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उत्तर प्रदेश

Exclusive: राम मंदिर पर बोले KK Muhammed, मुसलमान 22 जनवरी को अपने घर में दीपक जलाएं

Archaeologist KK Muhammed on Ram Mandir: केके मोहम्मद ने इंडिया.कॉम से विशेष बातचीत में बताया कि जैसे मुसलमानों के लिए मक्का-मदीना इम्पोर्टेन्ट है वैसे ही हिंदुओं के लिए उनके मंदिर भी महत्वपूर्ण हैं. मैं मुसलमानों से भी यही इल्तजा करता हूं. लंबे वक्त के बाद खुशी का मौका आया है. 22 जनवरी को राम मंदिर उद्घाटन के इस मोमेंट को अपनाएं और अगर आप राम मंदिर जा नहीं पाते हैं तो अपने घर पर ही दीया जलाकर खुशी मनाएं.

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Archaeologist KK Muhammed Exclusive Interview on Ayodhya Ram Mandir: राम की नगरी अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर उद्घाटन के लिए तैयार है. 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. आज राम मंदिर (Ram Mandir)का जो स्वप्न साकार हो रहा है, उसके पीछे कई अहम किरदार हैं. ऐसा ही एक नाम है विवादित ढांचे की खुदाई से जुड़े भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक पद्मश्री डा केके मोहम्मद (Archaeologist KK Muhammed). दरअसल, 1990 में केके ने सार्वजनिक रूप से कह दिया था कि खुदाई में राम मंदिर के प्रमाण मिले हैं. उनके इस बयान से कुछ कदर बवाल मचा कि नौकरी पर संकट आ गया था. क्या हुआ था मुहम्मद जी..?

-जब उस वक्त के ज्यादातर इतिहासकार प्रोफेसर बी बी लाल के खिलाफ थे, तब आप उनके साथ खड़े रहे? क्या हुआ था उस वक्त?

खिलाफ़ तो नहीं कह सकते हैं लेकिन हां, कभी-कभी हम सच बोल नहीं पाते हैं. क्योंकि सरकारी नौकरी के भी अपने नियम कानून होते हैं. बी बी लाल ने तथाकथित मार्क्सिस्ट हिस्टोरियन को गलत साबित करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है. हमें मंदिर की खुदाई के दैरान संबंधित कई सामग्री मिली है और मस्जिद के नीचे मंदिर था. कई लोगों ने उनके इस बयान से इत्तेफाक नहीं रखा. लेकिन मैंने उन्हें सपोर्ट किया. जोकि सच था. मैंने कहा कि हमें मंदिर से खुदाई के दौरान बहुत सारी चीज़ें मिली हैं. जितनी भी अलीगढ़ यूनिवर्सिटी और जेएनयू की विरोधी टीम है. इनमें कोई भी आर्कियोलॉजिस्ट नहीं हैं सिर्फ हिस्टोरियन हैं. इनमें से किसी को कुछ पता भी नहीं है. उस ज़माने में वहां साइट पर जाकर किसी ने कुछ देखा भी नहीं है. ये सिर्फ इनका अपना ओपिनयन है जोकि गलत है.

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मैंने कहा- मुसलमानों के लिए जितना मक्का और मदीना महत्वपूर्ण हैं उतना ही हिंदुओं के लिए श्री राम का जन्मस्थान महत्वपूर्ण है. इसलिए मुसलमानों को यहां मंदिर बनाने कि लिए खुद ही आगे आना चाहिए. जो लोग बेवजह मंदिर का विरोध कर रहे थे. अंग्रेजी अखबार में कुछ भी लिखते थे. क्योंकि कोई उसका जवाब नहीं देता था तो लोग इसे सच मान लेते थे. मेरे इस बयान से उन सबकी बोलती बंद हो गई. ऐसा पहली बार था जब उन्हें मुंहतोड़ जवाब मिला था. इसके बाद वे फिर आगे कुछ बोल नहीं पाए.

एक बात मैं क्लियर करना चाहता हूं कि 1977 में जो खुदाई की गई थी जो इतिहासकार प्रोफेसर बी बी लाल की लीडरशिप में हुई थी. मैं उनकी टीम में था. उस वक्त जब हम मस्जिद के अंदर गए हमने वहां देखा कि जितनी भी पिलर थे वो हमें मंदिर में बने पिलर की तरह दिखाई दिए. उनमें अष्टमंगल चिन्ह बने हुए थे. हिंदू धर्म में अष्टमंगल चिन्ह को आठ शुभ चिन्हों या प्रतीकों का एक पवित्र समूह माना जाता है. उसमें एक है पूर्ण कलश. हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी आचार्य या महान साधु संतों को स्वागत किसी हार से या फूलों से नहीं बल्कि पूर्ण कुंभ देकर ही आप उनका आदर-सत्कार कर सकते हैं. ये पूर्ण कलश हमें अयोध्या मंदिर में मिला. वहां हमें कुछ देवी-देवताओं की कृतियां भी मिलीं. उसे निकालने की भी कोशिश की गई थी.

बी बी लाल ने खुदाई के दौरान देखा कि पिलर को मजूबती देने के लिए जो बेस बनाए गए थे वो भी वहां से निकलने शरू हो गए. कई मूर्तियां जो सिर्फ एक मंदिर से ही मिल सकती हैं वो भी हमें वहां से मिलीं. इससे साफ हो गया था कि पहले यहां मंदिर था उसके बाद इसके ऊपर मस्जिद बनाई गई थी. ये 1976-77 का टाइम था. जो सच था हमने बता दिया. उसी वक्त मैं बी बी लाल के सपोर्ट में खड़ा हो गया था. हालांकि गवर्नमेंट सर्वेंट के तौर पर मुझे किसी तरह का कोई स्टेटमेंट नहीं देना चाहिए था.

लेकिन एक आर्कियोलॉजिस्ट होने की वजह से मुझे ऐसा करना पड़ा. चूंकि एक मुस्लिम आर्कियोलॉजिस्ट होने के बावजूद मैंने ऐसा बयान दिया तो इस पर विवाद हो गया. मुझे उस वक्त नौकरी से निकाला भी जा सकता था क्योंकि मेरा प्रोबेशन पीरियड पूरा नहीं हुआ था. मुझे बिना नोटिस से निकाला जा सकता था. लेकिन मेरा बस ट्रांसफर किया गया. मद्रास टू गोवा. मेरे खिलाफ कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया गया. मैं बच गया.

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-ऐसे क्या प्रमाण आपने खुदाई के दौरान देखा जिससे आपको लगा की ये मस्जिद नही मंदिर है?

अभी जो मैंने आपको संकेत बताए वो शुरूआती थे. बाद में हमें प्रामाणिक संकेत मिले. उसके बाद सेकेंड खनन हुआ था, जिसे आर्कियोलॉजिस्ट बी एन मणि के लीडरशिप में किया गया. इलाहबाद हाईकोर्ट के हस्ताक्षेप के बाद ये खनन हुआ. हमें इस खुदाई में बहुत कुछ मिला. इसमें हमें 50 से ज्यादा पिलर के ब्रीक बेसिस मिलने शुरू हो गए. वाकई ये बहुत ही बड़ा मंदिर था. हमें मंदिर से संबंधित कई सामग्री मिलनी शुरू हो गई. हमें वहां से अमलका (जो आमतौर पर रिम पर लकीरें होती है, जो एक हिंदू मंदिर के शिखर या मुख्य टॉवर के शीर्ष पर बैठती हैं) वो मिलीं. हमें वहां से अभिषेक परनाला भी मिला. जो कभी भी मस्जिद से मिल नहीं सकता है.

इसके आलावा हमें एक इंस्क्रिप्शन (शिलालेख) मिला, जिसमें ये साफ लिखा था कि ये महाविष्णु के लिए डेडिकेटिड है जिसने बाली को मारा था. फिर वो कहते हैं जिन्होंने 10 सिरों वाले आदमी को मारा था. ये सारे प्रमाण देखने के लिए एक मजिस्ट्रेट को भी अप्वाइंट किया गया था. इस खुदाई का नतीजा आपके सामने है.

-आपने कई मंदिरों को रिकंस्ट्रेक्ट किया है. कैसा अनुभव रहा है. मुस्लिम होने के बावजूद किस तरह कि भावनाएं आपने महसूस की.

देखिए आर्कियोलॉजिस्ट की कोई जाति या कोई धर्म नहीं होता. जो भी मिलेगा. जो भी होगा. वही सच बताएंगे. मैंने लगभग 120 से ज्यादा मंदिरों का पुननिर्माण किया है. बहुत ही कम लोग इतना काम कर पाए होंगे. मैं जब भी काम करता हूं मेरे दिल और दिमाग में एक बात रहती है कि मुसलमान जब इंडिया आए तब उन्होंने बहुत सारे मंदिर तोड़े. वो एक ज़माना था. 12वीं शताब्दी थी. उन्होंने गलतियां की. मुझे इस बात का अहसास है कि उन्होंने गलत किया है. अब मुझे ईश्वर ने मौका दिया है पश्चाताप करने का. गलतियां हुईं. मैं मानता हूं. लेकिन अब इन गलतियों को दोहराना नहीं चाहिए. न हिंदूओं की तरफ से न मुसलमानों की तरफ से. हमें तो इतिहास से हमेशा सबक लेना चाहिए. मैं हमेशा मुसलमानों से कहता हूं. जैसे श्री राम का जन्मस्थान अयोध्या हो गया. कृष्ण मंदिर की जगह भी मुसलमानों को छोड़नी चाहिए. जैसे मुस्लिम के लिए मक्का-मदीना महत्वपूर्ण है वैसे ही हिंदुओं के लिए उनके मंदिर भी महत्वपूर्ण हैं. मुसलमानों को समझना चाहिए भारत एक सेकुलर देश है. उन्हें कई जगह पर कंप्रोमाइज भी करना चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब भव्य राम मंदिर बन रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी जा रहे है उद्घाटन में आपका क्या कहना है?
– ये देश की 500 सालों की एक बहुत लंबी लड़ाई है. हम राम मंदिर बनाने में कामयाब रहे. ये एक सुप्रीम मोमेंट है. मेरी जिंदगी का भी. मुझे इस लड़ाई में एक बहुत ही छोटा सा रोल करने का मौका मिला है. मैं मुसलमानों से भी यही इल्तजा करता हूं. आप भी इस मोमेंट को अपनाइए और अगर आप जा नहीं पाते हैं तो अपने घर पर ही दीया जलाकर इस खुशी में शामिल होइए.

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