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RBI ने पेमेंट ‘एग्रीगेटर’ के लिए बनाए नए नियम, 1 अगस्त 2025 से कार्ड से जुड़ी कोई जानकारी नहीं रखे जाने का प्रस्ताव

रिजर्व बैंक ने पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए एक ऐसा मसौदा तैयार किया है जिसमें अब कोई भी पेमेंट एग्रीगेटर किसी भी कस्टमर के कार्ड का डिटेल अपने पास नहीं रख पाएंगे. इसके लिए RBI ने टिप्पणियां मांगी है.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पेमेंट ‘एग्रीगेटर’ के लिए नियमों को और मजबूत बनाने के लिए गाइडलाइंस जारी की है. जिसका मकसद पेमेंट परिवेश को और मजबूत करना है.

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पेमेंट एग्रीगेटर वे मध्यस्थ इकाइयां हैं, जो ग्राहकों और कारोबारियों के बीच पेमेंट को सुगम बनाती हैं.

RBI द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों के मसौदे के अनुसार, पेमेंट एग्रीगेटर (PA) की भौतिक रूप से ‘पॉइंट ऑफ सेल’ एक्टिविटीज को भी शामिल किया गया है.

RBI ने कहा कि डिजिटल ट्रांजैक्शन में ग्रोथ होने और इस सेक्टर में पेमेंट एग्रीगेटर की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए इस मामले में मौजूदा निर्देशों को अप्डेट करने का प्रस्ताव है. साथ ही अन्य बातों के साथ-साथ केवाईसी (Know Your Customer) और कारोबारियों की उचित जांच-परख, एस्क्रो खातों में संचालन को कवर करने का भी प्रस्ताव है. इसका मकसद पेमेंट परिवेश को मजबूत करना है.

भारत में पेमेंट परिवेश में ऑनलाइन ‘एग्रीगेटर’ और आमने-सामने पेमेंट की सुविधा देने वाले पेमेंट ‘एग्रीगेटर’ शामिल हैं.

मसौदे में KYC और जांच-परख के बारे में कहा गया है कि पेमेंट एग्रीगेटर को कारोबारियों को जोड़ते समय निर्धारित मानदंडों के अनुसार जांच-परख व्यवस्था अपनानी चाहिए.

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यह अपने ग्राहक को जानें, 2016 से जुड़े मूल दिशानिर्देशों में निर्धारित ग्राहक जांच परख (CDD) सिस्टम के अनुसार होना चाहिए.

RBI ने मसौदे पर 31 मई, 2024 तक टिप्पणियां मांगी हैं.

इसमें कहा गया है कि पेमेंट एग्रीगेटर यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके द्वारा शामिल किए गए बिक्री की सुविधा देने वाले मार्केटप्लेस अपने प्लेटफॉर्म के जरिए पेश नहीं की जाने वाली सेवाओं के लिए राशि कलेक्ट नहीं करें और न ही उसका सेटिलमेंट करें.

मसौदे के अनुसार, कार्ड का इस्तेमाल कर आमने-सामने रहकर किये गये पेमेंट लेन-देन के मामले में एक अगस्त, 2025 से कार्ड जारीकर्ताओं और/या कार्ड नेटवर्क के अलावा कार्ड ट्रांजैक्शन/पेमेंट सीरीज में कोई भी इकाई कार्ड से जुड़ी जानकारी (Card On File) नहीं रखेंगे.

इसमें कहा गया है कि पहले से रखे गये ऐसे किसी भी आंकड़ों को खत्म करना होगा.

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मसौदे के अनुसार, पीए-पी (भौतिक रूप से पॉइंट ऑफ सेल यानी आमने-सामने होने वाला पेमेंट) सेवाएं देने वाले गैर-बैंकों के पास अथॉरिटी के लिए RBI को आवेदन जमा करते समय न्यूनतम नेटवर्थ 15 करोड़ रुपये और 31 मार्च, 2028 तक न्यूनतम नेटवर्थ 25 करोड़ रुपये होना चाहिए. उसके बाद हर समय 25 करोड़ रुपये की नेटवर्थ बरकरार रखना होगा.

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