नई पेंशन योजनाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए पेंशन नियामक ने नई तैयारी की है. इसके तहत पेंशन नियामक पीएफआरडीए हेल्पलाइन शुरू करने की तैयारी में है, जिसके लिए विभिन्न पार्टियों से बोलियां मंगाई गई हैं.
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हेल्पडेस्क से किए जाएंगे ये काम
पीएफआरडीए की योजना है कि एनपीएस और एपीवाई के लिए इंफॉर्मेशन हेल्प डेस्क बनाए जाएं. ये हेल्पडेस्क नेशनल पेंशन सिस्टम और अटल पेंशन योजना जैसी नई पेंशन योजनाओं पर लोगों की मदद करेंगे. इनसे एनपीएस और एपीवाई के मौजूदा सब्सक्राइबर्स की मदद की जाएगी. साथ ही संभावित सब्सक्राइबर्स के मन में नई पेंशन योजनाओं के बारे में बैठे भ्रम को भी दूर किया जाएगा.
एनपीएस बनाम ओपीएस की बहस हुई तेज
अभी देश में पुरानी पेंशन योजना यानी ओपीएस को लेकर नई बहस छिड़ी हुई है. कई राज्यों ने फिर से पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का फैसला लिया है. केंद्रीय कर्मचारियों की ओर से भी ओपीएस की डिमांड तेज हो चुकी है. हालांकि सरकार नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस और अटल पेंशन योजना को लोकप्रिय बनाना चाहती है. इसके लिए नई पेंशन योजनाओं के फायदों का विस्तार भी किया जा रहा है.
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13 लाख नए सब्सक्राइबर जोड़ने का लक्ष्य
पीएफआरडीए का मानना है कि हेल्पलाइन शुरू करने से इसमें मदद मिल सकती है. पीएफआरडीए ने वित्त वर्ष 2023-24 में एनपीएस के तहत 13 लाख कॉरपोरेट व इंडिविजुअल सब्सक्राइबर जोड़ने का लक्ष्य तय किया था. हालांकि अब तक 5 लाख से कुछ ज्यादा सब्सक्राइबर जोड़े जा चुके हैं. हेल्पलाइन से पीएफआरडीए को इस मामले में भी मदद मिलने की उम्मीद है.
ये कंपनियां लगा सकती हैं बोली
प्रस्तावित हेल्पलाइन के लिए पीएफआरडीए की योजना अलग से इंफ्रा लगाने की नहीं है. इसके लिए नियामक ने कॉल सेंटर ऑपरेटर्स से बोलियां मंगाई है. इसके लिए भारत में पंजीकृत कोई भी कंपनी बोली लगा सकती है. कंसोर्टियम यानी एक से ज्यादा कंपनियों के द्वारा मिलकर लगाई गई बोली पर विचार नहीं किया जाएगा.
बोली लगाने वाली कंपनी के पास बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग, कॉल सेंटर, कॉन्टैक्ट सेंटर या आईटीईएस से जुड़ी सेवाओं का कम से कम 5 साल का अनुभव होना चाहिए. बोली लगाने वाली कंपनियों के पास पिछले 3 साल में कम से कम दो वित्तीय संस्थानों और एक सरकारी संगठन के लिए काम करने का अनुभव भी अनिवार्य है.