Tax season 2024 आज से चालू वित्त वर्ष का आखिरी महीना शुरू हो गया है। इस महीने करदाता को अपने निवेश का सत्यापन कराना है। इसके लिए टैक्सपेयर्स के पास 31 मार्च तक का समय है। करदाता टैक्स बचाने के लिए कई जगह पर निवेश करते हैं। चलिए जानते हैं कि करदाता को टैक्स बचाते समय के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। टैक्स बचाने (Tax Saving) के लिए कई करदाता ने अपने इन्वेस्टमेंट डॉक्यूमेंट को वेरीफाई करना शुरू कर दिया है। वहीं, कई करदाता ने टैक्स कैलकुलेशन (Tax Calculation) भी शुरू कर दिया है।
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दरअसल, आज से चालू वित्त वर्ष 2023-24 का आखिरी महीना मार्च शुरू हो गया है। इस महीने करदाता को टैक्स सेविंग से जुड़ कई कामों को निपटाना है।
आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि टैक्सपेयर्स को टैक्स बचाने के लिए किन बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता है। अगर वह इन बातों का ध्यान नहीं रखते हैं तो उन्हें भविष्य में नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
टैक्स की समीक्षा
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करदाता को पता होना चाहिए कि उसकी इनकम कितनी है और उसे कितना टैक्स देना होगा। इसके लिए टैक्सपेयर्स अपने टैक्स-सेविंग की समीक्षा करनी चाहिए। जिससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि वह अपने इनकम के अनुसार ही निवेश करें।
इसके अलावा टैक्सपेयर्स को समीक्षा के बाद पता चल जाता है कि उसे कौन-सी टैक्स रिजीम (Tax Regime) सिलेक्शन करना चाहिए।
बता दें कि अगर कोई कोई करदाता ने वित्त वर्ष के बीच में नौकरी बदली है तो उन्हें 26ए के तहत फॉर्म 12बी जमा करना होता है।
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टैक्स सेविंग
बता दें कि करदाता इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स बेनिफिट (Tax Benefit) का लाभ उठा सकते हैं। ऐसे में टैक्सपेयर्स को पता होना चाहिए कि किन निवेश ऑप्शन में 80 सी के तहत कर छूट मिलता है। बता दें कि एफडी, पोस्ट सेविंग स्कीम्स और ईएलएसएस पर कर छूट का लाभ मिलता है।
इसके अलावा अगर निवेशक पीपीएफ में निवेश करते हैं तो इसके रिटर्न पर भी टैक्स बेनिफिट का लाभ मिलता है।
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टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग
टैक्स बचाने के लिए टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग भी काफी अच्छा ऑप्शन है। इसमें 1 वित्त साल में 1 लाख रुपये तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्री होता हैं। हालांकि 1 लाख रुपये से ज्यादा पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। बता दें कि टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग में करदाता को 1 लाख रुपये के एलटीसीजी की सीमा तक शेयर बेचना होता है। इस तरह इक्विटी निवेश में एलटीसीजी टैक्स को कम करने में मदद करता है।