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राजनीति

राजस्थान में छाया ‘योगी फैक्टर’, उम्मीद से ज्यादा जुट रही भीड़; यूपी सीएम को सुनने छतों पर चढ़ रहे लोग

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018  के चुनाव में योगी आदित्यनाथ की सबसे ज्यादा डिमांड है। चुनावी समर में मंगलवार को कमल खिलाने का आह्वान करने पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देखने-सुनने छतों से लेकर रैलियों तक हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। भीलवाड़ा में योगी आदित्यनाथ की रैली में यह संख्या लगभग 50 हजार से अधिक रही। सीएम ने पांच रैलियां कर भाजपा प्रत्याशियों के लिए वोट मांगा। योगी ने डूंगरपुर से पार्टी प्रत्याशी बंशीलाल कटारा के पक्ष में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यूपी में जबसे भाजपा सरकार आई, अयोध्या में दीपोत्सव पर लाखों दीप जलते हैं। उन्होंने चित्तौड़गढ़ और शाहपुरा में भी जनसभा को संबोधित किया।

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तिजारा में रैली का आगाज 

बता दें योगी आदित्यनाथ ने अलवर के तिजारा से बीजेपी प्रत्याशी महंत बालकनाथ के लिए चुनावी रैली का आगाज किया। स्थानीय लोगों के मुताबिक योगी की रैली में उम्मीद से ज्यादा भीड़ दिख रही है। अलवर के रामगढ़ में भी कमोबेश ऐसे ही हालत रहे। बता दें एनसीआर से सटा राजस्थान का अलवर जिला गो तस्करी के लिए बदनाम है। तिजारा और रामगढ़ में बीजेपी प्रत्याशियों के सामने मुस्लिम प्रत्याशी है। तिजारा से इमरान खान और रामगढ़ जुबेर खान। योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में गहलोत सरकार को घेरने के लिए कुछ खास मुद्दों का जिक्र किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि तिजारा में महंत बालकनाथ फंसे हुए हैं। ऐन वक्त पर बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होकर टिकट लाने वाले इमरान खान उनपर भारी पड़ रहे हैं। अलवर सांसद बालकनाथ तिजारा चुनाव की तुलना भारत-पाक मैच से कर रहे हैं।

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योगी कांग्रेस को घेर रहे हैं

सियासी जानकारों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ के  भाषणों में उत्तर प्रदेश में अपने शासन को ‘मॉडल’ के रूप में दिखाने, भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस को घेरने और विकास के लिए डबल इंजन सरकार बनाने की अपील। इन भाषणों में धार्मिक लाइन पर वोटरों को ‘रिझाने और ध्रुवीकरण’ की कोशिशें भी साफ़ दिखीं, लेकिन क्या आने वाले चुनाव में इसका कोई असर होगा, इस सवाल के जवाब का इंतज़ार राजनीतिक विश्लेषक भी कर रहे हैं। बता दें योगी आदित्यनाथ ऐसे बयानों से ‘माहौल बनाने का फार्मूला’ पहले भी आजमा चुके हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने इस बार एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है। इसलिए ध्रुवीकरण की कोशिशों का असर दिखाई नहीं दे रहा है। 

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