टर्म इंश्योरेंस किसी परिवार के मुखिया की मृत्यु की स्थिति में उन्हें आर्थिक सहारा प्रदान करता है. प्योर टर्म इंश्योरेंस केवल मौत की सूरत में ही पैसे देता है.
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नई दिल्ली. टर्म इंश्योरेंस को एक ऐसे निवेश की तरह देखा जा सकता है जो सबसे खराब स्थिति में एक परिवार की आर्थिक मदद कर सकता है. सबसे खराब स्थिति का तात्पर्य यहां घर का पालन-पोषण करने वाले की मृत्यु से है. यह ऐसी स्थिति होती है जब दुखों का पहाड़ सिर पर टूट पड़ता है. ऐसे में टर्म इंश्योरेंस किसी का दुख तो कम नहीं कर सकता लेकिन परिवार को आर्थिक तंगियों से बचा सकता है. प्योर टर्म इंश्योरेंस पर कोई रिटर्न नहीं मिलता है इसलिए यह सस्ता भी होता है. लेकिन जरूरत के समय यह सबसे ज्यादा काम आता है.
एक सवाल ऐसे में यह उठता है कि एक व्यक्ति का टर्म इंश्योरेंस कितने का होना चाहिए. क्या 50 लाख का टर्म इंश्योरेंस काफी होगा या 1 करोड़ का टर्म इंश्योरेंस लेना सही होगा. हर परिवार की जरूरत अलग-अलग होती है और उसके पालक के चले जाने के बाद जरूरतें पूरी कैसे होंगी इसको ध्यान में रखकर टर्म इंश्योरेंस खरीदा जाना चाहिए. बीमा एक्सपर्ट स्वीटी मनोज जैन बताते हैं कि यह एक व्यक्ति की इनकम का 20-25 गुना होना चाहिए. वहीं, ICICI बैंक की वेबसाइट के अनुसार, टर्म इंश्योरेंस को ह्यूमन लाइफ वैल्यू देखकर खरीदा जा सकता है.
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कितने का टर्म इंश्योरेंस?
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल की वेबसाइट के अनुसार, हर एज ग्रुप के हिसाब से टर्म कवर तय होना चाहिए. 18-35 साल के लोगों का टर्म कवर उनके वेतन का 25 गुना, 36-45 साल के लोगों के लिए 20 गुना, 46-50 साल के लोगों के लिए 15 गुना और 51-60 साल के लोगों के लिए 10 गुना होना चाहिए. यानी अगर को 32 साल का व्यक्ति है जिसकी सालाना आय 8 लाख रुपये है तो उसका टर्म कवर 25*8 यानी 2 करोड़ रुपये होना चाहिए. आप ह्युमन लाइफ कैलकुलेटर की मदद भी ले सकते हैं. इसमें आप अपनी अन्य सेविंग्स को डालकर भी टर्म कवर की गणना कर सकते हैं. ह्युमन लाइफ कैलकुलेटर पर पहुंचने के लिए यहां क्लिक करें..
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क्या टर्म इंश्योरेंस
अगर किसी परिवार के मुखिया का देहांत हो जाता है और उनके पास कोई सेविंग्स नहीं हैं तो उस परिवार के लिए आगे का जीवन बहुत कठिन हो सकता है. स्थिति तब और खराब हो जाती है जब वह शख्स घर में इकलौता कमाने वाला हो. ऐसे में टर्म इंश्योरेंस काम आता है. टर्म इंश्योरेंस 2 तरह का होता है. पहला प्योर टर्म इंश्योरेंस और दूसरा रिटर्न ऑन प्रीमियम टर्म इंश्योरेंस. पहले वाले में टर्म कवर के दौरान मृत्यु पर एकमुश्त तय रकम मिलती है. टर्म खत्म होने या फिर उसे समय से पहले खुद खत्म करने की सूरत में कुछ नहीं मिलता है. यह बहुत सस्ता होता है. रिटर्न ऑन प्रीमियम थोड़ा महंगा कवर होता है लेकिन इस पर आपको मैच्योरिटी पर पैसा मिलता है. इतना ही नहीं अगर कोई बीमाधारक 3 साल के बाद मैच्योरिटी से पहले ही टर्म कवर समाप्त करना चाहे तो उसे सरेंडर वैल्यू के रूप में भी कुछ रकम मिलती है.