RBI Monetary policy repo rate: RBI ने फरवरी 2023 में रेपो रेट 6.5 % कर दी थी. तब से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है.
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RBI Monetary policy repo rate: RBI ने चौथी बार ब्याज दरों को जस का तस रखा. रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसकी घोषणा RBI गर्वनर शक्तिकांत दास ने आज यानी शुक्रवार को की है. आपको बता दें, RBI ने फरवरी 2023 में रेपो रेट 6.5 % कर दी थी. तब से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग 3 अक्टूबर को शुरू हुई थी. कमेटी की मीटिंग हर दूसरे महीने होती है. आइए समझते हैं कि रेपो रेट का असर आपकी EMI पर कैसे पड़ता है.
जीडीपी ग्रोथ पर आरबीआई गवर्नर ने कहा कि “सभी फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए, चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5% अनुमानित है. अगले वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.6% रह सकती है.”
रेपो रेट का EMI पर कैसे पड़ता है असर?
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उधारकर्ता का होम लोन और ईएमआई रेपो रेट पर निर्भर करता है. जैसे ही केंद्रीय बैंक रेपो दर में बदलाव करता है, वाणिज्यिक बैंकों की ब्याज दरें भी बदल जाती हैं. रेपो रेट में बढ़ोतरी से होम लोन की ईएमआई में बढ़ोतरी होगी क्योंकि बैंक अपनी ब्याज दर बढ़ा देंगे. इसका मतलब है कि कर्ज लेने वाले पर बोझ बढ़ जाएगा. अगर आरबीआई रेपो दर कम करता है, तो बैंकों को अपनी ब्याज दर भी कम करनी होगी. इसका मतलब है कि ग्राहक पर पुनर्भुगतान का बोझ कम होगा.
वैसे रेपो रेट महंगाई से लड़ने का एक महत्वपूर्ण टूल है. अगर महंगाई ज्यादा होती है तो RBI रेपो रेट बढ़ा देती है और महंगाई को कंट्रोल करती है. रेपो रेट वह रेट होता है जिस रेट पर RBI दूसरे बैंकों को कर्ज देती है. अगर रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को महंगा कर्ज मिलेगा. इससे आम लोगों को बैंकों से मिलने वाला लोन भी मंहगा हो जाएगा. लोन मंहगा होने पर बाजार में मनी फ्लो में कमी आएगी. इससे डिमांड में कमी आएगी. अगर किसी के डिमांड में कमी आती है तो उसकी कीमत अपने आप कम हो जाती है.
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महंगाई कैसे बढ़ती है?
जब भी किसी चीज की मांग अधिक होती है और वो कम मात्रा में उपलब्ध होती है तो उसकी कीमत बढ़ जाती है यानी महंगी हो जाती है. RBI रेपो रेट बढ़ाकर महंगाई को कंट्रोल करती है.