिए इस कमोडिटी पर बहुत अधिक निर्भर करती है. एक्सपोर्ट को सीमित करके, सरकार का टार्गेट इन्फ्लेशन और सप्लाई की कमी को रोकने के लिए देश के भीतर पर्याप्त शुगर की उपलब्धता सुनिश्चित करना हो सकता है.

खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें ( Food Prices Hike)

हाल के दिनों में, भारत में शुगर जैसी आवश्यक वस्तुओं समेत खाद्य कीमतों में वृद्धि देखी गई है. शुगर एक्सपोर्ट (Sugar Export) पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय को घरेलू खाद्य कीमतों को स्थिर करने के लिए एक स्ट्रैटेजिक स्टेप के रूप में देखा जा सकता है. एक्सपोर्ट पर अंकुश लगाकर, सरकार का लक्ष्य शुगर की कीमत को काबू में रखना और कंज्यूमर्स, खासकरके, लोअर- इनकम वर्ग के लोगों पर बोझ कम करना हो सकता है.

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शुगर का घटता स्टॉक (Sugar Stock Decreased)

शुगर एक्सपोर्ट बैन में योगदान देने वाला दूसरा प्रमुख कारक भारत में घटता स्टॉक भी हो सकता है. मौसम संबंधी चुनौतियों, कीटों के संक्रमण और चक्रीय उत्पादन में उतार-चढ़ाव समेत फैक्टर्स के संयोजन के कारण शुगर के प्रोडक्शन में कमी आई है. घरेलू स्टॉक में और गिरावट के जोखिम से बचने के लिए, सरकार ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर लोकल रिक्वायरमेंट्स को प्राथमिकता देने का फैसला किया है.

इथेनॉल उत्पादन पर ध्यान (Ethanol Production)

भारत सरकार अपने रीन्यूएबल एनर्जी ऊर्जा और इन्वायर्नमेंटल स्टैबिलिटी टार्गेट के हिस्से के तौर पर इथेनॉल प्रोडक्शन बढ़ाने पर जोर दे रही है. गन्ना, शुगर उत्पादन के लिए प्राथमिक कच्चा माल, इथेनॉल का भी एक वैल्यूएबल सोर्स है. शुगर एक्सपोर्ट (Sugar Export) में कटौती करके, भारत अधिक गन्ने को इथेनॉल प्रोडक्शन की ओर फिर से र्निर्देशित कर सकता है, अपनी एनर्जी जरूरतों को पूरा कर सकता है और कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकता है.

जियो-पॉलिटिकल और ट्रेड डायनेमिक्स

ग्लोबल ट्रेड डायनेमिक्स और राजनयिक विचार भी इस फैसले में भूमिका निभा सकते हैं. ट्रेड एग्रीमेंट्स, ग्लोबल लायबिलिटीज और बदलते जियो-पॉलिटिकल एलायंस ने शुगर एक्सपोर्ट (Sugar Export) को अस्थायी रूप से रोकने के भारत के फैसले को प्रभावित किया हो सकता है. ये कारक सप्लाई-डिमांड बैलेंस को प्रभावित कर सकते हैं और घरेलू जरूरतों को प्राथमिकता देने के सरकार के रुख में योगदान कर सकते हैं.

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गौरतलब है रि सात वर्षों में पहली बार शुगर एक्सपोर्ट (Sugar Export) पर प्रतिबंध लगाने का भारत का फैसला डोमेस्टिक सप्लाई, बढ़ती खाद्य कीमतों, घटते शुगर स्टॉक, इथेनॉल उत्पादन और कंप्रिहेंसिव ट्रेड डायनेमिक्स से संबंधित चिंताओं के संयोजन से उपजा है. हालांकि यह स्टेप देश के इंटरनल मार्केट को स्थिर करने में मदद कर सकता है, लेकिन ग्लोबल ट्रेड संबंधों और ग्लोबल शुगर मार्केट पर इसका प्रभाव देखा जाना बाकी है.

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