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इंटरव्यू में हुआ फेल तो जला दिए सर्टिफिकेट… फिर बिहार के शख्स ने यूट्यूब से कोडिंग सीख बना दी करोड़ों की कंपनी

कहते हैं कुछ अलग करने का जज्बा हो और लक्ष्य तय हो, तो कुछ भी करना मुश्किल नहीं है. कुछ ऐसी ही कहानी है बिहार (Bihar) के रहने वाले दिलखुश (Dilkhush) नामक शख्स की, जिसने मैट्रिक पास करने के बाद नौकरी के लिए इंटरव्यू दिया और उसमें फेल होने के बाद अपने सारे सर्टिफिकेट ही जला दिए. लेकिन उनके दिमाग में कुछ अलग करने का आइडिया उमड़ रहा था. फिर इस शख्स ने यूट्यूब से कोडिंग सीखी और अपनी कैब सर्विस कंपनी खड़ी कर दी. अब उनकी इस कंपनी Rodbez को Sharks का साथ मिला है. 

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यूट्यूब से सीखी थी कोडिंग

भारत के चर्चित बिजनेस शो शार्क टैंक इंडिया सीजन-3 (Shark Tank Season 3) के तीसरे एपिसोड में बिहार के रहने वाले दिलखुश आए और उन्होंने शो में मौजूद शार्क्स को अपना मुरीद बना लिया. दरअसल, दिलखुश RodBez कंपनी चलाते हैं, जो कैब सर्विस मुहैया कराती है. खास बात ये है कि मैट्रिक पास दिलखुश ने इस कंपनी को शुरू करने के लिए कोई कोर्स या ट्रेनिंग नहीं की, बल्कि यूट्यूब (YouTube) से कोडिंग सीखकर इस कैब सर्विस ऐप को बनाया है. उनके इस कारनामे पर शार्क टैंक के जज खासे प्रभावित हुए और उनकी कंपनी में लाखों रुपये इन्वेस्ट कर दिए. 

शार्क जजों ने इन्वेस्ट किए लाखों रुपये

शार्क टैंक इंडिया शो के जज अमन गुप्ता ने इस कैब सर्विस प्लेटफॉर्म की जमकर तारीफ की और दिलखुश से कहा कि आपने जो काम बिल्कुल फ्री में किया है, उसी काम को करने के लिए ओला (Ola) और उबर (Uber) जैसी कंपनियों को करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इस दौरान अन्य जज रितेश अग्रवाल (Ritesh Agarwal) और नमिता थापर (Namita Thapar) ने उनकी कंपनी रोडवेज को 20 लाख रुपये दिए हैं और 30 लाख रुपये 5 फीसदी ब्याज पर इन्वेस्ट किए हैं. इसके बाद दिलखुश की इस कंपनी Rodbez की वैल्यू भी बढ़कर 4 करोड़ रुपये हो गई है. 

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कंपनी बनाने के पीछे दिलचस्प कहानी

कंपनी के नाम के पीछे की दिलचस्प कहानी के बारे में बात करें तो बता दें कि दिलखुश के पिता बिहार रोडवेज में काम करते थे और इसी से प्रेरित होकर उन्होंने अपनी कंपनी का नाम RodBez रखा. दिलखुश ने जब मैट्रिक पास किया, तो उसके बाद उन्होंने एक कंपनी में नौकरी के लिए इंटरव्यू दिया था, लेकिन इस दौरान वे एप्पल कंपनी के लोगो को नहीं पहचान पाए और उन्हें फेल कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने अपना खुद का काम शुरू करने का लक्ष्य तय किया और सारे सर्टिफिकेट को जलाकर अपने पिता से ड्राइविंग सीखी. फिर एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करके कुछ पैसे जमा किए और अपने सपनों को सच करने की ओर बढ़ चले. 

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2022 में शुरू की थी RodBez

दिलखुश ने अपने जमा किए पैसे लगाकर साल 2016 में सहरसा में अपनी पहली कंपनी खोली और इसमें उन्होंने कई सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को काम पर रखा, लेकिन 2021 में उन्होंने इस कंपनी को छोड़ दिया, क्योंकि उनके मन में कुछ और ही चल रहा था. जुलाई 2022 में बिहार की राजधानी पटना को हर गांव और शहर से जोड़ने के लिए उन्होंने Rodbez नामक कैब सर्विस ऐप की शुरुआत की.

रोडवेज कैजुअल तरीके से काम नहीं करती, बल्कि इस ऐप में ड्राइवर अपना रूट और यात्री अपना गंतव्य डालते हैं, यानी जिस तरफ ड्राइवर जा रहा है और उसी तरफ यात्री को जाना है, तो एक स्थान पर मिलकर ये राइड पूरी होती है. इससे बड़ा फायदा ये होता है कि जहां यात्री को दोनों तरफ का किराया नहीं देना होता और ड्राइवर को भी एक तरफ से खाली गाड़ी लाने का झंझट नहीं रहता. 

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200 टैक्सी का नेटवर्क बनाने का लक्ष्य

फिलहाल, RodBez में 20 टैक्सी हैं, जिन्हें हर महीने गारंटेड 45,000 रुपये दिए जाते हैं और दिलखुश का सपना टैक्सियों की संख्या को 20 से बढ़ाकर 200 तक करने की है. इस कैब ऐप की खास बात ये है कि जब तक यात्री को उसके द्वारा बुक की गई कैब मिल नहीं जाती, तब तक कंपनी का एंप्लाई उसके साथ टच में बना रहता है. अब उनके इस काम को शार्क टैंक इंडिया के जजों ने सराहा है और कारोबार विस्तार के लिए आर्थिक मदद भी दी है.   

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