All for Joomla All for Webmasters
बिज़नेस

किसान पूसा के साथ बीज उत्‍पादन में ‘पार्टनर’ बनें और डेढ़ गुना या इससे अधिक करें कमाई, जानें पूरा तरीका

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रधान वैज्ञानिक और बीज उत्‍पादन इकाई के प्रभारी डा. ज्ञानेंद्र सिंह बताते हैं कि इंडियन एग्रीकल्‍चर रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (आईएआरआई-पूसा) किसानों की पैदावार और आय बढ़ाने में मदद कर रहा है. इसे अप्रत्‍यक्ष रूप रूप में पार्टनरशिप कह सकते हैं.

ये भी पढ़ें– Sovereign Gold Bond: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मैच्योरिटी से पहले निकासी पर कितना मिलेगा पैसा, RBI ने तय की दर

नई दिल्‍ली. आमतौर पर किसान परंपरागत खेती करता है और उसे एमएसपी रेट पर बाजार में बेचता है,  लेकिन किसान नया तरीका अपना ले तो उसे एमएसपी रेट से डेढ़ गुना या इससे ज्‍यादा कीमत मिल सकती है. तमाम किसानों ने यह तरीका अपनाकर अपनी आय बढ़ा ली है. आइए जानें क्‍या है यह तरीका और एक साधारण किसान इसे कैसे कर सकता है?

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रधान वैज्ञानिक और बीज उत्‍पादन इकाई के प्रभारी डा. ज्ञानेंद्र सिंह बताते हैं कि इंडियन एग्रीकल्‍चर रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (आईएआरआई-पूसा) किसानों की पैदावार और आय बढ़ाने में मदद कर रहा है. इसे अप्रत्‍यक्ष रूप रूप में पार्टनरशिप कह सकते हैं.

सवाल- क्‍या है पूसा का आय बढ़ाने का तरीका?

जवाब- आईएआरआई के पास इतनी जमीन नहीं है कि वो तमाम किसानों को उच्‍च गुणवत्‍ता वाले बीज मुहैया करा पैदावार बढ़वा सके. इसके लिए वो किसानों के खेतों में बीज तैयार करा रहा है.

सवाल- क्‍या यह काम बड़ी जोत वाला किसान कर सकता है या छोटा भी?

जवाब- यह काम कोई भी किसान कर सकता है. छोटे से छोटे या बड़े से बड़ा किसान पूसा की मदद से बीज पैदा कर सकता है. बल्कि छोटा और बेहतर तरीके से कर सकता है, छोटी जोत होने की वजह से वो पूरी तरह से फोकस कर पैदावार और बढ़ा सकता है.

सवाल- सामान्‍य या परंपरागत फसल की तुलना में क्‍या लागत अधिक आती है ?

जवाब- जी हां, इसमें सामान्‍य फसल की तुलना में करीब 10 फीसदी ज्‍यादा लागत आती है. क्‍योंकि इस फसल के बीच में किसी भी तरह का खरपतवार नहीं आना चाहिए. इसके लिए लेबर रखकर छंटाई करानी होती है. इसके अलावा इसके अलावा रखरखाव पर ज्‍यादा ध्‍यान देना होता है. सामान्‍य फसल को कहीं भी स्‍टोर कर बाजार में बेच सकते हैं लेकिन बीज उत्‍पाद में ऐसा नहीं किया जा सकता है. इसी तरह कीटनाशक के छिड़काव में अधिक ध्‍यान देना पड़ता है. तय मानक से ज्‍यादा नहीं होना चाहिए. इन तमाम कारणों से लागत थोड़ी ज्‍यादा आती है.

ये भी पढ़ें– इन चार सेक्‍टर में बढ़ा र‍िलायंस का दबदबा, 1 लाख करोड़ के पार मुनाफे वाली पहली कंपनी

सवाल- पूसा द्वारा बीज उत्‍पादन कराने की प्रक्रिया क्‍या होती है?

जवाब- सबसे पहले वैज्ञानिक यह देखते हैं कि किस फसल की कौन सी प्रजाति अच्‍छी है और उसके बीज के लिए कौन-कौन से इलाके सबसे अच्‍छे रहेंगे. जहां पर सबसे उच्‍च गुणत्‍ता का बीज पैदा करा सकते हैं. वैज्ञानिक इस पर रिसर्च करते हैं. इसके बाद वहां के किसानों से संपर्क करते हैं.

सवाल-बीज उत्‍पादन के लिए किसान चयनित करने का कोई आधार होता है या कोई भी किसान कर सकता है?

जवाब- इसमें किसानों के चयन के कई आधार होते हैं. मसलन जिस तरह के बीज का उत्‍पादन कराना है, वो किस इलाके में हो सकता है. किसान उसी इलाके का होना चाहिए. किसान का सामाजिक मेल मिलाप कैसा है, मसलन झगड़ा करने वाला है तो वो आसपास किसान बीज उत्‍पादन की प्रक्रिया में उस किसान की वजह से शामिल नहीं होंगे. क्‍योंकि पूसा की कोशिश होती है कि आसपास के तमाम किसान मिलकर बीज उत्‍पादन करें.

सवाल- कहीं पर भी रहने वाला किसान किसी आईएआरआई केन्‍द्र से संपर्क कर बीज उत्‍पादन कर सकता है.

जवाब- जी नहीं, ऐसा नहीं है. बीज उत्‍पादन के लिए आईएआरआई केन्‍द्र के 100-120 किमी. के दायरे में रहने वाले किसानों का चयन किया जाता है, जिससे उन्‍हें बीज तैयार होने के बाद केन्‍द्र में पहुंचाने में ज्‍यादा खर्च न करना पड़े. कई किसान मिलकर भी बीज उत्‍पादन में शामिल हो सकते हैं जिससे उन्‍हें बीज पहुंचाने में भाड़ा कम लगेगा.

सवाल-किसानों को भुगतान का क्‍या प्रक्रिया होती है?

जवाब- फसल तैयार होने के बाद किसान आईएआरआई केन्‍द्र में ले जाता है. किसान को तत्‍काल एमएसपी के अनुसार भुगतान किया जाता है. इसके बाद वैज्ञानिक उसकी जांच करते हैं. जिसमें औसतन 8 फीसदी माल गुणवत्‍ता के अनुरूप नहीं निकलता है. इसके लिए किसान और खरीदार को केन्‍द्र में बुलाया जाता है, जो इस माल को बेचता है. चूंकि आईएआरआई इसे बीज के रूप में तैयार कराता है. इस वजह से फसल और बीज कीमत में एमएसपी के अनुसार करीब डेढ़ गुना या इससे भी अधिक का फर्क होता है. आईएआरआई किसान को अंतर में आए रुपये का भुगतान करता है. इस तरह किसान को डेढ़ गुना से अधिक लगात मिल जाती है.

सवाल- किसान बीज उत्‍पादन के लिए कैसे संपर्क करे?

जवाब-किसान पूसा दिल्‍ली के बीज उत्‍पादन से सीधा 011 25842686 से संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा देशभर के किसान विज्ञान केन्‍द्र (केवीके) और एग्रीकल्‍चर टेक्‍नीकल इनफार्मेशन केन्‍द्र (एटीके) से संपर्क कर इसकी जानकारी ले सकते हैं.

सवाल- किसान आईसीएआर के और किसी केन्‍द्र में भी संपर्क कर सकता है क्‍या?

जवाब- जी हां, दिल्‍ली के आसपास के शहरों में रहने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) दिल्‍ली में बीज इकाई में जाकर सीधा संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा उत्‍तर प्रदेश में इज्‍जतनगर, लखनऊ, झांसी, कानपुर, वाराणसी, मेरठ, मोदीपुरम और मऊ, मध्‍य प्रदेश में भोपाल, हरियाण में करनाल और हिसार, राजस्‍थान में जोधपुर और बीकानेर, बिहार में पटना छत्‍तीसढ़ में रायपुर, झारखंड में रांची, उत्‍तराखंड में देहरादून और अल्‍मोड़ा के आईसीएआर में जाकर इसकी जानकारी ले सकते हैं.

ये भी पढ़ें– Petrol-Diesel Price: 24 अप्रैल को क्या हैं पेट्रोल-डीजल के नए दाम, क्या बढ़ गए रेट? जानें

सवाल- किसानों को आईसीएआर केन्‍द्र जाकर संपर्क करना जरूरी है या और भी माध्‍यम हैं?

जवाब- देशभर के किसान फार्मर व्‍हाट्सअप हेल्‍पलाइन 9560297502, पूसा हेल्‍पलाइन 011-25841670 / 25841039, 25842686 और पूसा एग्रीकॉम 1800-11-8989 टोल फ्री नंबर पर संपर्क कर सकते है. ऑनलाइन सवाल इस लिंक पर भेज सकते हैं.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top